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अयोध्या राम मंदिर के मुख्य पुजारी को ब्रेन हेमरेज:आचार्य सत्येंद्र दास लखनऊ PGI में भर्ती, हालत गंभीर; भक्तों ने की प्रार्थना

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acn18.com   अयोध्या के श्री राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास की अचानक तबीयत बिगड़ गई। उन्हें लखनऊ के संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (SGPGI) में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों के अनुसार, उन्हें ब्रेन हेमरेज हुआ है, हालत नाजुक है।

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रविवार देर रात आचार्य सत्येंद्र दास की तबीयत बिगड़ने पर पहले उन्हें अयोध्या के सिटी न्यूरो केयर हॉस्पिटल ले जाया गया। उनकी स्थिति को देखते हुए डॉक्टरों ने लखनऊ रेफर करने का निर्णय लिया। एम्बुलेंस से उन्हें लखनऊ लाया गया, यहां PGI के न्यूरोलॉजी विभाग की इमरजेंसी यूनिट में भर्ती किया गया।

आचार्य सत्येंद्र दास को PGI के न्यूरोलॉजी विभाग की इमरजेंसी यूनिट में भर्ती कराया गया है।

डॉक्टरों की टीम कर रही निगरानी

सूत्रों के मुताबिक, आचार्य सत्येंद्र दास के स्वास्थ्य की निगरानी के लिए डॉक्टरों की एक विशेष टीम लगाई गई है। अभी तक ऑपरेशन की कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है। आचार्य सत्येंद्र दास के साथ राम जन्मभूमि मंदिर के सहायक पुजारी प्रदीप दास मौजूद हैं। उन्होंने बताया कि आचार्य जी की तबीयत अचानक बिगड़ी थी और डॉक्टरों ने तुरंत लखनऊ ले जाने की सलाह दी।

PGI के न्यूरोलॉजी विभाग की इमरजेंसी यूनिट। यहां आचार्य सत्येंद्र दास को एडमिट किया गया है।

भक्तों ने शुरू की प्रार्थना

मंदिर के पुजारियों और भक्तों ने आचार्य सत्येंद्र दास के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हुए हवन और प्रार्थना शुरू कर दी है।

मंदिर में पूजापाठ जारी रहेगा

राम जन्मभूमि मंदिर प्रशासन ने कहा है कि मंदिर में पूजा-पाठ और अन्य धार्मिक अनुष्ठान पहले की तरह जारी रहेंगे। सहायक पुजारियों की देखरेख में मंदिर की सभी गतिविधियां सुचारू रूप से संचालित की जा रही हैं।

अब जानिए कौन हैं सत्येंद्र दास

राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास।

राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास संत कबीरनगर के रहने वाले हैं। अपने पिताजी के साथ बचपन में अयोध्या में अभिराम दास जी के यहां आते थे। अभिराम दास ने राम जन्मभूमि में 1949 में गर्भगृह में मूर्तियां रखीं थी। 8 फरवरी 1958 को अयोध्या आ गए। परिवार में दो भाई और एक बहन थी। जब उनके पिताजी को पता चला कि वह संन्यासी बनना चाहते हैं तो उन्हें बड़ी खुशी हुई। उन्होंने कहा कि एक बेटा घर पर रहेगा और एक भगवान की सेवा में जाएगा। फिर सत्येंद्र दास अयोध्या आ गए। अब परिवार में भाई है। त्योहार, उत्सव, पूजा इत्यादि पर घर जाते रहते हैं। बहन की मृत्यु हो चुकी है।

1976 में मिली सहायक अध्यापक की नौकरी

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