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छत्तीसगढ़ः अभी लंबा खिंचेगा मानसून, अबकी अक्टूबर में ही हो चुकी है 64% अधिक बरसात

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acn18.comरायपुर। छत्तीसगढ़ में मानसून का साथ अभी लंबा खिंचेगा। सामान्य तौर पर दक्षिण-पश्चिम मानसून वापस लौटते हुए 11 अक्टूबर तक प्रदेश की सीमाओं के बाहर निकल जाता है। इसकी वजह से इस महीने में औसतन 35.6 मिलीमीटर की औसत बरसात होती है। लेकिन इस बार बरसात पीछे लौटते नहीं दिख रहे हैं। 13 अक्टूबर की सुबह तक प्रदेश में 56 मिलीमीटर बरसात हो चुकी है। यह सामान्य से 64% ज्यादा है।

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मौसम विज्ञानी एच.पी. चंद्रा का कहना है, सामान्य तौर पर छत्तीसगढ़ में मानसून का आगमन 10 जून होता है। वहीं विदाई 11 अक्टूबर तक। रायपुर में मानसून की विदाई की सामान्य तिथि 9 अक्टूबर मानी जाती है। लेकिन पिछले 10 सालों में ऐसा केवल दो बार देखा गया है। एक बार 2018 में मानसून की वापसी 5 अक्टूबर को हो गई थी। वहीं 2019 में इसकी वापसी 10 अक्टूबर को हुई। शेष आठ वर्षों में मानसून की वापसी हमेशा 11 अक्टूबर के बाद ही हुई है। 2011 में तो 24 अक्टूबर तक मानसून बना हुआ था।

इस बार भी मानसून के लंबा खिंचने की संभावना बन रही है। रायपुर सहित कई जिलों में गुरुवार को भी मध्यम स्तर की बरसात दर्ज हुई है। आगे भी बरसात जारी रखने के संकेत मिल रहे हैं। मौसम विज्ञानियों का कहना है, मानसून की विदाई रेखा अभी भी उत्तरकाशी, नजीबाबाद, आगरा, ग्वालियर, रतलाम और भरूच तक स्थिर है। पिछले दो दिनों से उसकी स्थिति वहीं बनी है। ऐसे में इसके महीने के आखिर में ही पूरी तरह वापस लौट पाने का अनुमान है।

रायपुर में 52% अधिक पानी बरसा

मौसम विज्ञानी एच.पी. चंद्रा बताते हैं, पिछले दशक के अक्टूबर महीने में रायपुर शहर में अधिकतम 10 दिन तक बरसात का रिकॉर्ड है। इस बार के 13 दिनों में ही कम से कम 8 दिन बरसात हुई है। सामान्य तौर पर रायपुर में 25.2 मिलीमीटर औसत सामान्य बरसात होती है। इस बार 13 अक्टूबर तक ही 38.3 मिमी पानी बरस चुका है। यह सामान्य से 52% अधिक है। अभी बरसात की पूरी संभावना बनी हुई है।

रायपुर में गुरुवार दोपहर को भी तेज बरसात हुई है। - Dainik Bhaskar

रायपुर में गुरुवार दोपहर को भी तेज बरसात हुई है।

इस महीने की बरसात के खतरे अधिक

मौसम विज्ञानियों का कहना है कि अक्टूबर महीने में जो बादल बनते हैं, उनके साथ खतरे कुछ अधिक हैं। इसमें बिजली गिरने की संभावना अधिक रहती है। ऐसे में खुले आसमान के नीचे काम कर रहे लोगों के लिए खतरा बढ़ जाता है। बरसात के साथ बवंडर उठता है। इससे कच्चे मकानों और फसलों, पेड़ों और फलों को नुकसान पहुंचता है। छत्तीसगढ़ में इसी महीने से धान की कटाई शुरू होती है। पानी बरसने से फसल गीली हो जाती है और उसमें अंकुरण होने लगता है।

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