acn18.com गौरेला-पेंड्रा-मरवाही/ गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (GPM) जिले में इन दिनों बांस के पेड़ पर फूल दिखाई दे रहे हैं। दो दशक के बाद लोगों को बांस के फूल देखने को मिल रहे हैं। ग्रामीण अंचल में इसे लेकर अलग-अलग मान्यता है। जिले में ये फूल कोटमी कला के सकोला में सोन नदी से कुछ ही दूरी पर एक खेत से लगे बांस प्लांट में देखने को मिला है।
बांस में फूल आने को लेकर ग्रामीण काफी आशंकित नजर आते हैं। ऐसा माना जाता है कि बांस में फूल आने के बाद अचानक चूहों की तादाद बढ़ जाती है, जिससे किसानों की फसल को नुकसान होता है। हालांकि बहुत से ग्रामीण बांस के फूलों को अच्छा शगुन भी मानते हैं। उनका मानना है कि बांस के फूल खिलने से खुशहाली आती है।
बांस के पेड़ पर उसके अंतिम काल में फूल आते हैं। बांस में फूल आने का मतलब यह होता है कि वह पेड़ अब अपना जीवन काल पूरा कर चुका है। इसके फूलों में गेहूं के दाने की तरह बीज लगते हैं। फूल लगने के बाद पौधे खुद ही मर जाते हैं। वैसे तो बांस के पौधे में फूल लगने का कोई निश्चित समय नहीं होता। वानिकी छात्रा व प्रकृति प्रेमी स्वभा सोनी बताती हैं कि क्षेत्र में कई प्रजाति के बांस पाए जाते हैं, लेकिन एक ही प्रजाति के बांस में एक ही समय फूल आते हैं।
वहीं, पारंपरिक ज्ञान और वैज्ञानिकों के शोध में जो तथ्य सामने आए हैं, उसमें बांस की विभिन्न प्रजातियों में विभिन्न अंतराल पर फूल आना बताया गया है। यह अंतराल 15 से 20 वर्ष तक या इससे भी ज्यादा का हो सकता है। कई लोगों ने बताया कि उन्होंने अपने जीवन में पहली या दूसरी बार बांस में फूल देखे हैं। वहीं पर्यावरण प्रेमी हर्ष सोनी ने बताया कि जिस प्रजाति के बांस के पौधों में फूल लगते हैं, वह प्रजाति एक ही समय में वहां से समाप्त हो जाती है। कई ग्रामीण बांस में फूल आने को अशुभ संकेत भी मानते हैं।
बांस का जीवन 1 साल से 50 साल तक होता है, लेकिन इसमें फूल पेड़ के आखिरी समय में ही खिलते हैं। इसके फूल बहुत छोटे, गेहूं के रंग के, बिना डंठल और छोटे-छोटे गुच्छों में पाए जाते हैं। बांस का फूल जब आता है, तो सूखे के कारण खेती मारी जाती है। माना जाता है कि ये अकाल का संकेत होता है। फूल खिलने पर बांस के पेड़ों की पत्तियां झड़ जाती हैं।