उत्तर प्रदेश में 22 जुलाई से शुरू हो रही कांवड़ यात्रा पर प्रशासन विवादों में घिरता दिख रहा है। मुजफ्फरनगर पुलिस ने 3 दिन पहले (15 जुलाई को) जारी एक आदेश में कहा था कि कांवड़ रास्ते की दुकानों में मालिक अपना नाम लिखवाएं, ताकि कांवड़ियों में कंफ्यूजन न हो। इस आदेश के बाद अब राजनीति शुरू हो गई है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव और AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इस पर सवाल उठाए हैं।
ओवैसी ने मुजफ्फरनगर पुलिस की तुलना हिटलर से की है। वहीं, अखिलेश ने कहा- जिसका नाम गुड्डू, मुन्ना, छोटू या फत्ते है, उसके नाम से क्या पता चलेगा? कोर्ट इस मामले में स्वत: संज्ञान ले। ऐसे आदेश सामाजिक अपराध हैं। जवाब में एसएसपी ने कहा- यह परंपरा रही है और भ्रम की स्थिति से बचने के लिए ऐसा किया गया।
वहीं, TMC के राज्यसभा सांसद साकेत गोखले ने मुजफ्फरनगर पुलिस के खिलाफ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) में केस दर्ज कराया है। गोखले के मुताबिक, आदेश भेदभाव करने वाला है। साथ ही उन्होंने SSP मुजफ्फरनगर के तर्क को मूर्खतापूर्ण बताया।
अब जानिए, मुजफ्फरनगर पुलिस को ये आदेश क्यों देना पड़ा
बघरा के योग साधना केंद्र के संस्थापक स्वामी यशवीर आश्रम महाराज ने चेतावनी दी थी कि कांवड़ रास्ते पर पड़ने वाले मुस्लिम होटल संचालक अपना नाम नहीं लिखेंगे तो आंदोलन छेड़ देंगे।
उन्होंने आरोप लगाया कि मुसलमानों ने हिंदू देवी-देवताओं के नाम पर होटल खोले हैं। इससे श्रद्धालु भ्रमित हो जाते हैं। पुलिस जांच में ऐसे 8 होटल मिले, जो मुसलमानों के थे, लेकिन होटलों के नाम हिंदू देवी-देवताओं के नाम पर रखे गए थे।
इसके बाद SSP अभिषेक सिंह ने अपील की कि अपने होटल का नाम बदल लें और वहां काम करने वालों के नाम बोर्ड पर लिखवा दें।
मुजफ्फनगर जिले से होते हुए कांवड़िए हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और यूपी के अलग-अलग जिलों में जाते हैं। हरिद्वार से हर साल 4 करोड़ कांवड़िए कांवड़ उठाते हैं। ढाई करोड़ से ज्यादा कांवड़िए मुजफ्फरनगर से होकर जाते हैं।
स्वामी यशवीर आश्रम महाराज की चेतावनी के बाद पुलिस ने जांच की। इसमें 8 होटल ऐसे मिले, जिनके मालिक मुसलमान थे, लेकिन होटलों के नाम हिंदू देवी-देवताओं के नाम पर रखे थे। इसके बाद SSP अभिषेक सिंह ने सभी होटल मालिकों से अपील की कि अपने होटल का नाम बदल लें।