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पाकिस्तान में बन रहे हैं मंदिर:संत युधिष्ठिर ने कहा- वहां के बिजनेस में हिंदुओं की स्थिति अच्छी, लेकिन मुसलमानों के साथ पार्टनरशिप की मजबूरी

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acn18.com रायपुर/रायपुर से भारतीय हिंदू तीर्थयात्रियों का समूह 22 नवंबर से 3 दिसंबर 2022 तक सिंध के शदाणी दरबार हयात पिताफी में सतगुरु शादाराम साहिब की 314वीं जयंती समारोह में भाग लेने के लिए पाकिस्तान गया था। 125 लोगों का समूह अब 12 दिन बाद सोमवार को भारत लौट आया है। वहां से आए लोगों ने कहा कि वहां अब हिंदू शैली के मंदिर भी बन रहे हैं। पहले मंदिरों को सामान्य मकानों की तरह रखना पड़ता था।

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रायपुर के शदाणी दरबार के 9वें गुरू डॉ युधिष्ठिर ने इस यात्रा पर बातचीत की। जिसमें उन्होंने धार्मिक बातों के साथ ही पाकिस्तान में हिंदुओं की दशा पर भी बात की। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का हिंदू समुदाय बिजनेस में अच्छी हिस्सेदारी रखता है, लेकिन अच्छा व्यापार करने के लिए वहां के पावरफुल मुसलमानों का सपोर्ट होना जरूरी है। साथ-साथ स्थानीय दिग्गजों से पार्टनरशिप करें, तो बिजनेस में रुकावट नहीं आती है। वहां बहुसंख्यक लोग उर्दू भाषी हैं, ऐसे में स्थानीय लोगों का सपोर्ट होने से आसानी होती है।

शदाणी दरबार।
शदाणी दरबार।

पाक में हिंदू नेताओं का भी अहम रोल

डॉ. युधिष्ठिर ने बताया कि पाकिस्तान में कई बार हिंदुओं के मंदिरों और धार्मिक जगहों पर कुछ कट्टरपंथी विचार के लोगों द्वारा हमला कर दिया जाता है। बीते कुछ समय पहले गणेश मंदिर और एक देवी के मंदिर पर भी हमला किया गया था। जिसके बाद पाकिस्तान के हिंदू सांसद ही हमलों के खिलाफ आगे आए। भारत की राजनीति के जैसे ही पाकिस्तान की राजनीति में भी जाति और धर्म बहुत बड़ा फैक्टर है। हिंदू डोमिनेटेड जगहों पर गैरमुस्लिम नेता ही चुनाव जीतते हैं।

शदाणी दरबार के 9वें गुरु डॉ युधिष्ठिर।
शदाणी दरबार के 9वें गुरु डॉ युधिष्ठिर।

धार्मिक सभाओं से कट्टरपंथी धर्मांतरण का खेल फेल हो जाता है

डॉ. युधिष्ठिर ने बताया कि शदाणी दरबार के प्रवचनों और सभाओं से वहां के हिंदुओं को आत्मबल मिलता है। वे अपने सनातन धर्म के साथ ही रहना चाहते हैं। साथ ही सामाजिक कार्यों से वे खुश रहते हैं। यहां बड़ी संख्या में मुस्लिम लोग भी मेडिकल कैंप में आकर इलाज करवाते हैं। वे इन सभाओं में हिंदुओं की विशाल एकता और उदारता दोनों देखते हैं। शदाणी दरबार ने वहां कॉलेज बनवाने के लिए जमीन भी दान की है। कॉलेज का नाम शदाणी गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज रखा जाएगा।

हालांकि कुछ समय पहले सरहद पार से आए रमेश, धर्मदास (बदला हुआ नाम) ने बताया कि वहां जीवन बड़ा दुश्वार था। कट्टरपंथी उनको जीने नहीं देते। बाजार-मार्केट में निकलने पर बहू-बेटियों पर फब्तियां कसते हैं। दुकानों से जबरन वसूली करते हैं। इन लोगों का कहना है कि अब तो हिंदुओं की कुंवारी लड़कियों ही नहीं, बल्कि विवाहिताओं का अपहरण करके जबरन उनका धर्मांतरण करवा निकाह कर लिया जाता है। उनका कहना है कि अब भारत ही एकमात्र सहारा है।

ज्यादातर मकान जैसे मंदिर ही रहते हैं

डॉ युधिष्ठिर ने बताया कि एग्रीमेंट प्रोटोकॉल के बाद पिछले 34 सालों से शदाणी दरबार से हिंदुओं का जत्था पाकिस्तान जाता है। पहले के समय वहां के मंदिर केवल सामान्य मकानों की तरह ही दिखते थे। वहीं अब कुछ शदाणी दरबार के मंदिरों में गुंबद और कलश की स्थापना हो रही है। साथ ही भारतीय शैलियों में मंदिर बन रहे हैं।

आजादी के बाद से ही पाकिस्तान में रहने वाले सिंधी हिंदू लोगों ने संघर्ष किया है। उन्होंने खुद को साबित भी किया। हिन्दू हमेशा शांत और समर्पण के साथ रहे हैं। भारत-पाकिस्तान के रिश्तों की बेहतरी के लिए सिंधी समुदाय ने हमेशा काम किया है। पाकिस्तान के अधिकारी यह जानते हैं कि शदाणी दरबार के संत हिंदुओं की भलाई के लिए काम करते हैं। यदि पाकिस्तान अपने पड़ोसी के साथ मधुर रिश्ते चाहता है, तो उन्हें राजनीतिक रूप से पहली शुरुआत करनी होगी, क्योंकि भारत ने कई बार दोस्ती का हाथ बढ़ाया है। भारत हमेशा से ही सर्वे भवन्तु सुखिनः में विश्वास करता है।

धर्म के दार्शनिक पक्ष में उन्होंने बताया कि भजन-कीर्तन केवल कुछ समय के लिए ही व्यक्ति को प्रभावित करता है, जबकि व्यक्ति को अंदर से बदलने के लिए ज्ञान, सभ्यता और संस्कार तीनों की जरूरत है। हवन, कलश यात्रा और धार्मिक चर्चा के माध्यम से हमारे सनातन धर्म का संदेश लाखों पाकिस्तानी हिंदू तक पहुंचता है। उनमें अंध श्रद्धाभक्ति दूर हो रही है। वे तार्किक चीजों को समझ रहे हैं। इस तरह हर साल प्रोटोकॉल एग्रीमेंट के तहत 12 दिनों की यात्रा होती है। जिसमें हर साल सिंधी समुदाय के लोग पाकिस्तान के प्राचीन 8 मंदिरों को घूमने जाते हैं।

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