जांजगीर जिला के पामगढ़ में नसों की लापरवाही की वजह से अब एक मां कभी बच्चा नहीं पैदा कर पाएंगी। पामगढ़ अस्पताल में गंभीर स्थिति में प्रसव पीड़िता महिला को भगवान भरोसे ही छोड़ दिया था। बिलासपुर के निजी अस्पताल में इलाज के बाद जान बचाने में मिली सफलता लेकिन डॉक्टरों ने साफ-साफ कह दिया कि अब यह दोबारा मां नहीं बन पाएगी। फहद पति ने पामगढ़ के ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी को आवेदन देकर लापरवाही पर रखने वालों पर उचित कार्रवाई की मांग की है।
पामगढ़ के ग्राम भद्र निवासी पीड़ित पतीले ने बताया कि 24 अगस्त को प्रसव पीड़ा होने पर अपनी पत्नी अंजलि को पामगढ़ के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया रात भर रूकने के बाद सुबह लगभग 8:00 बजे उसने एक बच्चों को जन्म दिया। बच्चा पैदा होने के बाद नर्सो ने कहां की सामान्य प्रसव हुआ है किंतु ब्लड नहीं रुक रहा है इसे जिला चिकित्सालय रेफर कर दिया। जहां तीन दिनों तक महिला का उपचार करने के बाद छुट्टी दे दी गई। घर पहुंचने के बाद महिला के परिजनों को पता चला कि उसका टांका खुल गया है। दूसरे दिन से पुणे पामगढ़ के अस्पताल लेकर पहुंचे जहां एक सफाई कर्मी द्वारा टांका लगा दिया गया। कुछ दिनों बाद वह टांका फिर खुल गया जिसे पुणे लेकर अस्पताल पहुंचे जिस पर नर्सो ने बता दिया कि अब इसका इलाज यहां नहीं हो पाएगा बाहर लेकर चले जाएं। परिजनों में से बिलासपुर के सिंह अस्पताल लेकर पहुंचे जहां डॉक्टरों ने साफ बता दिया कि प्रसव के दौरान बच्चा बच्चे को निकालने के लिए यहां पर को काटा गया है। आर्य गंभीर रूप ले चुका है जल्द ही ऑपरेशन नहीं किया गया तो महिला की जान भी जा सकती है यह सुनकर परिजन हड़बड़े और उसे तत्काल नीचे अस्पताल में ऑपरेशन कारण ऑपरेशन के बाद महिला की जान तो बच गई लेकिन डॉक्टरों ने साफ कह दिया कि अब वह दोबारा मन नहीं बन सकती। डॉक्टरों की इस बात को लेकर परिजन सकते में है उन्होंने खंड चिकित्सा अधिकारी को ज्ञापन सौंप कर लापरवाही पर रखने वाले पर कार्रवाई करने की मांग की है।
शिकायत मिलने के बाद खंड चिकित्सा अधिकारी सौरभ यादव ने बताया कि अस्पताल में इस प्रकार की शिकायत मिली है जांच के बाद दोषियों पर उचित कार्रवाई की जाएगी।