acn18.com रायपुर/ एनएच गोयल वर्ल्ड स्कूल में आज से तीन दिवसीय विक्रम साराभाई स्पेस प्रदर्शनी शुरू हो रहा है। प्रदर्शनी के लिए इसरो की 10 सदस्यीय टीम भी रायपुर पहुंची है, जो स्टूडेंट्स को मोटिवेट करने के साथ ही इसराे की जर्नी, अंतरिक्षयान की खासियत के बारे में बताएगी। प्रदर्शनी में विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर अहमदाबाद के हेड व सीनियर साइंटिस्ट डॉ एनजी भट्ट, साइंटिस्ट डॉ एसपी व्यास, डॉ रचना पटनायक सहित डॉ परेश स्टूडेंट्स से रूबरू होंगे।
उद्घाटन कार्यक्रम में शिक्षामंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम, अधिकारी राजेश सिंह राणा, गोयल समूह के चेयरमैन सुरेश गोयल व अन्य मौजूद रहेंगे। वहीं समापन कार्यक्रम में शिक्षा सचिव डॉ एस भारतीदासन शामिल होंगे। प्रदर्शनी में शामिल होने के लिए सरकारी और प्राइवेट स्कूल्स के 20 हज़ार बच्चों को इनवाइट किया है।
4 स्लॉट में होगी प्रदर्शनी
प्रदर्शनी 4 स्लॉट में होगी। पहले स्लॉट में साइंटिस्ट टॉक, दूसरा डॉक्यूमेंट्री, तीसरा एग्जीबिशन और चौथा रौकेट लॉन्च की बेसिक जानकारी होगी। चौथे स्लॉट में बेसिक जानकारी देने के साथ ही एक्टिविटी के बारे में भी बताया जाएगा। वहीं साइंटिस्ट टॉक में बच्चे इसरो के साइंटिस्ट के साथ चर्चा करेंगे। वहीं डॉक्यूमेंट्री में इसरो की अभी तक की जर्नी दिखाई जाएगी। साथ ही प्रदर्शनी में इसराे द्वारा किए गए कार्यों को मॉडल और प्रजेंटेशन के जरिए दिखाया जाएगा। ये चारों स्लॉट लगभग 1 घंटे 20 मिनट की होगी।
104 सैटेलाइट एक साथ लॉन्च किया तो मस्क भी प्रेशर में आ गया
सीनियर साइंटिस्ट डॉ एनजे भट्ट ने बताया कि इसरो का सक्सेस रेट 95 प्रतिशत है, जबकि नासा का 60 प्रतिशत। नासा अभी इसरो के साथ काम करना चाह रही है। जब इंडिया ने 104 सैटेलाइट एक साथ लॉन्च किया तो एलन मस्क को भी प्रेशर आ गया था। हम बहुत आगे चल रहे हैं। गगनयान मिशन के लिए अब ह्यूमन ट्रायल भी होने वाला है।
इसरो में टीम वर्क होता है, यहां कोई ये नहीं कह सकता कि मैंने किया है। अंतरिक्ष में किसी यान में कोई समस्या आती है तो उसका सेम मॉडल बनाकर उसे साॅल्व करते हैं। आज स्पेस की डिमांड बढ़ गई है। हमारा उद्देश्य स्टूडेंट्स में साइंटिफिक टेम्परामेंट डेवलप करना और इसरो में जाने के लिए गाइड करना है। रायपुर के बाद एग्जीबिशन भिलाई में होगा।
पहली बार बुक एग्जीबिशन भी
डॉ. रचना पटनायक ने बताया कि एग्जीबिशन में हम पहली बार एक नया प्रयोग करने जा रहे हैं। हम किताब एग्जीबिशन भी रख रहे हैं, जिसके लिए हम साइंटिस्ट्स द्वारा लिखी गई 50 बुक्स और एटलस भी लेकर आए हैं। वहीं हमारे बुक्स ऑनलाइन भी हैं, जिसका क्यूआर कोड भी बनाया गया है। इस दौरान क्यूआर कोड वाले पंपलेट भी बांटेंगे। ताकि स्टूडेंट्स कहीं से भी स्कैन करके बुक्स पढ़ सकें। बुक्स में अंतरिक्ष पर लिखी किताबें, वहां कैसे वार्तालाप किया जाता है, वहीं सैटेलाइट पर लिखी गई कविताओं की किताब भी होगी।
चैट जीपीटी भारत में भी हो बैन
डॉ. रचना पटनायक ने बताया कि कई देशों में चैट जीपीटी बैन कर दिया गया है, लेकिन भारत में अभी भी इसका उपयोग किया जा रहा है। इससे बच्चों के थिंकिंग पॉवर पर इफेक्ट पड़ रहा है। इसमें एक दिन के अंदर ही काफी संख्या में बच्चों ने असाइनमेंट चालू कर दिया। लॉन्च होने के शाम को ही जब मैंने इस पर रिसर्च किया तो पता चला कि इसमें केवल 3 प्रतिशत की सिमिलॅरिटी मिल रही है। इसका एआई इतना स्ट्रॉन्ग है कि व्यक्ति के माइंड से भी आगे निकल जा रहा है। ये काफी घातक हो सकता है।