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महाशिवरात्रि शनिवार को:सिर्फ जल और बिल्व पत्र चढ़ाकर भी कर सकते हैं शिव पूजा, जानिए ताजे बिल्व पत्र न मिले तो क्या करें?

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शनिवार, 18 फरवरी को महाशिवरात्रि है। शिवरात्रि पर विशेष पूजा-पाठ, अभिषेक नहीं कर पा रहे हैं तो ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करते हुए जल और बिल्व पत्र चढ़ाकर भी शिव पूजा की जा सकती है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, शिव पूजा जल और बिल्व पत्र के बिना पूरी नहीं होती है। कोई भक्त शिवलिंग पर सिर्फ बिल्व पत्र चढ़ाता है, तब भी उसे शिव कृपा मिल सकती है। शिवपुराण में लिखा है कि एक शिकारी ने अनजाने में शिवलिंग पर बिल्व पत्र चढ़ाए थे, अनजाने में की गई शिकारी की इस पूजा से ही भगवान शिव प्रसन्न हो गए थे।

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शिव पूजा में बिल्व पत्र क्यों चढ़ाते हैं?

इस परंपरा के पीछे समुद्र मंथन की कथा है। जब देवता और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया तो सबसे पहले हलाहल विष निकला तो शिव जी ने इस विष को पी लिया था। इस विष की वजह से शिव जी के शरीर में गर्मी बढ़ने लगी थी। मान्यता है कि उस समय सभी देवी-देवताओं ने शिव जी को जल, बिल्व पत्र और ऐसी चीजें खिलाई थीं, जिनसे उन्हें शीतलता मिली। बिल्व पत्र एक औषधि भी है। इससे शरीर की गर्मी को शांत होती है। इस मान्यता की वजह से शिवलिंग पर जल और बिल्व पत्र चढ़ाए जाते हैं।

बिल्व के पेड़ की धार्मिक मान्यता

बिल्व के पेड़ को शिव जी का स्वरूप माना गया है। इसे श्रीवृक्ष भी कहा जाता है। श्री महालक्ष्मी का एक नाम है। इस कारण बिल्व की पूजा से लक्ष्मी जी भी प्रसन्न होती हैं। इस पेड़ की जड़ों में गिरिजा देवी, तने में महेश्वरी, शाखाओं में दक्षायनी, पत्तियों में पार्वती, फूलों में गौरी और फलों में देवी कात्यायनी का वास माना गया है।

बार-बार धोकर कई दिनों तक शिवलिंग पर चढ़ा सकते हैं बिल्व पत्र

शिवलिंग पर चढ़ाया गया बिल्व पत्र बासी नहीं माना जाता है। शिवलिंग पर चढ़े हुए बिल्व पत्र को बार-बार धोकर कई दिनों तक चढ़ाया जा सकता है। ध्यान रखें बिल्व पत्र चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, द्वादशी, चतुर्दशी, अमावस्या, पूर्णिमा, संक्रांति और सोमवार को नहीं तोड़ना चाहिए। दोपहर के बाद भी बिल्व पत्र न तोड़ें। अगर इन तिथियों पर बिल्व पत्र की आवश्यकता हो तो एक दिन पहले ही बिल्व पत्र तोड़ लें। अगर इन तिथियों पर पुराने पत्ते न मिले तो शिवलिंग पर चढ़े हुए बिल्व पत्र को धोकर फिर चढ़ा सकते हैं।

शिवलिंग पर ये फूल और पत्तियां भी चढ़ा सकते हैं

बिल्व पत्र के साथ ही शमी के पत्ते, धतूरा, आंकड़े के फूल, गुलाब, कमल आदि फूल शिवलिंग पर चढ़ा सकते हैं। ध्यान रखें केतकी के फूल और तुलसी के पत्ते शिवलिंग पर न चढ़ाएं।

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