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राजीव गांधी हत्याकांड की स्पेशल जांच एजेंसी भंग:24 साल पहले जैन आयोग की सिफारिश पर बनी थी, विदेशी साजिश का पता लगा रही थी

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acn18.com नई दिल्ली/केंद्र सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या की जांच के लिए बनाई गई स्पेशल जांच एजेंसी को भंग कर दिया है। यह मल्टी डिसीप्लीनरी मॉनिटरिंग एजेंसी (MDMA) राजीव गांधी की हत्या के पीछे किसी बड़ी साजिश की जांच के लिए बनाई गई थी। इसे 1988 में जैन आयोग की सिफारिश पर बनाया गया था।

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यह स्पेशल एजेंसी यानी MDMA पिछले 24 साल से CBI के तहत काम कर रही थी। इसमें कई केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों के अफसर शामिल थे। न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, एजेंसी को भंग करने का आदेश मई में जारी किया गया था। इस मामले में आगे की जांच CBI की एक अलग यूनिट करेगी।

आत्मघाती हमले से पहले खींची गई राजीव गांधी की आखिरी तस्वीर। स्कूली बच्ची के पीछे सिर में नारंगी फूल लगाए धनु ने ही उन्हें फूलों का हार पहनाकर विस्फोट किया था।
आत्मघाती हमले से पहले खींची गई राजीव गांधी की आखिरी तस्वीर। स्कूली बच्ची के पीछे सिर में नारंगी फूल लगाए धनु ने ही उन्हें फूलों का हार पहनाकर विस्फोट किया था।

शुरुआत में दो साल के लिए बनी थी MDMA
राजीव गांधी की हत्या तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में 21 मई 1991 को हुई थी। उन पर लिट्टे कार्यकर्ता धनु ने आत्मघाती हमला किया था। केस की जांच के लिए गठित जैन आयोग ने 1998 में हत्या के पीछे विदेशी साजिश की जांच के लिए स्पेशल एजेंसी बनाने की सिफारिश की थी। शुरुआत में दो साल के लिए बनी MDMA को अब तक हर साल एक्सटेंशन दिया जा रहा था, लेकिन यह केस से जुड़ी कोई बड़ी कामयाबी हासिल करने में नाकाम रही।

श्रीलंका, UK सहित 24 देशों से मांगा था ब्योरा
MDMA पुलिस उप महानिरीक्षक यानी DIG रैंक के अफसर की अगुआई में काम कर रही थी। इसने हत्या से जुड़े लोगों के बैंकिंग लेनदेन और कनेक्शन्स की जानकारी हासिल करने के लिए श्रीलंका, यूनाइटेड किंगडम और मलेशिया जैसे देशों को 24 लेटर भेजे थे। एजेंसी को इनमें से 20 से ज्यादा के जवाब भी मिल चुके थे। न्यूज एजेंसी PTI ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि इस केस में ज्यूडिशियल या दूसरे कानूनी पहलुओं को भी अब CBI ही देखेगी।

यह तस्वीर राजीव गांधी की हत्या के अगले दिन की है। उनका शव तमिलनाडु से दिल्ली लाया गया था, जहां उनका अंतिम संस्कार हुआ था।
यह तस्वीर राजीव गांधी की हत्या के अगले दिन की है। उनका शव तमिलनाडु से दिल्ली लाया गया था, जहां उनका अंतिम संस्कार हुआ था।

चुनावी रैली में हुई थी राजीव गांधी की हत्या
राजीव गांधी की 21 मई, 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक चुनावी रैली के दौरान धनु नाम की एक लिट्टे आत्मघाती हमलावर ने हत्या कर दी थी। लिट्टे की महिला आतंकी धनु (तेनमोजि राजरत्नम) ने राजीव को फूलों का हार पहनाने के बाद उनके पैर छूए और झुकते हुए कमर पर बंधे विस्फोटकों में ब्लास्ट कर दिया। धमाका इतना जबर्दस्त था कि कई लोगों के चीथड़े उड़ गए। राजीव और हमलावर धनु समेत 16 लोगों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई, जबकि 45 लोग गंभीर रूप से घायल हुए।

श्रीलंका में शांति सेना भेजने से नाराज था लिट्टे
राजीव ने अपने कार्यकाल में श्रीलंका में शांति सेना भेजी थी, जिससे तमिल विद्रोही संगठन लिट्टे (लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम) उनसे नाराज चल रहा था। 1991 में जब लोकसभा चुनावों के लिए प्रचार करने राजीव गांधी चेन्नई के पास श्रीपेरम्बदूर गए तो वहां लिट्टे ने राजीव पर आत्मघाती हमला करवाया।

देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री थे राजीव गांधी
1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने। लोकसभा चुनावों में कांग्रेस तीन-चौथाई सीटें जीतने में कामयाब रही थी। उस समय कांग्रेस ने 533 में से पार्टी ने 414 सीटें जीतीं। राजीव जब प्रधानमंत्री बने, तब उनकी उम्र महज 40 साल थी। वे देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री रहे। उन्होंने अपने कार्यकाल में स्कूलों में कंप्यूटर लगाने की व्यापक योजना बनाई। राजीव गांधी के कार्यकाल में ही जवाहर नवोदय विद्यालय स्थापित हुए। गांव-गांव तक PCO के जरिए टेलीफोन पहुंचे।

इस दौरान भ्रष्टाचार के आरोप भी उन पर लगे। सिख दंगे, भोपाल गैस कांड, शाहबानो केस, बोफोर्स कांड, काला धन और श्रीलंका नीति को लेकर राजीव सरकार की आलोचना हुई। लिहाजा चुनाव में कांग्रेस की हार हुई और वीपी सिंह की सरकार बनी। 1990 में ये सरकार गिर गई और कांग्रेस के समर्थन से चंद्रशेखर की सरकार बनी। 1991 में यह सरकार भी गिर गई और चुनाव का ऐलान हुआ। इन्हीं चुनावों के लिए प्रचार करने राजीव तमिलनाडु गए थे। जहां उनकी हत्या कर दी गई।

राजीव के हत्यारों की रिहाई की अंतहीन कोशिशें
राजीव गांधी की हत्या के मामले में ट्रायल कोर्ट ने साजिश में शामिल 26 दोषियों को मृत्युदंड दिया था। मई 1999 में सुप्रीम कोर्ट ने 19 लोगों को बरी कर दिया। बचे हुए सात में से चार आरोपियों (नलिनी, मुरुगन उर्फ श्रीहरन, संथन और पेरारिवलन) को मृत्युदंड सुनाया और बाकी (रविचंद्रन, रॉबर्ट पायस और जयकुमार) को उम्रकैद। चारों की दया याचिका पर तमिलनाडु के राज्यपाल ने नलिनी की मृत्युदंड को उम्रकैद में बदला। बाकी आरोपियों की दया याचिका 2011 में राष्ट्रपति ने ठुकरा दी।

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