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रेड नहीं आस्था कॉरिडोर के नाम से जाना जाएगा दंतेवाड़ा:नक्सलगढ़ में बन रहा सबसे बड़ा मां दंतेश्वरी कॉरिडोर,नवरात्र से पहले हो जाएगा तैयार

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Acn18.com/छत्तीसगढ़ का दंतेवाड़ा जिला अब रेड कॉरिडोर के नाम से नहीं बल्कि आस्था के कॉरिडोर के नाम से जाना जाएगा। नक्सलगढ़ में स्थित माता दंतेश्वरी मंदिर परिसर में प्रदेश का पहला और सबसे बड़ा कॉरिडोर बनाया जा रहा है। इस कॉरिडोर में माता दंतेश्वरी से जुड़ी कहानियां, आदिवासी कल्चर, दंतेवाड़ा का इतिहास समेत अन्य कई तरह की झलकियां देखने को मिलेंगी। प्रशासन का दावा है कि आने वाले अक्टूबर महीने तक कॉरिडोर निर्माण का काम पूरा कर लिया जाएगा।

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दरअसल, मध्य प्रदेश के उज्जैन के महाकाल कॉरिडोर की तर्ज पर यहां भी काम किया जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि, यह पूरे छत्तीसगढ़ में किसी धार्मिक स्थान में बन रहा प्रदेश का पहला और भव्य कॉरिडोर होगा, जिसका आकार उज्जैन से भी बड़ा होगा। प्रशासन की मानें तो इसी साल शारदीय नवरात्र से भक्त इस कॉरिडोर को देख पाएंगे। माता दंतेश्वरी से जुड़ी कहानियां, कल्चर को चित्रों के माध्यम से समझाया जाएगा।

शुरू हो गया निर्माण कार्य
मां दंतेश्वरी मंदिर में वर्तमान में जिस जगह पूजा सामग्रियों की दुकानें लगती हैं वहां से लेकर जय स्तंभ चौक, मेला स्थल, मेनकाढोबरा मैदान और नदी तट स्थल तक यह कॉरिडोर बनेगा। पुराने स्ट्रक्चर, डोम को तोड़कर काम शुरू कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि, उज्जैन के महाकाल मंदिर में बने कॉरिडोर से भी बड़ा इसका आकार होगा। इससे दंतेवाड़ा जिले को आस्था के रूप में एक और नई पहचान मिलेगी।

4 फेज में हो रहा काम
दंतेवाड़ा कलेक्टर विनीत नंदनवार ने बताया कि, कॉरिडोर का निर्माण कुल 4 फेज में किया जा रहा है। इसके लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। काम काफी तेजी से हो रहा है। बारिश में भी काम चलेगा। उम्मीद है कि, इसी साल अक्टूबर तक काम पूरा कर लिया जाएगा। ताकि, नवरात्र में यहां आने वाले भक्त इसी साल से दंतेश्वरी मंदिर कॉरिडोर देख पाएंगे। इसके साथ ही वाटर रिवर फ्रंट के लिए भी काम किया जा रहा है।

नक्सलगढ़ में होगा आकर्षण का केंद्र
दरअसल, छत्तीसगढ़ के बस्तर से और प्रदेश से बाहर दंतेवाड़ा जिले की पहचान हमेशा नक्सलवाद के नाम से होती है। नक्सलियों की दहशत से इसे रेड कॉरिडोर के नाम से जाना जाता है। हालांकि, शक्तिपीठ माता दंतेश्वरी मंदिर और फागुन मड़ई जैसी परंपराओं के लिए जिले की एक अलग पहचान भी है। अब कॉरिडोर का निर्माण होने से यह बेहद आकर्षण का केंद्र होगा।

दर्शन के लिए पहुंचते हैं लाखों भक्त
वैसे तो मां दंतेश्वरी बस्तर की आराध्य देवी हैं। माता का चमत्कार इतना है कि अब हर जाति, सम्प्रदाय के लोग माता को मानने लगे हैं। कुछ साल पहले तक नक्सल दहशत की वजह से भक्त यहां आने से डरते थे। लेकिन, माता के प्रति भक्तों की सच्ची श्रद्धा और आस्था ने डर को हरा दिया। अब हर साल चैत्र, शारदीय नवरात्र और नए साल के मौके पर लाखों भक्त माता के दर्शन करने आते हैं। नवरात्र में पदयात्रियों की संख्या सबसे अधिक होती है।

ऐसे पहुंच सकते हैं मंदिर
छत्तीसगढ़ के दक्षिण बस्तर में दंतेवाड़ा स्थित है। दंतेवाड़ा जिला मुख्यालय में माता दंतेश्वरी का मंदिर है। यदि कोई भक्त रायपुर से माता के दरबार आना चाहता है तो सड़क मार्ग से करीब 400 किमी की दूरी तय करनी होगी। रायपुर के बाद धमतरी, कांकेर, कोंडागांव और अंतिम बस्तर (जगदलपुर) जिले की सरहद पार करके दंतेवाड़ा पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा हैदराबाद और रायपुर से भक्त फ्लाइट से जगदलपुर और फिर वहां से सड़क मार्ग के माध्यम से दंतेवाड़ा पहुंच सकते हैं।

ओडिशा, तेलंगाना, और महाराष्ट्र के भक्तों के लिए भी राह आसान है। ओडिशा के भक्त पहले जगदलपुर, तेलंगाना के सुकमा और महाराष्ट्र के लोग बीजापुर जिला होते हुए सीधे दंतेवाड़ा पहुंच सकते हैं। ये तीनों जिले दंतेवाड़ा के पड़ोसी जिले हैं।

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