दो दिन बाद मांगलिक कामों पर रोक लग जाएगी। कारण कि सूर्य 16 दिसंबर को सुबह तकरीबन 10 बजे धनु राशि में प्रवेश कर जाएगा। इससे 16 दिसंबर से धनुर्मास यानी खर मास शुरू हो जाएगा। नए साल में 14 जनवरी को सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ ही खरमास समाप्त होगा। इसके बाद ही शुभ कार्य शुरू हो सकेंगे। इसलिए विवाह आदि मांगलिक काम के लिए अगला शुभ मुहूर्त 15 जनवरी को रहेगा।
साल में 2 बार सूर्य होता है बृहस्पति की राशि में
सूर्य साल में दो बार बृहस्पति की राशियों में एक-एक महीने के लिए रहता है। इनमें 15 दिसंबर से 15 जनवरी तक धनु और 15 मार्च से 15 अप्रैल तक मीन राशि में। इसलिए इन 2 महीनों में जब सूर्य और बृहस्पति का संयोग बनता है तो किसी भी तरह के मांगलिक काम नहीं किए जाते हैं।
सूर्य से होते हैं मौसमी बदलाव
ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि सूर्य के राशि परिवर्तन से ऋतुएं बदलती हैं। खरमास के दौरान हेमंत ऋतु रहती है। सूर्य के धनु राशि में आते ही दिन छोटे और रातें बड़ी होने लगती हैं। साथ ही मौसम में भी बदलाव होने लगता है। गुरु की राशि में सूर्य के आने से मौसम में अचानक अनचाहे बदलाव भी होते हैं। इसलिए कई बार खरमास के दौरान बादल, धुंध, बारिश और बर्फबारी भी होती है।
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान सूर्यदेव सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर लगातार ब्रह्मांड की परिक्रमा करते हैं। सूर्य देव को कहीं भी रुकने की इजाजत नहीं है, लेकिन रथ में जुड़े घोड़े लगातार चलने से थक जाते हैं। घोड़ों की ये हालत देखकर सूर्यदेव का मन द्रवित हो गया और वे घोड़ों को तालाब के किनारे ले गए, लेकिन तभी उन्हें एहसास हुआ कि अगर रथ रुका तो अनर्थ हो जाएगा।
मान्यता: गधों ने रथ खींचा, इसलिए हुआ खरमास
तालाब के पास दो खर मौजूद थे। मान्यता के मुताबिक सूर्यदेव ने घोड़ों को पानी पीने और आराम करने के लिए वहां छोड़ दिया और खर यानी गधों को रथ में जोत लिया। गधों को सूर्यदेव का रथ खींचने में जद्दोजहद करने से रथ की गति हल्की हो गई और जैसे-तैसे सूर्यदेव इस एक मास का चक्र पूरा किया। घोड़ों के विश्राम करने के बाद सूर्य का रथ फिर अपनी गति में लौट आया। इस तरह हर साल यह क्रम चलता रहता है। यही वजह है कि हर साल खरमास लगता है।