Acn18.com/सार्वजनिक पंडाल में स्थापित होने वाली गणेश प्रतिमाओं में एक ऐसी प्रतिमा भी है जिसे सोने के मुकुट से सजाया जाता है। छत्तीसगढ़ में यह इकलौती ऐसी प्रतिमा होती है जिसे हर साल इसी श्रृंगार के साथ स्थापित किया जाता है। रायपुर के गोल बाजार में यह प्रतिमा विराजित होती है।
श्री बजरंग नवयुवक मित्र मंडल गणेश उत्सव समिति हनुमान मंदिर गोल बाजार में गणेश उत्सव की तैयारी पूरी कर ली गई है। यही सोने के मुकुट वाले भगवान गणेश को विराजमान किया जाएगा। इस बार भगवान गणेश रिद्धि सिद्धि के साथ विराजमान होंगे। झांकी की भी खास सजावट की जा रही है।
समिति के पदाधिकारी केदार गुप्ता ने बताया कि स्वर्ण मुकुट से श्रृंगार होने वाली सार्वजनिक गणेश उत्सव की यह पहली ऐसी प्रतिमा होती है। साल 2018 में स्थानीय व्यापारियों की मदद से स्वर्ण मुकुट तैयार किया गया, जिसे भगवान को समर्पित किया जाता है। रायपुर के गोल बाजार गणेश उत्सव की विशेष मान्यता है।
35 लाख से अधिक है कीमत
कुछ अलग करने की चाहत के साथ सोने के मुकुट को समिति ने तैयार करवाया। वर्तमान बाजार मूल्य के मुताबिक 700 ग्राम के इस सोने के मुकुट की कीमत 35 लाख रुपए से अधिक है। इसे समिति में ही वापस सुरक्षित रखा जाता है। सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में पंडाल की सुरक्षा का ध्यान भी रखा जाता है।
झांकी में दिखेगी कृष्ण लीला
गोल बाजार के पंडाल में इस बार झांकी में भगवान कृष्ण की लीलाएं देखने मिलेगी, सुदामा और कृष्ण की मित्रता के भाव के साथ झांकी में राधा रानी का प्रेम भी दिखेगा। भगवान कृष्ण राधा जी को मेहंदी लगाते नजर आएंगे। मीरा की भक्ति के भाव भी दिखाई देंगे।
VIP का लगता है तांता
गोल बाजार के इस गणेश उत्सव में शामिल होने दूर-दराज से आम लोग भी पहुंचते हैं और खास लोग भी कई नेता राजनीतिक दलों के पदाधिकारी मंत्री अफसर भी इस गणेश पंडाल के दर्शन करने पहुंचते हैं ।
प्रशासन ने जारी की गाइडलाइन
जिला प्रशासन ने गणेश उत्सव को लेकर सार्वजनिक समितियां डीजे-धुमाल वालों के लिए गाइडलाइन भी जारी की है। हाल ही में पुलिस कंट्रोल रूम में इसे लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक भी आयोजित की गई थी। जिसमें अधिकारियों ने कुछ खास निर्देश जारी किए हैं। आम सड़क पर पूजा पंडाल, स्वागत द्वार नहीं लगाए जाएंगे।
वाहनों की पार्किंग व्यवस्था उपलब्ध करानी होगी। तेज आवाज में लाउडस्पीकर डीजे धुमाल नहीं बजाए जाएंगे। रात 10 बजे के बाद डीजे नहीं बजाने के निर्देश दिए गए हैं। 1 अक्टूबर तक अनिवार्य रूप से सभी प्रतिमाओं का विसर्जन करना होगा।