आज (18 फरवरी) महाशिवरात्रि है। इस दिन की गई शिव पूजा से सभी देवी-देवताओं की कृपा मिल सकती है। शिवरात्रि पर रात में जाग कर शिव पूजा करने की परंपरा है। एक कथा के अनुसार, एक बार पार्वती जी ने शिव जी से पूछा था कि ऐसा कौन सा व्रत है, जिससे इंसान आपकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं? इस प्रश्न के उत्तर में शिव जी ने कहा था कि महाशिवरात्रि का व्रत और इस दिन पूजा करने से भक्त मेरी कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
कोलकाता की एस्ट्रोलॉजर डॉ. दीक्षा राठी के मुताबिक, शिव जी के साथ ही श्रीराम की भी पूजा की जाए तो भक्तों की मनोकामनाएं जल्दी पूरी हो सकती हैं।
गोस्वामी तुलसीदास ने श्रीरामचरित मानस में लिखा है कि
श्रीराम कहते हैं, शिवद्रोही मम दास कहावा।
सो नर सपनेहु मोहि नहिं भावा।।
इस चौपाई में श्रीराम कह रहे हैं कि जो व्यक्ति शिव को छोड़कर मुझे पाना चाहता है, वह सपने में भी मुझे प्राप्त नहीं कर सकता।
शिव पूजा करने वाले भक्तों को श्रीराम की भी कृपा मिलती है। ठीक इसी तरह जो लोग श्रीराम की पूजा करते हैं, उन्हें शिव जी की कृपा मिलती है, क्योंकि शिव जी श्रीराम को अपना आराध्य मानते हैं।
महाशिवरात्रि पर शिव पूजा के साथ श्रीराम चरित मानस पाठ का जरूर करना चाहिए। इसके साथ ही राम नाम का जप भी करें।
महाशिवरात्रि से जुड़ी मान्यताएं
फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि पर महाशिवरात्रि मनाते हैं। इस तिथि के स्वामी शिव जी ही हैं। मान्यता है कि इसी तिथि पर सृष्टि के प्रारंभ में रात के समय ब्रह्मा-विष्णु के सामने शिव जी लिंग रूप में प्रकट हुए थे। जब प्रलय काल आता है, तब इसी तिथि पर प्रदोष के समय शिव जी तांडव करते हुए ब्रह्मांड को समाप्त कर देते हैं। इस वजह से महाशिवरात्रि को कालरात्रि भी कहा जाता है। दक्षिण भारत का प्रसिद्ध ग्रंथ है नटराजम्। इस ग्रंथ में शिव जी के बारे में लिखा है कि मधुमास यानी चैत्र माह के पूर्व यानी फाल्गुन मास की चतुर्दशी को शिव पूजा करने से भक्तों की कोई इच्छा अधूरी नहीं रहती है।