acn18.com कच्छ/गुजरात के सबसे संवेदनशील क्षेत्र कच्छ में एक बार फिर से भूकंप के झटके महसूस किए गए। रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 4.2 मापी गई। जिला प्रशासन ने कहा कि जान-माल के नुकसान की कोई खबर नहीं है। गांधीनगर स्थित आईएसआर ने अपनी वेबसाइट पर एक अपडेट में कहा कि जिले के दुधई गांव से 11 किमी उत्तर-उत्तर पूर्व में भूकंप का केंद्र सुबह 6.38 बजे दर्ज किया गया। आईएसआर ने कहा कि इससे पहले जिले के खावड़ा गांव से 23 किमी पूर्व-दक्षिणपूर्व में भूकंप का केंद्र सुबह 5.18 बजे 3.2 तीव्रता का भूकंप आया था।
कच्छ, जो अहमदाबाद से लगभग 400 किमी दूर है, एक बहुत ही उच्च जोखिम वाले भूकंपीय क्षेत्र में स्थित है और वहां नियमित रूप से कम तीव्रता के भूकंप आते रहते हैं। सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित इस जिले में जनवरी 2001 में विनाशकारी भूकंप आया था जिसमें 13,800 लोग मारे गए थे और अन्य 1.67 लाख घायल हुए थे। भूकंप ने जिले के विभिन्न कस्बों और गांवों में संपत्तियों को गंभीर नुकसान पहुंचाया था।
भूकंप के आने की मुख्य वजह धरती के अंदर प्लेटों का टकरना है। धरती के भीतर सात प्लेट्स होती हैं जो लगातार घूमती रहती हैं। जब ये प्लेटें किसी जगह पर आपस में टकराती हैं, तो वहां फॉल्ट लाइन जोन बन जाता है और सतह के कोने मुड़ जाते हैं। सतह के कोने मुड़ने की वजह से वहां दबाव बनता है और प्लेट्स टूटने लगती हैं। इन प्लेट्स के टूटने से अंदर की एनर्जी बाहर आने का रास्ता खोजती है, जिसकी वजह से धरती हिलती है और हम इसे भूकंप मानते हैं।
भूकंप की तीव्रता क्या है?
रिक्टर स्केल पर 2.0 से कम तीव्रता वाले भूकंप को माइक्रो कैटेगरी में रखा जाता है और यह भूकंप महसूस नहीं किए जाते। रिक्टर स्केल पर माइक्रो कैटेगरी के 8,000 भूकंप दुनियाभर में रोजाना दर्ज किए जाते हैं। इसी तरह 2.0 से 2.9 तीव्रता वाले भूकंप को माइनर कैटेगरी में रखा जाता है। ऐसे 1,000 भूकंप प्रतिदिन आते हैं इसे भी सामान्य तौर पर हम महसूस नहीं करते। वेरी लाइट कैटेगरी के भूकंप 3.0 से 3.9 तीव्रता वाले होते हैं, जो एक साल में 49,000 बार दर्ज किए जाते हैं। इन्हें महसूस तो किया जाता है लेकिन शायद ही इनसे कोई नुकसान पहुंचता है।
लाइट कैटेगरी के भूकंप 4.0 से 4.9 तीव्रता वाले होते हैं जो पूरी दुनिया में एक साल में करीब 6,200 बार रिक्टर स्केल पर दर्ज किए जाते हैं। इन झटकों को महसूस किया जाता है और इनसे घर के सामान हिलते नजर आते हैं। हालांकि इनसे न के बराबर ही नुकसान होता है।