acn18.com कोरबा/ रेल सुविधा के मामले में कोरबा की अपेक्षा का मामला नया बिल्कुल नहीं है । काफी समय से इस तरह की समस्याओं से कोरबा जिले के नागरिक परेशान हो रहे हैं। हाल में ही रेलवे के द्वारा कई रेलगाड़ियां को निरस्त कर देने से औद्योगिक जिले की जनता हलकान हो गई है । हालात ऐसे हैं कि बिलासपुर से कोरबा आने के लिए लोगों को कई घंटे की प्रतीक्षा करनी पड़ रही है और ज्यादा रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं।
साउथ ईस्टर्न सेंट्रल रेलवे के साथ-साथ रेल मंत्रालय के लिए प्रतिवर्ष 2000 करोड़ से ज्यादा धनराशि का राजस्व कोरबा जिला देता है। इसमें यात्री परिवहन और कोयला परिवहन की सबसे बड़ी भूमिका शामिल है । कोरबा जिले में साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की 20 खदानें संचालित हो रही है। यहां से रेल मार्ग के जरिए देश के विभिन्न क्षेत्रों में कोयला खनिज की आपूर्ति व्यावसायिक और घरेलू उपयोग के लिए की जा रही है। इस तरह से पूर्व के बहाने कोयला कंपनी और रेलवे मालामाल हो रही है लेकिन इसकी बड़ी कीमत क्षेत्र के नागरिकों को अलग-अलग तरीके से चुकानी पड़ रही है। एनटीपीसी, छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल, इंडियन ऑल कॉरपोरेशन, साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड, भारत अल्युमिनियम कंपनी के अलावा अनेक छोटे-बड़े उद्योगों की स्थापना कोरबा जिले में है और इनमें पूरे देश भर के लोग अधिकारी कर्मचारी और ठेका कामगार के तौर पर काम कर रहे हैं । ऐसे में इन लोगों को अपने अपने प्रयोजन के लिए विभिन्न क्षेत्रों की यात्रा करनी होती है। इन सब चीजों को जानने के बावजूद रेलवे ने सबसे ज्यादा भीड़भाड़ वाली ट्रेन सारनाथ एक्सप्रेस को 10. 15 दिन के लिए नहीं बल्कि पूरे 77 दिन के लिए रद्द कर दिया है। रेलवे के तुगलकी फरमान के कारण मध्य प्रदेश उत्तर प्रदेश और बिहार की तरफ यात्रा करने वाले वर्ग के लिए अब परेशानी पैदा हो गई है। यही नहीं रेलवे के द्वारा कोरबा से अमृतसर के लिए संचालित की जा रही छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस को भी अगले कुछ महीनो के लिए बंद करना तय कर लिया है। इसके पीछे ठंड के मौसम में होने वाले कोहरे को से बड़ा कारण बताया है। कोरबा क्षेत्र में नागरिकों से हमने बातचीत की, जिस पर उन्होंने अपनी नाराजगी जताई और रेलवे पर भड़ास निकाली।
भले ही भारत सरकार के साथ- बिलासपुर रेल जोन के अधिकारी कोरबा को प्राथमिकता देने और कई प्रकार की सुविधा दिए जाने को लेकर समय-समय पर दावे किया करते हैं लेकिन वास्तविकता क्या है यह सबके सामने है। जिस तरह से बार-बार कोरबा से चलाई जा रही यात्री गाड़ियों को निरस्त करने के कदम उठाए जा रहे हैं, उससे लोगों की नाराजगी का बढ़ना लाजिमी है। इन सबके साथ यह भी कड़वी सच्चाई है कि कोरबा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र को सुविधा संपन्न बनाने के लिए जिस स्तर पर प्रभावी आंदोलन होने चाहिए थे, वे बीते वर्षों में कभी भी जमीन पर नजर नहीं आए । शायद यही कारण है कि साउथ ईस्टर्न सेंट्रल रेलवे के बिलासपुर जोन से लेकर ऊपर के अधिकारी कोरबा में किसी को भाव देना उचित नहीं समझते।
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