acn18.com बालोद/ देश में मनाए जा रहे आजादी के अमृत महोत्सव के बीच आज यानी गुरुवार को रक्षाबंधन है। ऐसे में छत्तीसगढ़ के बालोद में ग्रीन कमांडो कहे जाने वाले वीरेंद्र सिंह ने एक बार फिर अलग अंदाज में रक्षाबंधन का पर्व मनाया। उन्होंने पीपल के पेड़ को 5 फीट की राखी बांधने के साथ ही घर तिरंगा अभियान का संकल्प लिया। खास बात यह है कि जो राखी पेड़ को बांधी गई वह पूरी तरह से वेस्ट मटेरियल से बनी है। ऐसे में एक राखी से कई संदेश भी दिए गए।
दरअसल, दल्लीराजहरा क्षेत्र में वीरेंद्र सिंह सालों से पर्यावरण बचाने के लिए काम कर रहे हैं। इसी के तहत इस बार उन्होंने पेड़ों को बचाने के साथ ही आजादी के अमृत महोत्सव में भी योगदान दिया। इस संकल्प में स्थानीय किसानों को भी शामिल किया गया है। उनकी मदद से वेस्ट मटेरियल के जरिए राखी बनाकर पेड़ को बांधी। इस राखी के बीच में तिरंगा बना हुआ है और साथ ही हर घर तिरंगा अभियान का संदेश भी लिखा है।
वेस्ट मटेरियल को रिसाइकिल करना अनिवार्य
वेस्ट मटेरियल से बनाई गई यह राखी करीब 5 फीट की है, जो काफी आकर्षक लग रही है। इसे बनाने में पुराने कपड़े, बांस के टुकड़ों और रिबन का उपयोग किया गया है। इसे बनाने में कितना समय लगा, यह तो वीरेंद्र सिंह ने नहीं बताया। हालांकि वह यह जरूर कहते हैं कि पर्यावरण संरक्षण जीवन और आने वाले भविष्य के लिए बहुत जरूरी है। ऐसे में वेस्ट मटेरियल को रिसाइकल करना आज अनिवार्य हो गया है। यह बड़ा कचरा धरती पर बन रहे हैं।
जितना अपने भाई-बहन से प्रेम करते हैं, उतना पेड़ों से करें
ग्रीन कमांडो वीरेंद्र सिंह कहते हैं कि इस राखी का उद्देश्य ही है कि हम वनों को सहेंजे, पर्यावरण बचाएं। जितना प्रेम हम अपने भाई-बहनों से करते हैं, उतना इन पेड़-पौधों से भी करना चाहिए, क्योंकि ये हैं, तो हम हैं। ग्रीन कमांडों का कहना है कि पूरा देश आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है। हम भी इससे प्रेरित हैं और लोगों को भी प्रेरित चल रहे हैं। इस राखी के जरिए इस बात का भी संदेश दिया गया है। वह करीब 11 साल से जल, जंगल और वन्य प्राणियों के संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं।
प्राइवेट स्कूल का एक टीचर, बन गया वाटर हीरो
मूल रूप से बालोद के रहने वाले 46 साल के वीरेंद्र सिंह दल्ली राजहरा के एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाते थे। वहां भी उन्होंने स्थानीय लोगों और पुलिसकर्मियों के साथ मिलकर सैकड़ों पौधे रोपे, जो अब पेड़ बनकर लोगों को छांव के साथ ऑक्सीजन भी दे रहे हैं। इसे देखते हुए लोग प्यार से उन्हें ग्रीन कमांडो बुलाने लगे। पर्यावरण बचाने की उनकी इस लगन के चलते ही केंद्र सरकार ने साल 2020 में उन्हें वाटर हीरो के सम्मान से नवाजा है।