नर्मदा मंदिर अमरकंटक में ऐसा होगा ड्रेस कोड:महिलाओं को केवल साड़ी और सलवार-सूट में ही प्रवेश, पुरुष भी नहीं पहन सकेंगे कटी-फटी जींस

Acn18.com/गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (GPM) जिले से सटे अमरकंटक के मां नर्मदा मंदिर में महिलाओं और पुरुषों को मर्यादित कपड़े पहनकर आने का बोर्ड लगाया गया है। अमरकंटक मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिले में है। ये नर्मदा, सोन और जोहिला नदी का उद्गम स्थल है। अमरकंटक में हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं।

नर्मदा मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार पर एक साइन बोर्ड लगाया गया है, जिसमें लिखा है कि सभी महिलाएं और पुरुष मंदिर परिसर में मर्यादित कपड़े में ही आएं। छोटे कपड़े, हाफ पैंट, बरमूडा, नाइट सूट, मिनी स्कर्ट, कटी-फटी जींस और क्रॉप टॉप जैसे कपड़े पहनकर मंदिर में आना प्रतिबंधित किया गया है। महिलाएं विशेष रूप से आदर्श कपड़े का ही उपयोग करें, जैसे- साड़ी या सलवार सूट। बोर्ड पर लिखा है- आदेशानुसार नर्मदा मंदिर उद्गम ट्रस्ट एवं समस्त पुजारीगण।

नर्मदा मंदिर में ये साइन बोर्ड शुक्रवार 25 अगस्त को लगाया गया है। इसमें तीर्थ यात्रियों और श्रद्धालुओं के लिए जानकारी दी गई है। यहां के पुजारी ने कहा कि दक्षिण भारतीय मंदिरों की तरह नर्मदा मंदिर अमरकंटक में भी अभद्र और छोटे कपड़े पहनकर प्रवेश करना प्रतिबंधित किया गया है। नर्मदा मंदिर में अब पारंपरिक परिधान में ही आना होगा, तभी दर्शन और पूजन का लाभ मिल सकेगा।

नर्मदा मंदिर के पुजारी धनेश द्विवेदी ने कहा कि सभी यात्रियों से अनुरोध है कि पूजन स्थल की मर्यादा के अनुरूप ही वस्त्र धारण करके मंदिर प्रांगण में प्रवेश करें। मंदिर और तीर्थ की मर्यादा का पालन करें, नहीं तो प्रवेश न करें। वहीं पंडित उमेश द्विवेदी का कहना है कि सभी संस्थानों का अपना विशेष परिधान होता है, ऐसे ही मंदिर में पूजन करते समय पारंपरिक परिधान होना चाहिए । मंदिर में मर्यादित वस्त्रों का ही उपयोग करें, नहीं तो प्रांगण में प्रवेश नहीं दिया जाएगा।

नर्मदा नदी का उद्गम स्थल

प्रमुख 7 नदियों में से नर्मदा नदी और सोन नदियों का उद्गम स्थल अमरकंटक है। यह प्राचीन समय से ही ऋषियों की तपो भूमि रही है। नर्मदा का उद्गम यहां के एक कुंड से और सोनभद्रा के पर्वत शिखर से हुआ है। यह मेकल पर्वत से निकलती है, इसलिए इसे मेकलसुता भी कहा जाता है।

नर्मदा नदी यहां पूर्व से पश्चिम की ओर बहती है। इस नदी को मध्यप्रदेश की जीवनदायनी नदी भी कहा जाता है। यह जलोढ़ मिट्टी के उपजाऊ मैदानों से होकर बहती है, जिसे नर्मदा घाटी के नाम से भी जाना जाता है। यह घाटी लगभग 320 किमी में फैली हुई है।

कहा जाता है कि पहले उद्गम कुंड चारों ओर बांस से घिरा हुआ था। बाद में यहां 1939 में रीवा के महाराज गुलाब सिंह ने पक्के कुंड का निर्माण करवाया। परिसर के अंदर मां नर्मदा की एक छोटी सी धारा कुंड है, जो दूसरे कुंड में जाती है, लेकिन दिखाई नहीं देती। कुंड के चारों ओर लगभग 24 मंदिर हैं। जिनमें नर्मदा मंदिर, शिव मंदिर, कार्तिकेय मंदिर, श्री राम जानकी मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर, दुर्गा मंदिर, श्री सूर्यनारायण मंदिर, श्री राधा कृष्णा मंदिर, शिव परिवार, ग्यारह रुद्र मंदिर प्रमुख हैं।