Acn18.com/बिलासपुर जिले के रतनपुर स्थित श्री सिद्ध तंत्र पीठ भैरव मंदिर में सावन के पहले दिन से दो माह तक पांच लाख पार्थिव शिवलिंग बनाया गया, जिसका मंगलवार को महाभिषेक किया गया। भगवान भोलेनाथ का 11 हजार रुद्राक्ष की माला से श्रृंगार कर रूद्राभिषेक किया गया। भद्रा के कारण गुरुवार को पूर्णाहूति के बाद अमरकंटक के नर्मदा नदी में विजर्सन किया जाएगा।
पंडित जागेश्वर अवस्थी के मुताबिक महाभिषेक में प्रदेश भर के श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने अपनी कामनाओं की पूर्ति के लिए भगवान शिव के नाम पर मिट्टी से पार्थिव शिवलिंग का निर्माण किया। आयोजन का मुख्य उद्देश्य जनकल्याण एवं विश्व कल्याण है।
अधिक मास में बढ़ाई गई संख्या
इस बार अधिक मास होने के कारण सावन माह दो माह का रहा। जिसके कारण पार्थिव शिवलिंग निर्माण की संख्या भी बढ़ा दी गई थी। इससे पहले हर वर्ष मंदिर परिसर में सवा लाख पार्थिव शिवलिंग का निर्माण किया जाता था और शिव महापुराण का भी आयोजन किया जाता था। लेकिन इस बार संजोग बना की पुरुषोत्तम मास में 5 लाख पार्थिव शिवलिंग निर्माण करने का लक्ष्य रखा गया था। श्रद्धालुओं की अटूट श्रद्धा और भक्ति के बीच रोज 15 से 20 हजार की संख्या में शिवलिंग का निर्माण हो रहा था।
भगवान शिव को अर्पित हुआ सवा लाख चावल
इस आयोजन के दौरान मंदिर परिसर में कई अखाड़े के नागा साधु लगातार पहुंच रहे थे, जिन्होंने पार्थिव शिवलिंग बनाकर भगवान शिव का पूजन किया। मंगलवार को पांच लाख शिवलिंग का शोडंसो उपचार से पूजन अर्चना कर महाभिषेक किया गया। साथ ही भगवान भोलेनाथ को फल-मिठाई, दाल-चावल सब्जी आदि का भोग लगाकर प्रसाद वितरण किया गया।
11000 रुद्राक्ष से भगवान शिव का विशेष श्रृंगार
पूजा आराधना और महाअभिषेक के बाद भगवान भोलेनाथ को अर्पित किए गए 11 हजार रुद्राक्ष की माला से दिव्य सिंगार कर पूजन एवं हवन किया गया। इस आयोजन के मुख्य आचार्य पंडित गिरधारी लाल पांडेय ने वैदिक मंत्रोचार और रीति-रिवाज से अनुष्ठान को संपन्न कराया। उनके सहयोगी आचार्य के रूप में पं कान्हा शास्त्री, पं दिलीप दुबे, पंडित राजेंद्र दुबे, पं महेश्वर पांडेय, दीपक अवस्थी, राजन तिवारी सहित अन्य शामिल रहे।
अंतिम दिन नर्मदा नदी में होगा विसर्जन
पंडित जागेश्वर अवस्थी ने बताया कि बुधवार को सावन मास के अंतिम दिन भद्रा है, जिसके कारण विश्राम रहेगा। अब गुरुवार को भगवान शिव का रूद्राभिषेक कर विशेष पूजा अर्चना के बाद पूर्णाहूति दी जाएगी। भ्रद्रा के कारण पूर्णाहुति के बाद गुरुवार को पार्थिव शिवलिंग का विसर्जन होगा। शिवलिंग का विसर्जन अमरकंटक स्थित नर्मदा नदी में किया जाएगा।