Acn18.com/लालखदान फाटक के पास 11 जुलाई की दोपहर एक बच्चे की ट्रेन से कटकर मौत हो गई थी। उसके शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल ला गया था। यहां 24 घंटे बाद भी शव का पोस्टमार्टम नहीं होने पर परिजनों का धैर्य जवाब दे गया और उसके बाद उन्होंने जमकर हंगामा मचाया। इसके बाद सिविल सर्जन डॉ. अनिल गुप्ता अपने केबिन से बाहर निकले और परिजनों पर दबाव बनाते हुए उन्हें अस्पताल परिसर में हंगामा नहीं करने की हिदायत दी। आधे घंटे तक चले विवाद के बाद मामला शांत हुआ।
मंगलवार को पति से हुए विवाद के बाद घुरू निवासी महिला निशा मधुकर लालखदान फाटक के पास अपने 6 वर्षीय बेटे देवांश के साथ मालगाड़ी के सामने कूद गई थी। इस घटना में मासूम देवांश की मौत हो गई और महिला ट्रेन से टकराकर गंभीर रूप से घायल हो गई। पुलिस ने बच्चे के शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया था। यहां बच्चे का शव मरच्यूरी में रख दिया गया। कायदे से उसका पोस्टमार्टम तत्काल कर बच्चे की लाश अस्पताल पहुंचे परिजनों के हवाले कर दी जानी थी।
लेकिन अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के कारण पोस्टमार्टम में देर हो गई। दूसरे दिन यानी बुधवार काे भी दोपहर तक पोस्टमार्टम नहीं होने पर परिजनों का गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने हंगामा मचाना शुरू कर दिया। इस दौरान सिविल सर्जन डॉ. गुप्ता से भी उनकी बहस हो गई। कुछ पुलिसकर्मी भी मौके पर मौजूद रहे, जिन्होंने किसी को समझाने की कोशिश नहीं की। बड़ी मुश्किल से मामला शांत हुआ।
अस्पताल में नहीं मिलते डाॅक्टर कलेक्टर से शिकायत भी हुई
बच्चे की मौत पोस्टमार्टम करने में देरी से हंगामे का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी कभी डॉक्टरों के गायब रहने, कभी मरीजों को इलाज नहीं मिलने के चलते आए दिन जिला अस्पताल में बवाल हो रहा है। जांच और इलाज में दी और डॉक्टरों के बीच गुटबाजी बढ़ती जा रही है। कुछ दिन पहले सिविल सर्जन पर यहां के जूनियर डॉक्टरों ने ड्यूटी में सीनियर और जूनियरों के बीच भेदभाव का आरोप लगाकर कलेक्टर से इसकी शिकायत भी की है।