नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) ने गुरुवार को डॉक्टर्स के लिए जेनेरिक दवाइयां लिखने के अपने निर्देश को फिलहाल टाल दिया है। अब डॉक्टर जेनेरिक दवाइयों के अलावा दूसरी दवाएं भी प्रिस्क्राइब कर सकेंगे।
दरअसल NMC ने नए नियम जारी किए थे, जिनमें सभी डॉक्टरों को जेनेरिक दवाइयां लिखना अनिवार्य कर दिया था। ऐसा नहीं करने पर लाइसेंस रद्द करने की बात कही गई थी।
IMA ने जताई थी आपत्ति
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) और इंडियन फार्मास्युटिकल एलायंस (IPA) ने NMC के इस निर्देश पर चिंता जताई थी।
संगठनों का कहना था कि जेनेरिक दवाइयों की क्वालिटी को लेकर अनिश्चित्ता है, ऐसे में ये निर्देश ठीक नहीं है। इस संबंध में IMA और IPA के सदस्यों ने स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया से भी मुलाकात की थी।
कमाई का बड़ा हिस्सा दवाओं पर खर्च रहे लोग
NMC ने कहा था कि देश में लोग अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा स्वास्थ्य पर खर्च कर रहे हैं। जिसमें बड़ी राशि सिर्फ दवाएं पर खर्च की जा रही है। रेगुलेशन में कहा गया कि जेनेरिक दवाएं ब्रांडेड मेडिसन की तुलना में 30% से 80% तक सस्ती हैं। ऐसे में अगर डॉक्टर मरीजों को प्रिस्क्रिप्शन में जेनेरिक दवाएं लिखेंगे तो हेल्थ पर होने वाले खर्च में कमी आएगी।
NMC ने कहा कि अस्पतालों और स्थानीय फार्मेसियों को भी जेनेरिक दवाओं को बढ़ावा देने के लिए आगे आना चाहिए। मरीजों को इसके बारे में जागरूक करना चाहिए। उन्हें जन औषधि केंद्रों और अन्य जेनेरिक फार्मेसी दुकानों से दवाएं खरीदने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।