acn18.com /इस सप्ताह आये केंद्रीय बजट पर विपक्ष का हमला अब भी जारी है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बजट प्रावधानों और नीतियों पर लगातार हमलावर हैं। शनिवार को उन्होंने मनरेगा-महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के बजट में कटौती पर तीखी प्रतिक्रिया दी। मुख्यमंत्री ने इस कटौती को भाजपा का मजदूर विरोधी चरित्र बताया। उनका कहना था, भाजपा गरीबों का निवाला छीनकर पूंजीपतियों को देती है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शनिवार दोपहर अपने सोशल मीडिया एकाउंट से एक पोस्ट डाली। लिखा – जब कोरोना के रूप में मानवता पर बड़ा संकट आया तब मनरेगा जैसी योजना मज़दूरों का संबल बनी, उनकी रीढ़ बनी। इस बार मनरेगा का बजट 89, 400 करोड़ रुपए से घटाकर 60, 000 करोड़ रुपया कर दिया गया। यह भाजपा का मज़दूर विरोधी चरित्र है, जो गरीबों के मुंह से निवाला छीनकर पूंजीपतियों को देते हैं।
एक दिन पहले मुख्यमंत्री ने केंद्रीय बजट को अमृतकाल का मृत बजट बताया था। उन्होंने लिखा- अमृत बजट को समझने के लिए कुछ तथ्य आपके साथ साझा कर रहा हूं। यह केंद्रीय बजट 2023-24 किसान, मजदूर, निम्न वर्ग के लिए सिर्फ निराशा का एक और बूस्टर डोज है।
बजट वाले दिन छत्तीसगढ़ के संदर्भ में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा था, यह निर्मला जी का निर्मम बजट कहा जा सकता है। न इसमें युवाओं के लिए कोई सुविधा है, न किसानों की आय दोगुना करने की बात है, न महिलाओं के लिए है और न ही ट्राइब्स के लिए है। न शेड्यूल ट्राइब्स के लिए कुछ है। कहा जाए तो यह बजट केवल चुनाव को देखकर बनाया गया है। इसमें किसी को कोई सहूलियत नहीं दी गई है।
सीएम ने आगे कहा एक चीज चौंकाने वाला है। रेलवे के लिए दो लाख 45 हजार करोड़ रुपए बजट में रखा गया है। क्या यह कर्मचारियों के लिए है? नई भर्ती के लिए है ? ऐसा तो नहीं है कि जैसे एयरपोर्ट को बेचने से पहले सैकड़ों-हजारों करोड़ रूपए उसके नवीनीकरण में लगाया और फिर निजी हाथों में बेच दिया। इसी प्रकार की सोच तो नहीं है कि केंद्र सरकार की कि रेलवे को भी चकाचक कर निजी क्षेत्र को बेच दिया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा था, इस बजट से छत्तीसगढ़ को पूरी तरह से निराशा मिली है।
आर्थिक विकास के मोर्चे पर भी घेरा था
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दो फरवरी को आर्थिक विकास के मोर्चे पर भी केंद्र सरकार को घेरा था। उन्होंने लिखा – आंकड़ों पर नजर डालिए तो पता चल जाएगा। दरअसल अमृतकाल में देश में कथित ऐतिहासिक विकास का दावा असत्य है। वास्तविकता यह है कि UPA के 10 वर्ष के कार्यकाल में GDP की औसत वार्षिक वृद्धि दर NDA के विगत 9 साल के कार्यकाल की तुलना में अधिक रही है।
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