acn18.com नई दिल्ली। हिंदू नववर्ष ‘विक्रम संवत 2081’ की शुरुआत के साथ अयोध्या स्थित राम मंदिर में रामनवमी पर्व को ऐतिहासिक बनाने की तैयारियां भी चल रही हैं। एक ओर जहां इसी साल नव्य-भव्य राम मंदिर का उद्घाटन हुआ है, वहीं अब राम मंदिर में विज्ञान का चमत्कार भी रामनवमी को देखने को मिलेगा, जिसमें प्राकृतिक रचना और मानवीय संरचना का अनूठा संगम होगा।
चैत्र नवरात्र की नवमी को रामनवमी महापर्व होता है, जिसके उत्सव के लिए इस बार राम मंदिर के गर्भगृह में स्थापित रामलला के नूतन विग्रह पर सूर्य की किरणों से तिलक होगा। राम मंदिर की स्थापना और उद्घाटन के बाद यह पहली बार होगा। सूर्य तिलक के लिए विज्ञान की मदद ली गई है।
क्या है प्रोजेक्ट सूर्य तिलक
ट्रस्ट ने इसकी सूर्य तिलक के प्रबंधन व संयोजन का दायित्व रुड़की के सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों को सौंपा है। इस आयोजन को प्रोजेक्ट ‘सूर्य तिलक’ का नाम दिया गया है। वैज्ञानिकों ने एक पद्धति विकसित की, जिसमें मिरर, लेंस व पीतल का प्रयोग हुआ है। इसके संचालन के लिए बिजली या बैटरी की भी आवश्यकता नहीं होगी। प्रत्येक वर्ष रामनवमी पर रामलला का सूर्य तिलक होगा।
नीचे दिए गए ग्राफिक्स में समझें सूर्य तिलक की प्रक्रिया-
ढाई से पांच मिनट तक होगा अभिषेक
रामनवमी के दिन मध्य बेला में 12 बजे रामलला का ढाई से पांच मिनट तक सूर्य की किरणों से अभिषेक होगा। इस अवधि में सूर्य की किरणें सीधे रामलला के ललाट पर आपतित (गिरेंगी) होंगी। रश्मियों से मुख मंडल भी आलोकित होगा। इसी समय राम जन्मोत्सव का उल्लास भी प्रस्फुटित होगा।
सोमवार को इसका सफल परीक्षण भी कर लिया गया है। मंदिर की व्यवस्था से जुड़े विहिप नेता गोपाल ने परीक्षण की सफलता की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि रविवार को भी इसका परीक्षण हुआ था, जिसमें सफलता प्राप्त हुई।
ट्रस्ट ने की थी प्रोजेक्ट की परिकल्पना
जानकारों का मानना है कि दुनिया में बहुत ही कम मंदिर ऐसे हैं, जहां भगवान की मूर्ति पर सूर्य किरण से तिलक होता हो। भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या में राम मंदिर को भव्यातिभव्य बनाने के लिए श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने इसकी परिकल्पना बहुत पहले कर ली थी।