acn18.com कोरबा/कोयला से बिजली बनाने की प्रक्रिया में बिजलीघर से प्रतिदिन कई लाख टन राख उत्सर्जित हो रही है। इसके सुरक्षित भंडारण के दावों के विपरीत राख के उड़ने से बड़े हिस्से प्रदूषित हो रहे है। धनरास गाव कि लोग इसी समस्या से जूझ रहे हैं। उन्होंने समस्या के लिए एनटीपीसी को जिम्मेदार ठहराया है।
छत्तीसगढ़ सहित कई प्रदेश को बिजली की आपूर्ति करने की व्यवस्था कोरबा जिले में स्थित नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन के प्लांट से की गई है। स्थापना के वर्षों में इसकी उत्पादन क्षमता 2100 मेगावाट थी जो बीते कुछ वर्षों में बढ़कर 2600 मेगावाट हो गई है। इस बिजलीघर को संचालित करने के लिए एनटीपीसी ने साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के गेवरा दीपका माइंस के साथ करार किया हुआ है जहां से उसे पर्याप्त मात्रा में कोयला प्राप्त होता है। एनटीपीसी में बिजली उत्पादन के लिए प्रयोग में लाए जाने वाले कोयला की बड़ी मात्रा राख के रूप में निकलती है। एनटीपीसी में इसके लिए धनरास में राखड़ बांध बनाया है। तमाम तरह के विकल्पों पर काम करने के बावजूद यहां से उड़ने वाली राख आसपास के कई गांव के लिए सिरदर्द बनी हुई है और लोग लगातार हालाकान रहे हैं। सबसे बड़ी समस्या उनके स्वास्थ्य को लेकर गहराती जा रही है
ग्रामीणों ने बताया कि पूरी समस्या के लिए एनटीपीसी ही एकमात्र कारण है लेकिन जब इस बारे में शिकायत की जाती है तो वह अपना पल्ला झाड़ लेता है और बड़ी सफाई से झूठ बोल देता है कि राख उसकी नहीं है।
इससे पहले कई मौकों पर वायु प्रदूषण की समस्या को लेकर ग्रामीणों ने मोर्चा खोला था। पर्यावरण संरक्षण मंडल के अलावा प्रशासन से जुड़े लोगों को समस्या के बारे में जानकारी तो है लेकिन नोटिस देने के अलावा और कुछ नहीं किया जा रहा है। इन कारणों से एनटीपीसी के हौसले बुलंद है और वह मनमानी करने पर उतारू है।