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अक्षय तृतीया 3 मई को:पहली बार पंच महायोगों में मनेगी आखातीज, अगले 100 तक नहीं आएगा ऐसा दुर्लभ योग

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ACN18.COM /हर तरह की खरीदारी और नई शुरुआत के लिए अबूझ मुहूर्त 3 मई को रहेगा। इस दिन वैशाख शुक्ल पक्ष की तीज यानी अक्षय तृतीया पर्व मनाया जाएगा। स्नान, दान का ये पर्व मंगलवार को रोहिणी नक्षत्र में मनेगा। इस बार पांच ग्रहों की शुभ स्थिति और पांच राजयोग में ये महापर्व मनेगा। अक्षय तृतीया पर ऐसा पंच महायोग आज तक नहीं बना। इस दिन तिथि और नक्षत्र का संयोग 24 घंटे होने से खरीदारी, निवेश और लेन-देन के लिए पूरा दिन शुभ रहेगा।

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पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के मुताबिक इस बार अक्षय तृतीया पर सूर्य, चंद्रमा, शुक्र उच्च राशि में और गुरु, शनि अपनी ही राशि में रहेंगे। साथ ही केदार, शुभ कर्तरी, उभयचरी, विमल और सुमुख नाम के पांच राजयोग बनेंगे। इस दिन शोभन और मातंग नाम के दो शुभ योग और रहेंगे। इस तरह अक्षय तृतीया पर ग्रहों का महासंयोग पहली बार बन रहा है। जिससे इस दिन किए गए कामों से सुख और समृद्धि बढ़ेगी।

100 सालों तक नहीं बनेगा ऐसा शुभ संयोग
ज्योतिषाचार्य पं. प्रफुल्ल भट्ट का कहना है कि अगले 100 सालों तक ऐसा शुभ संयोग नहीं बनेगा जैसा इस बार अक्षय पर्व पर बन रहा है। अक्षय तृतीया पर रोहिणी नक्षत्र का संयोग बहुत शुभ माना जाता है। जो इस बार बन रहा है।

ये पूरे साल अच्छी फसल होने का संकेत है। गेहूं, सोयाबीन और चावल का निर्यात बढ़ सकता है। इस महापर्व पर ग्रह-नक्षत्रों के शुभ संयोग से देश की आर्थिक उन्नति होने के योग बनेंगे। महंगाई पर नियंत्रण रहेगा। व्यापारियों के लिए अच्छा समय रहेगा। हालांकि टैक्स वसूली भी बढ़ सकती है। लेकिन विदेशी निवेश बढ़ेगा। लोगों के हित में नए कानून और योजनाएं बनेंगी। उन पर काम होगा। इस साल सोने के दाम भी और बढ़ सकते हैं।

खरीदारी का महापर्व अक्षय तृतीया
काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी का कहना है कि मंगलवार को तृतीया तिथि होने से सिद्धि योग बन रहा है। इस योग में किए गए हर काम में सफलता मिलना लगभग तय होता है। तृतीया को जया तिथि कहा जाता है। यानी जीत देने वाली। यही वजह है कि इस तिथि में किए गए काम लंबे समय तक फायदा देने वाले होते हैं। यानी उनका अक्षय फल मिलता है। तृतीया मां गौरी की तिथि है।

जो बल-बुद्धि वर्धक मानी गई हैं। ये आरोग्य देने वाली होती है। इस तिथि में किए गए कामों से सौभाग्य वृद्धि होती है। इसमें इच्छित आभूषण की खरीदी और शुभ काम करने से सुख-समृद्धि बढ़ती है। इसलिए इस दिन को अक्षय तृतीया कहा जाता है और इसी वजह से इस दिन की गई खरीदारी सुख और समृद्धि देने वाली होती है।

अक्षय तृतीया पर खरीदा सामान स्थायी समृद्धि का प्रतीक
अक्षय तृतीया पर खरीदी ज्वेलरी और सामान शाश्वत समृद्धि के प्रतीक है। इस दिन खरीदा और पहना गया सोना अखण्ड सौभाग्य का प्रतीक होता है। इस दिन शुरू किए किसी भी नए काम या किसी भी काम में लगाई पूंजी में लंबे समय तक फायदा होता है। माना जाता है कि इस दिन खरीदा सोना कभी खत्म नहीं होता, क्योंकि भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी खुद उसकी रक्षा करते हैं।

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