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‘INDIA’ में दरार! अविश्वास प्रस्ताव पर सिर्फ कांग्रेसी सांसदों के ही हस्ताक्षर क्यों? CPM ने उठाए सवाल

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नई दिल्ली मणिपुर हिंसा का हवाला देते हुए विपक्षी पार्टियां मोदी सरकार के खिलाफ लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई है। इस अविश्वास प्रस्ताव को लेकर सीपीआई सांसद ने कांग्रेस पर तंज कसा है। सीपीआई सांसद बिनॉय विश्वम ने कहा कि कांग्रेस ने जल्दबाजी में स्वीकार कर लिया कि अविश्वास प्रस्ताव विपक्षी पार्टियों (I.N.D.I.A) का प्रतिनिधित्व नहीं करता है।

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सीपीआई सांसद बिनॉय विश्वम ने गुरुवार को कहा कि ‘भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन’ के कई दलों को लगता है कि अगर भारत के अन्य दलों का प्रतिनिधित्व होता तो प्रस्ताव मजबूत और अधिक प्रभावी होता।

बिनॉय विश्वम ने कहा, “केवल सीपीआई ही नहीं, बल्कि कई अन्य दलों ने जिम्मेदार तरीके से आपत्ति जताई है। कांग्रेस नेतृत्व ने इसे समझा है और वे इतने लोकतांत्रिक हैं कि वे सहमत हुए कि यह जल्दबाजी में हुआ है।”

सीपीआई सांसद ने कहा, “अध्याय अब बंद हो चुका है। महत्वपूर्ण बात यह है कि अविश्वास प्रस्ताव संसद में है और इस पर पर्याप्त संख्या में सांसदों के हस्ताक्षर हैं।” इससे पहले बुधवार को कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई द्वारा लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया था।

सीपीआई सांसद से जब उनकी आपत्ति के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि केवल कांग्रेस ही क्यों? I.N.D.I.A के सभी गठबंधन दल अविश्वास प्रस्ताव पर हस्ताक्षर क्यों नहीं करते?

कांग्रेस ने जल्दबाजी की

बिनॉय विश्वम ने कहा, “वह अध्याय बंद हो गया है। अब संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर्याप्त संख्या में सांसदों द्वारा हस्ताक्षरित है। न केवल सीपीआई बल्कि कई दलों का मानना ​​है कि यह प्रभावी और सार्थक होता, अगर भारत के सभी दलों ने हस्ताक्षर द्वारा उस प्रस्ताव में प्रतिनिधित्व किया होता… हम सभी ने जिम्मेदार तरीके से कांग्रेस नेतृत्व के सामने अपनी आपत्ति जताई। कांग्रेस नेतृत्व ने इसे समझा है और वे इतने लोकतांत्रिक हैं कि वे सहमत हुए कि यह जल्दबाजी में हुआ है। हम इसे बड़ा मुद्दा नहीं बनाना चाहते हैं। संसद के अंदर और बाहर भाजपा सरकार से लड़ने में सभी दल एक साथ होंगे…।”

‘काले कपड़े पहनने से कुछ नहीं होता’

संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, “जैसा कि पीएम मोदी ने 2019 में भविष्यवाणी की थी और विपक्ष से 2023 में अविश्वास प्रस्ताव के लिए तैयार रहने को कहा था, वे तैयार होकर तो आए लेकिन थोड़ा विभाजन था। जोशी ने कहा, “कांग्रेस ने अपने सामान्य रवैये के अनुसार, अन्य विपक्षी दलों से परामर्श नहीं लिया। सबसे पहले, विपक्षी दलों के बीच एक-दूसरे के बीच विश्वास होना चाहिए। उसके बाद, वे पीएम मोदी के संबंध में लोगों के विश्वास के बारे में बात कर सकते हैं। काले कपड़े पहनने का कोई फायदा नहीं है। आपको बाद में भी काले कपड़े पहनने होंगे।”

 

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