Acn18.com/गढ़कलेवा में शिफ्ट होने के बाद चौपाटी वालों के व्यवसाय में जबरदस्त गिरावट आई है। चौपाटी में ठेले खोमचे लगाकर परिवार की गाड़ी खींचने वाले छोटे व्यवसायईयों का कहना है,कि व्यवसाय नहीं चलने के कारण उनकी आर्थिक दशा पूरी तरह से चरमरा गई है। गढ़कलेवा में आने के बाद उनका व्यवसाय आधे से भी कम हो गया है। इस स्थिती में उनके सामने आत्महत्या करने की नौबत आ गई है।
एक समय था जब घंटाघर के ओपन थियेटर के मैदान में लगने वाली चौपाटी लोगों से गुलजार रहा करती थी,मगर जब से चौपाटी को गढ़केलवा में शिफ्ट किया गया है,मानो चौपाटी को ग्रहण लग गया है। यहां लोगों की संख्या में जबरदस्त गिरावट आई है और ठेले खोमचे वालों का जीना मुश्किल हो गया है। व्यवसाय कम होने से ठेले और खोमचे वालों को अपना परिवार चलाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। चौपाटी संघ से जुड़े पदाधिकारयिों का कहना है,कि जब से चौपाटी को गढ़कलेवा में लाया गया तब से यहां पर लोगों की भीड़ नदारद हो गई है। शाम 6 बजे के बाद ही लोगों को आने का दौर शुरु होता है,जिससे व्यवसाय आधे से भी कम हो गया है। 50 फीसदी ठेलेवालों ने अपना व्यवसाय भी बंद कर दिया है।
व्यवसाय नहीं होने से लोग काफी परेशान हो गए है। शादी का सीजन शुरु हो गया है और स्कूल का नया शैक्षणिक सत्र भी शुरु हो गया है। ऐसे में पैसे कहां से आएंगे इसी बात को लेकर व्यवसायी चिंतित है। कुछ लोगों का व्यवसाय इतना गिर गया है,कि उनके सामने आत्महत्या करने की नौबत आ गई है। उनका कहना है,कि बेचने के लिए सामान बनाते हैं लेकिन वो बिकता नहीं और मजबूरी में उसे फेंकना पड़ता है। व्यवसाईयों का यह भी कहना है,कि निगम प्रशासन ने वादा किया था,कि सड़कों पर ठेले नहीं लगेंगे,लेकिन निगम की उदासीनता के कारण अब भी सड़कों पर ठेले लग रहे हैं,जिससे चौपाटी वाले खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे है।
व्यवसाईयों का यह भी कहना है,कि बुनियादी सुविधाओं को लेकर भी निगम प्रशासन गंभीर नहीं है। नालियां बजबजा रही है,सफाई नहीं हो रही है,जिसके कारण लोग चौपाटी में आने से कतरा रहे है। कुल मिलाकर चौपाटी में कई तरह की समस्याएं बनी हुई है,जिस निदान करने की अत्यंत जरुरत है।