छत्तीसगढ़ में शराबबंदी का वादा कर कांग्रेस सत्ता में जरूर आई थी, लेकिन लगातार इसके मंत्री-नेता शराब के पक्ष में बयान दे रहे हैं। स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ प्रेमसाय सिंह टेकाम के बाद अब मरवाही के पूर्व विधायक और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पहलवान सिंह मरावी का भी विवादित बयान सामने आया है। शुक्रवार को उन्होंने कहा कि शराब आज से ही नहीं बल्कि सतयुग से लोग पीते आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसके 10 नाम हैं। अलग-अलग जगहों पर इसे अलग-अलग नामों से पहचाना जाता है।
कांग्रेस नेता पहलवान सिंह मरावी ने मंत्री प्रेमसाय सिंह के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि देवताओं के राजा इंद्र सोमरस पीते थे, वो भी दारू ही थी। ताड़ी भी दारू है और सल्फी भी दारू है। उन्होंने कहा कि एक आदिवासी मंत्री जी ने कहा कि दारू को डायल्यूट करके पीयो, उसमें पानी मिलाकर पीयो, तो उसमें कुछ गलत नहीं है, क्योंकि ये थोड़ा तेज होता है। चूंकि आदिवासी लोग सीधे कच्ची महुआ पी लेते हैं, तो इसलिए उन्होंने ऐसा कहा। उन्होंने कहा कि जब देवराज इंद्र सोमरस पी सकते हैं, तो फिर हमारी क्या बिसात है।
पहलवान सिंह मरावी ने कहा कि दारू कभी भी बंद नहीं होगी। चाहे कोई विधायक-मंत्री वादा कर ले, बाद में वो मुकर जाएंगे। शराब का चाहे कितना भी विरोध हो, ये चलती रहेगी। चार युग चौहत्तर चौघड़ी से लोग शराब पीते आ रहे हैं और पीते रहेंगे। उन्होंने कहा कि देश की अधिकांश आबादी शराब चख चुकी है।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम ने भी की थी शराब की हिमायत
राज्य सरकार के छत्तीसगढ़ में ढाई साल पूरे होने के मौके पर पिछले साल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने भी साफ कर दिया था कि वे राज्य में पूर्ण शराबबंदी के पक्ष में नहीं हैं। उन्होंने कहा था कि ‘प्रदेश का 60 प्रतिशत हिस्सा आदिवासी बहुल है। वे खुद इसी समाज से आते हैं। आदिवासियों के रीति-रिवाज और नेम में शराब महत्वपूर्ण है। पिछले कुछ वर्षों से तर्पण में शराब की जगह महुआ के फूलों का उपयोग होने लगा है, लेकिन अन्य रीति-रिवाजों में शराब का महत्व बना हुआ है। इसलिए अधिसूचित क्षेत्रों में पूर्ण शराबबंदी संभव नहीं है।’ हालांकि उन्होंने इसे अपनी निजी राय बताया था।
मरवाही विधायक केके ध्रुव ने शराब को बताया नुकसानदायक
इधर शुक्रवार 2 सितंबर को मरवाही विधायक डॉ केके ध्रुव ने कहा कि पानी मिलाने से शराब की तीव्रता जरूर कम हो जाजी है, लेकिन दारू की सलाह देना नुकसानदायक ही है। अब उच्च शिक्षा मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम ने किस संदर्भ में ये बात कही थी, मैं नहीं जानता, इसलिए उस पर टिप्पणी नहीं कर सकता। हालांकि उन्होंने ये जरूर कहा कि आदिवासी समाज में शराब को अधिकार के रूप में उपयोग किया जाता है।
मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम ने शराब को लेकर दिया था विवादित बयान
स्कूल शिक्षामंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने 31 अगस्त को वाड्रफनगर में आयोजित नशा मुक्ति अभियान में शराब को लेकर विवादित बयान दिया था। उन्होंने मशहूर कवि हरिवंश राय बच्चन की किताब मधुशाला के एक छंद का जिक्र करते हुए कहा था कि ‘मंदिर-मस्जिद झगड़ा कराते, मधुशाला एक कराती है, लेकिन आत्मनियंत्रण होना चाहिए। हम भी चुनाव-सुनाव में उपयोग कर लेते हैं।’ मंत्री जी ने इसके बाद बाकायदा शराब पीने का तरीका भी समझाया।