Acn18.com/छत्तीसगढ़ में एक बार फिर मानसून एक्टिव हो गया है। रायपुर समेत कई जिलों में सोमवार शाम के बाद तेज बारिश हुई। मौसम विभाग ने आज दंतेवाड़ा, सुकमा और बीजापुर जिले के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। यहां भारी से अति भारी बारिश हो सकती है।कांकेर, गरियाबंद, धमतरी, कोंडागांव और नारायणपुर जिले में मध्यम से भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया है।
प्रदेश में झमाझम बारिश से मानसून का कोटा अभी से फुल हो गया है। तो कई जिलों में औसत से भी कम बारिश हुई है। 12 जिले प्रदेश में ऐसे हैं, जहां अब भी सामान्य से कम बारिश हुई है। सरगुजा जिले में सूखे के हालात हैं।
मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक पूरे प्रदेश में इस समय 767.4 मिलीमीटर औसत बारिश रिकॉर्ड की गई है। सरगुजा जिले में 62 फीसदी कम बारिश हुई है। जिसने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। यहां सितंबर माह में अच्छी बारिश की उम्मीदें जुड़ी हैं।
इन जिलों में हुई सामान्य से कम बारिश
मौसम विभाग के 1 जून से 4 अगस्त तक के आंकड़ों के मुताबिक बलरामपुर जिले में 28 फीसदी कम बारिश, बस्तर में 22 फीसदी कम, बेमेतरा में 20 फीसदी, दंतेवाड़ा में 25 प्रतिशत। गरियाबंद जिले में 22 फीसदी। जांजगीर में 37 प्रतिशत, जशपुर में 50 फीसदी कम बारिश। कबीरधाम में 36 प्रतिशत बारिश कम हुई है।
कांकेर जिले में 29 फीसदी, कोंडागांव में 37 प्रतिशत, कोरबा में 34 फीसदी, कोरिया में 28, नारायणपुर में 26 और सूरजपुर में 33 प्रतिशत कम बारिश रिकॉर्ड की गई है।
खेती के लिए ये सप्ताह सबसे अहम
मौसम और कृषि के जानकारों के मुताबिक सोमवार को कई जगहों पर अच्छी बारिश हुई है और आने वाले दो दिनों में प्रदेश में बारिश की संभावना है। हालांकि कम वर्षा से प्रभावित ज्यादातर जिले उत्तर छत्तीसगढ़ यानी सरगुजा संभाग के हैं। ऐसे में वहां बारिश की जरुरत है।
मौसम विभाग ने दक्षिण छत्तीसगढ़ यानी बस्तर संभाग के लिए ही अलर्ट जारी किया है। बीते दो दिनों में राहत की बारिश जरूर हुई है। जिससे फसलों को फिर से खड़ा होने में मदद मिली है। लेकिन इस हफ्ते अगर सभी जगहों पर अच्छी बारिश नहीं होती है तब खरीफ फसलों को नुकसान हो सकता है।
बांधों में 76 फीसदी से ज्यादा पानी
प्रदेश में भले ही 12 जिलों में सूखे का संकट गहरा रहा हो लेकिन ज्यादातर बांधों में पर्याप्त पानी है। छत्तीसगढ़ के 46 प्रमुख बाधों में वर्तमान में कुल क्षमता का करीब 76 फीसदी से ज्यादा पानी भराव है। इस बीच कई जिलों में प्रभावित किसानों द्वारा खरीफ फसलों को बचाने के लिए जलाशयों से पानी छोड़ने की मांग की जा रही है।
बड़े बांधों में से मिनीमाता बांगों में 81, रविशंकर सागर (गंगरेल) में 68, तांदुला में 65, दुधावा में 72, सिकासार में 70, खारंग में 83, सोंदूर में 55, मुरूमसिल्ली में 29, कोडार में 72, मनियारी में 82, केलो में 74 पानी भरा है।
इसी तरह मध्यम श्रेणी के बांधों में खरखरा में 92, गोंदली में 76, कोसारटेड़ा में 70, परालकोट में 325, श्याम में 87, छिरपानी में 92, पिपरियानाला में 90, बल्लार में 73, सुतियापाट में 89, मोंगरा में 89, मरोदा में 64, सरोदा में 81, घोंघा में 66, मटियामोती में 83, झुमका में 98, गेज टैंक 43 और खमारपाकुट में 73 प्रतिशत पानी भराव है।
मानसून के कई सारे सिस्टम एक्टिव
मौसम विशेषज्ञ एचपी चंद्रा ने बताया कि बारिश के लिए इस समय कई सिस्टम एक्टिव हैं। मानसूनी द्रोणिका माध्य समुद्र तल पर लगातार हिमालय की तराई में बनी हुई है। एक ऊपरी साइक्लोन सर्कुलेशन उत्तर-पूर्व बंगाल की खाड़ी के ऊपर 5.8 किलोमीटर ऊंचाई तक फैला हुआ है। अगले 24 घंटे में इसके प्रभाव से एक निम्न दाब का क्षेत्र उत्तर पश्चिम बंगाल की खाड़ी और उससे लगे पश्चिम मध्य बंगाल की खाड़ी के ऊपर बनने की संभावना है ।
एक द्रोणिका उत्तर-पूर्व बंगाल की खाड़ी से उत्तर तटीय आंध्र प्रदेश तक 1.5 किलोमीटर से 3.8 किलोमीटर ऊंचाई तक फैली है । एक ऊपरी साइक्लोन अंदरुनी ओडिशा के ऊपर 4.5 किलोमीटर से 7.6 किलोमीटर ऊंचाई तक फैला है।
एक ऊपरी साइक्लोन सर्कुलेशन आंध्र प्रदेश और उससे लगे तेलंगाना के ऊपर 4.5 किलोमीटर से 5.8 किलोमीटर ऊंचाई तक फैला हुआ है। एक द्रोणिका उत्तर प्रदेश बिहार होते हुए उत्तर पश्चिम बंगाल की खाड़ी तक बनने की संभावना है। जिसके कारण प्रदेश में अनेक स्थानों पर वर्षा की संभावना बन रही है । इन सबके असर से आज प्रदेश में अच्छी बारिश के संकेत हैं। भारी बारिश का क्षेत्र मुख्य तौर पर दक्षिण छत्तीसगढ़ यानी बस्तर संभाग है। प्रदेश में अधिकतम तापमान में गिरावट होने की प्रबल संभावना है।