Acn18.com/छत्तीसगढ़ में बस्तर संभाग के तीन जिलों की सरहद पर बसे एक गांव के ग्रामीणों ने पहली बार कलेक्टर को देखा है। बीहड़ों में बसे इस गांव तक पहुंचने पक्की सड़क नहीं है। कच्ची सड़क है जिसे भी नक्सलियों ने जगह-जगह से काट दिया है। कलेक्टर विजय दयाराम के. समेत अन्य अफसर दंतेवाड़ा के रास्ते बस्तर जिले के कलेपाल गांव पहुंचे। पहले बाइक और फिर करीब 5 किमी का पैदल सफर तय करना पड़ा। हालांकि, लौटते वक्त गांव वालों को सड़क बनाने का वादा किया।
दरअसल, बस्तर, दंतेवाड़ा और सुकमा इन 3 जिलों की सरहद पर कलेपाल गांव बसा हुआ है। यह गांव भले ही बस्तर जिले का है लेकिन गांव के ग्रामीण दंतेवाड़ा जिले पर निर्भर हैं। जगदलपुर से करीब 60 किमी दूर दंतेवाड़ा के कटेकल्याण और यहं से 10 किमी आगे बाइक और फिर पैदल सफर तय कर पहुंचा जा सकता है। बताया जाता है कि यहां नक्सलियों का भी मूवमेंट लगातार रहता है। यही वजह है कि, साल 2018 में हुए विधानभा चुनाव में सिर्फ 5 फीसदी मतदान ही हुए।
कलेपाल में करीब 400 मतदाता हैं। जिनमें जनप्रतिनिधियों के प्रति थोड़ी नाराजगी भी है। गांव वालों का कहना है कि, उनकी समस्या सुनने कोई नहीं आता है। इसलिए मतदान करने पीछे हटते हैं।
इसपर कलेक्टर ने गांव वालों से कहा कि गांव के विकास के लिए मतदान करना जरूरी है। अगर मतदाता अपने मतों का उपयोग करेंगे तो जनप्रतिनिधि भी विकास कार्यों को गांव तक पहुंचाने के तत्पर होंगे। मतदान करने ग्रामीणों को संकल्प भी दिलाई।
कलेक्टर ने ग्रामीणों से कहा कि कलेपाल तक पहुंचने के लिए सड़क बनाना प्रशासन की प्राथमिकता में है। उन्होंने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अधिकारियों को सड़क और पुल-पुलिया बनाने के लिए स्टीमेट तैयार करने को कहा। साथ ही जल्द से जल्द इस काम को करने के निर्देश दिए हैं। ग्रामीणों से वादा किया है कि उनके गांव तक पहुंचने सड़क बनाई जाएगी। इसके साथ ही जो भी विकास कार्य होंगे वो करेंगे।