spot_img

गुस्से का जवाब गुस्से से न दें:नारद मुनि और विष्णु जी की कथा; जब कोई हमारा अपमान करे तो हमें धैर्य नहीं छोड़ना चाहिए

Must Read

नारद मुनि और विष्णु जी से जुड़ी कथा है। विष्णु जी ने नारद जी का घमंड तोड़ने के लिए अपनी माया से विश्वमोहिनी नाम की राजकुमारी का स्वयंवर आयोजित किया। नारद जी ने विश्वमोहिनी को देखा तो वे उस पर मोहित हो गए और उससे विवाह करने का मन बना लिया।

- Advertisement -

विश्वमोहिनी के स्वयंवर में देवर्षि नारद भी जाना चाहते थे। इसलिए नारद जी विष्णु जी के पास पहुंच गए। उनसे कहा कि मुझे सुंदरता दे दीजिए, जिसे देखकर विश्वमोहिनी मुझे विवाह के लिए चुन ले।

विष्णु जी ने नारद मुनि को वानर बना दिया। नारद जी ऐसे ही स्वयंवर में पहुंच गए। स्वयंवर शुरू हुआ तो विष्णु जी भी वहां पहुंच गए। विश्वमोहिनी ने नारद मुनि को नहीं, बल्कि विष्णु जी को चुन लिया और वरमाला पहना दी।

नारद मुनि को मालूम हुआ कि विष्णु जी ने उनका चेहरा वानर की तरह बना दिया है। इस बात वे बहुत गुस्सा हो गए। गुस्से में उन्होंने विष्णु जी को शाप दे दिया। अपमान करने लगे। विष्णु जी नारद मुनि की बातें मुस्कान के साथ ध्यान से सुन रहे थे।

नारद मुनि गुस्से में बोलते ही जा रहे थे। उन्होंने कहा कि आपने मुझे धोखा दिया है। आप भगवान हैं, इसका मतलब ये नहीं है कि आप किसी को भी ठग लेंगे। आज आपकी वजह से मुझे स्त्री का वियोग सहना पड़ा है। मैं आपको शाप देता हूं कि आपको भी स्त्री वियोग होगा। आपने मुझे बंदर का चेहरा दिया है तो एक दिन आपको बंदरों की मदद लेनी होगी।

ये सारी बातें लक्ष्मी जी भी सुन रही थीं। देवी ने विष्णु जी से कहा कि आप इतनी बातें क्यों सुन रहे हैं?

विष्णु जी ने देवी से कहा कि नारद मुनि से स्तुति बहुत सुनी है, आज निंदा भी सुन लेते हैं।

जब नारद जी शांत हुए तो विष्णु ने कहा कि मैं आपका शाप स्वीकार करता हूं। इसके बाद भगवान ने उन्हें समझाया कि आप संत हैं, आपको घमंड हो गया है और आपके जैसे संत के लिए घमंड करना अच्छा नहीं। इस वजह से मैंने आपका घमंड तोड़ने के लिए ही ये पूरी माया रची थी। वह राज्य, राजकुमारी, स्वयंवर सब मेरी माया ही थी। आप जैसे संत के मन में एक राजकुमारी के लिए कामवासना जागना सही नहीं है। आपको इन बुराइयों से दूर रहना चाहिए।

नारद मुनि को विष्णु जी की बातें समझ आ गईं और उन्होंने क्षमा मांगते हुए बुराइयों से बचाने के लिए विष्णु जी को धन्यवाद दिया।

प्रसंग की सीख

इस प्रसंग में विष्णु जी ने संदेश दिया है कि जब कोई हमारा अपमान करता है तो हमें धैर्य से काम लेना चाहिए। गुस्से का जवाब गुस्से से देंगे तो बात और ज्यादा बिगड़ सकती है। सामने वाले का गुस्सा शांत होने की प्रतीक्षा करें और जब वह शांत हो जाए तब उसे समझाना चाहिए। ऐसा करने से बड़े विवाद को टाला जा सकता है।

377FansLike
57FollowersFollow
377FansLike
57FollowersFollow
Latest News

कोरबा में चोरों के हौंसले बुलंद,कटघोरा में संचालित एक दुकान में की चोरी

Acn18.com/प्रदेश के कोरबा जिले में चोरों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा। चोर एक के बाद एक...

More Articles Like This

- Advertisement -