Acn18.com/केंद्र में मोदी सरकार की वापसी होने के साथ ही नई नई व्यवस्थाओं को लागू किया जा रहा है। सरकार गठन के साथ ही भाजपा ने सौ दिन का एजेंडा तय कर दिया है,जिसके अंतर्गत 44 श्रम कानूनों को चार कोड में बदलने की तैयारी सरकार द्वारा की जा रही है,जिसके लेकर श्रमिक नेताओं में नाराजगी देखी जा रही है। श्रमिक नेता चाहते हैं,कि श्रम कानूनों में किसी तरह का बदलाव नहीं होना चाहिए।
केंद्र में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के बाद भाजपा श्रम कानूनों में बदलाव करने की तैयारियों में जुट गई है। नई सरकार के गठन के बाद भाजपा सौ दिन का एजेंडा लेकर चल रही है जिसके तहत 44 श्रम कानूनों को चार कोड में बदलने जा रही है,जिसे लेकर श्रमिक नेताओं में काफी नाराजगी देखी जा रही है। श्रमिक नेताओं ने बताया,कि सरकार सबसे महत्वपूर्ण बदलाव श्रमिक संगठनों का चुनाव कराने जा रही है। पहले पांचो श्रमिक संगठन एक टेबल में बैठक कर श्रमिकों के हित में बात करते थे लेकिन नई व्यवस्था के तहत श्रमिक संगठनों का चुनाव होगा और जिसे 51 प्रतिशत वोट मिलेगा वहीं श्रमिकों के हित में अपनी सहभागिता निभाएगा।
श्रम कानूनों में दूसरा महत्वपूर्ण बदलाव हड़ताल को लेकर है,जिसके तहत अगर उद्योग जगत में हड़ताल होता है,तो उसकी जिम्मेदारी श्रमिक संगठन को लेनी होगी और उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी और जेल भी जाना पड़ सकता है। इस मामले को लेकर श्रमिक नेताओं ने कहा,कि सरकार पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए श्रम कानूनों को बदलने चाह रही ही है। कानून में बदलाव होगा,तो यूनियन का रोल पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा।
श्रमिक संगठनों ने स्पष्ट रुप से कह दिया है,कि सरकार अगर श्रम कानूनों को बदलने का प्रयास करेगा तो,वे चुप नहीं रहेंगे और खुलकर इसका विरोध करेंगे।