नई दिल्ली। हर साल 19 जून को विश्व सिकल सेल (World Sickle Cell) डे मनाया जाता है। सिकल सेल एक जेनेटिक बीमारी है, जो माता-पिता से बच्चों में ट्रांसफर होती है। इसमें रेड ब्लड सेल्स में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और सेल का आकार गोल नहीं बनता है। जिसकी वजह से यह सेल आधे चांद या फिर हंसिए की तरह नजर आता है। इसलिए इसे सिकल (हंसिया) सेल कहते हैं। जिसके चलते बच्चे की ग्रोथ पर असर पड़ता है। सिकल सेल बीमारी से प्रभावित बच्चे की ग्रोथ सही तरीके से नहीं होती। साथ ही दूसरे बच्चों की तुलना में उसकी इम्युनिटी भी कमजोर होती है।समय पर इस बीमारी का न कराया जाए, तो यह जानलेवा भी हो सकती है। इन्हीं सबके बारे में लोगों को जागरूक करने के मकसद से यह दिन मनाया जाता है। भारत में यह बीमारी खासतौर से छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, पूर्वी गुजरात, महाराष्ट्र, पश्चिमी ओडिशा और उत्तरी तमिलनाडु में ज्यादा देखने को मिलती है।
विश्व सिकल सेल दिवस का इतिहास
इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने के मकसद से 22 दिसंबर 2008 को संयुक्त राष्ट्र की महासभा में 19 जून को विश्व सिकल सेल जागरूकता दिवस (World Sickle Cell Awareness Day) के रूप में मनाए जाने का फैसला लिया गया था। जिसके बाद से हर साल इस दिन को विश्व स्तर पर मनाया जाता है। पहली बार सिकल सेल जागरूकता दिवस 19 जून 2009 को आयोजित किया गया था। ग्लोबल अलायंस ऑफ सिकल सेल डिजीज आर्गेनाईजेशन की स्थापना 10 जनवरी, 2020 को एम्स्टर्डम, नीदरलैंड में की गई थी।
विश्व सिकल सेल दिवस 2024 की थीम
विश्व सिकल सेल दिवस को हर साल एक नई थीम के साथ मनाया जाता है। इस साल विश्व सिकल सेल दिवस की थीम है- Hope Through Progress: Advancing Sickle Cell Care Globally’
साल 2023 में इसकी थीम थी- ” वैश्विक सिकल सेल समुदायों का निर्माण और सुदृढ़ीकरण, नवजात शिशुओं की जांच को औपचारिक बनाना और अपनी सिकल सेल रोग स्थिति को जानना”।
साल 2022 में इस दिन को ‘शाइन द लाइट ऑन सिकल सेल’ थीम के साथ मनाया गया था।