ACN18.COM रायपुर / वस्तु एवं सेवा कर (GST) में अगले महीने से बड़े परिवर्तन होने जा रहे हैं। उसमें से एक है राज्यों के लिए 14% संरक्षित राजस्व अथवा क्षतिपूर्ति का खात्मा। यह व्यवस्था 30 जून से खत्म हो रही है। GST परिषद की बैठक से ठीक पहले छत्तीसगढ़ ने इसपर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। प्रदेश के वाणिज्यिक कर मंत्री टीएस सिंहदेव ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर इस व्यवस्था को कम से कम पांच साल तक जारी रखने की मांग की है।
टीएस सिंहदेव ने लिखा है, 14% संरक्षित राजस्व का प्रावधान 30 जून 2022 से समाप्त हो जाएगा। इसे कम से कम 5 वर्षों तक जारी रखा जाना चाहिए। छत्तीसगढ़ जैसे खनन और विनिर्माण राज्य, जो उपभोक्ता नहीं हैं, उनको बहुत अधिक राजस्व का नुकसान होता है। सिंहदेव ने कहा है कि वे GST काउंसिल की बैठक में शामिल होना चाहते थे। 25 जून को वे कोरोना संक्रमित पाए गए। इसकी वजह से वे बैठक में हिस्सा नहीं ले पाएंगे। सिंहदेव ने लिखा है कि केंद्रीय वित्त मंत्री उनके पत्र को GST काउंसिल के समक्ष रखने की अनुमति दें और सुझावों को इस काउंसिल की बैठक के रिकॉर्ड में ले लिया जाए।
वाणिज्यिक कर मंत्री टीएस सिंहदेव ने लिखा है, GST के तहत राज्य को वित्तीय वर्ष 2018-19 में 2 हजार 786 करोड़, 2019-20 में 3 हजार 176 करोड़, 2020-21 में 3 हजार 620 करोड़ और 2021-22 में 4 हजार 127 करोड़ का भारी राजस्व नुकसान हुआ है। जिसे उपकर प्रावधान के माध्यम से मुआवजा देने के लिए प्रदान किया गया था। अगर हमें भारत की एक प्रभावी संघीय इकाई के रूप में कार्य करना है, तो राजस्व के ऐसे नुकसान के साथ सामाजिक क्षेत्र में पूंजी शीर्ष विकास, रोजगार और निवेश का निवेश करना असंभव होगा, जिसकी भरपाई नहीं की जा सकती।
संरक्षित राजस्व नहीं तो करों के बंटवारे में राज्य की हिस्सेदारी बढ़ाने की मांग
मंत्री टीएस सिंहदेव ने अपने पत्र में नुकसान आदि का हवाला देते हुए लिखा कि उपरोक्त कारणों से हम 14% संरक्षित राजस्व प्रावधान को जारी रखने के लिए GST परिषद में प्रस्ताव प्रस्तुत कर रहे हैं। यदि सुरक्षात्मक राजस्व प्रावधान जारी नहीं रखा जाता है तो CGST और SGST के लिए 50% फॉर्मूला को SGST 80-70% और CGST 20-30% में बदल दिया जाना चाहिए।
संविधान के संघीय ढांचे का हवाला दिया
टीएस सिंहदेव ने लिखा, यदि राज्य सरकार अपने नागरिकों की जरुरतों और आकांक्षाओं को पूरा करने में असमर्थ है तो सभी राज्य सरकारों के लिए मजबूत और स्वतंत्र वित्तीय संसाधनों के बिना हमारे संविधान में वर्णित संघीय संरचना निरर्थक हो जाएगी। सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में GST परिषद की प्रकृति, शक्तियों और दायरे के बारे में एक ऐतिहासिक निर्णय दिया है। कहा गया है कि जब तक हम GST परिषद में इसके सदस्य के रूप में एकतरफा रूप से भारत में प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के लिए तर्कसंगत राजस्व प्राप्ति के माध्यम से वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित नहीं करते हैं, तब तक जिस अवधारणा के लिए GSTपरिषद को रखा गया था, वह अस्थिर हो सकती है।