Acn18.com/राधा अष्टमी को राधा रानी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। राधा अष्टमी हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है।
राधा अष्टमी के दिन भक्त व्रत रखते हैं। देवी राधा की पूजा मध्याह्न काल के दौरान की जाती है जो दिन के हिंदू विभाजन के अनुसार दोपहर का समय है। वर्तमान में राधा अष्टमी अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार अगस्त या सितंबर माह में आती है।
राधा अष्टमी व्रत का महत्व- राधा अष्टमी के दिन भक्त श्रीकृष्ण और राधा रानी की पूजा-अर्चना करने के साथ ही व्रत भी रखते हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण व राधा रानी की विधिवत पूजा करने से सुख-समृद्धि व खुशहाली का आगमन होता है और महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
राधा अष्टमी पर बन रहे शुभ संयोग- राधा अष्टमी के दिन सौभाग्य व शोभन योग का शुभ संयोग बन रहा है। सौभाग्य योग रात 09 बजकर 31 मिनट तक रहेगा और इसके बाद शोभन योग प्रारंभ होगा। मान्यता है कि इस योग में किए गए कार्य शुभ फलदायी होते हैं।
राधा अष्टमी 2023 शुभ मुहूर्त- भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 22 सितंबर को दोपहर 01 बजकर 35 मिनट से प्रारंभ होगी और 23 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगी।
राधा अष्टमी 2023 पूजन मुहूर्त- राधा अष्टमी के दिन पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 01 मिनट से शुरू होगा और दोपहर 01 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगा। पूजन की कुल अवधि 02 घंटे 25 मिनट है।
राधा अष्टमी व्रत की पूजा विधि-
-प्रातःकाल स्नानादि से निवृत्त हो जाएं।
-इसके बाद मंडप के नीचे मंडल बनाकर उसके मध्यभाग में मिट्टी या तांबे का कलश स्थापित करें।
-कलश पर तांबे का पात्र रखें।
– अब इस पात्र पर वस्त्राभूषण से सुसज्जित राधाजी की सोने (संभव हो तो) की मूर्ति स्थापित करें।
-तत्पश्चात राधाजी का षोडशोपचार से पूजन करें।
– ध्यान रहे कि पूजा का समय ठीक मध्याह्न का होना चाहिए।
-पूजन पश्चात पूरा उपवास करें अथवा एक समय भोजन करें।
– दूसरे दिन श्रद्धानुसार सुहागिन स्त्रियों तथा ब्राह्मणों को भोजन कराएं व उन्हें दक्षिणा दें।