बाराबंकी. एसडीएम ज्योति मौर्य जैसा मामला बाराबंकी जिले से भी सामने आया है. यहां एक युवक ने खेत बेचकर और मजदूरी कर अपनी पत्नी को पढ़ाया. पढ़-लिखकर जब पत्नी लेखपाल बनन गई तो अपने पति को छोड़ने के लिए कोर्ट में तलाक की अर्जी दी है. न्यायालय ने तलाक के मुकदमे को आधारहीन मानते हुए खारिज कर दिया है.
मामला सतरिख थाना क्षेत्र के गलाहामऊ गांव का है. यहां के निवासी अमरीश कुमार की शादी 20 फरवरी 2009 को जैदपुर थाना क्षेत्र के याकूतगंज गांव के रहने वाले रामचरन की बेटी दीपिका भार्गव से हुई थी. पति अमरीश के अनुसार, इंटर पास पत्नी दीपिका शादी के बाद पढ़ाई करना चाहती थी. इसके चलते ससुराल में रह कर दीपिका ने ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की थी. पति अमरीश कुमार ने बताया कि पत्नी दीपिका के पढ़ने में रुचि को देखते हुए उसे एमए और बीएड कराया.
दीपिका को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए कोचिंग में दाखिला कराया. इसके लिए पत्नी को कोचिंग लाने और ले जाने के साथ ही अन्य पारिवारिक जिम्मेदारियां निभाता रहा. इस बीच 2011 में (अमरीश की मां) की मृत्यु हो गई. आर्थिक कष्टों के साथ मेहनत मजदूरी कर घर खर्च चलाता था. अमरीश ने बताया कि पत्नी की पढ़ाई के लिए पैसे कम पड़ने लगे तो 2014 में 10 बिसवा (सवा बीघा) खेत बेच दिया. साल 2018 में पत्नी दीपिका का चयन लेखपाल के पद पर हो गया.
वहीं लेखपाल बनी पत्नी दीपिका ने अपने पति पर उत्पीड़न का आरोप लगाया है. उसके अनुसार उस पर अमरीश और उसके घर वाले काफी अत्याचार करते थे. दीपिका को घर का काम के साथ प्राइवेट विद्यालय में पढ़ा कर घर का खर्च भी चलाती थी. लेकिन घरवाले इससे भी संतुष्ट नहीं थे. दीपिका का आरोप है कि उसे लगातार प्रताड़ित किया जाता था. दीपिका ने बताया कि इसी से तंग आकर वह मायके चली गई और वहां से पढ़ लिखकर लेखपाल बन गई.