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एमएसपी गारंटी के लिए देश भर में अभियान चलेगा- राजाराम त्रिपाठी

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एमएसपी नहीं तो वोट नहीं का नारा होगा 2024 लोकसभा चुनाव में

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एमएसपी के अभाव में 7 लाख करोड़ हर साल का घाटा उठाते हैं देश के किसान

acn18.com लखनऊ 7 जनवरी : किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलाने को लेकर एमएसपी गारंटी मोर्चा देशभर में अभियान चलाकर किसानों को संगठित करेगा और अपनी आवाज बुलंद करेगा. किसान संगठनों की ओर से गठित एमएसपी गारंटी मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ राजाराम त्रिपाठी ने आज राजधानी लखनऊ में आयोजित प्रेस वार्ता में कहा कि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में किसानों के लिए यह सबसे बड़ा मुद्दा होगा.

देशभर में किसानों को जागरूक व संगठित करने निकले डॉक्टर त्रिपाठी ने कहा कि किसान आंदोलन की समाप्ति पर केंद्र की सरकार ने एमएसपी को लेकर जो वादा किया था उसे अब तक पूरा नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि आज खेती जबरदस्त घाटे का सौदा बन चुकी है और किसानों के बेटे खेती से मुंह मोड़ रहे हैं.उन्होंने कहा कि सरकार अभी केवल 6% उत्पादन ही एमएसटी पर खरीदती है बाकी 94% किसानों का उत्पादन एमएसपी से भी कम रेट पर बिकता है, जिसके कारण किसानों को हर साल लगभग 7 लाख करोड़ का नुकसान होता है । डॉक्टर त्रिपाठी ने कहा कि हर साल किसानों को मिलने वाली सभी प्रकार की सब्सिडी को अलग कर दिया जाए तो भी, देश भर के किसानों को 5 लाख करोड़ का घाटा हर साल सहना पड़ रहा है. इन हालातों में खेती और किसानी कैसे बचेगी यह सोचने का विषय है.

राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि हाल ही में वह उत्तर प्रदेश में बस्ती जिले का दौरा करके लौटे हैं, जहां किसानों ने एमएसपी को लेकर निर्णायक लड़ाई लड़ने पर सहमति जताई है. उन्होंने कहा लखनऊ के बाद वह बुलंदशहर जा रहे हैं जहां किसानों से मुलाकात कर एमएसपी को लेकर आगे की रणनीति बनाएंगे. डॉक्टर त्रिपाठी ने कहा कि उन्होंने तेलंगाना कर्नाटक महाराष्ट्र और देश के कई राज्यों में एमएसपी गारंटी को लेकर उन्होंने दौरा किया है और हर जगह किसान लड़ाई लड़ने को एकजुट है.

एमएसपी गारंटी मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा किसान संगठनों में इस मुद्दे को लेकर जबरदस्त एकता है. आगामी 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर किसान संगठनों ने नारा दिया है कि “एमएसपी नहीं तो वोट नहीं”. उन्होंने कहा एक किसान इस देश की आत्मा है और वह यह दिखा कर रहेंगे कि उनकी अनदेखी कर कोई भी सरकार सत्ता में नहीं रह सकती. डॉक्टर त्रिपाठी ने कहा कि हालत यह है, कि किसानों को बोतलबंद पानी से भी कम कीमत पर अपनी उपज बेचनी पड़ रही है. इस सब के बाद भी सत्ता प्रतिष्ठानों के कानों पर जूं नहीं रेंग रही है.

स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इसमें एमएसपी की बात कहीं गई थी जिस पर आज तक ध्यान नहीं दिया गया. डॉक्टर त्रिपाठी ने कहा कि खुद वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात का मुख्यमंत्री रहते 2011 में गठित कमेटी की अध्यक्षता करते हुए किसानों को एमएसपी दिए जाने की वकालत की थी और 2014 के लोकसभा चुनाव के ठीक पहले इस मुद्दे पर क्षोभ जताते हुए ट्वीट किए थे.

हालांकि सत्ता में आने के बाद एमएसपी का मुद्दा उनके लिए महत्वहीन हो गया डॉक्टर त्रिपाठी ने कहा इस देश की हालत अमेरिका की तर्ज पर कृषि को पीछे रख उद्योगों को तरजीह देने जैसी हो गई है जो कम से कम भारत जैसे कृषि प्रधान देश के लिए उपयुक्त नहीं है. उन्होंने कहा किसान संगठनों ने ठान लिया है एमएसपी को लेकर अब निर्णायक लड़ाई लड़ी जाएगी और इसे हासिल किए बिना चैन नहीं लिया जाएगा.

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