Acn18.com/छ्त्तीसगढ़ के बस्तर जिले की 2 मासूम बच्चियां दुर्लभ चर्म रोग से जूझ रही हैं। बच्चियों के पूरे शरीर में फफोले हो गए हैं और यह फुट कर जख्म बन रहे हैं। शरीर की चमड़ी उखड़ रही, सिर के बाल झड़ रहे हैं। दर्द और जलन की वजह से इन्हें कपड़े पहनाना भी मुश्किल हो गया है। यही वजह है कि, मजबूरन दोनों बच्चियों ने अपनी इस दुर्लभ बीमारी की वजह से पढ़ाई छोड़ दी है। हर महीने इनके इलाज के लिए 5 हजार से ज्यादा रुपए खर्च हो रहे हैं। अब हालात ऐसे हो गए हैं कि, इनके गरीब किसान पिता ने इनके इलाज के लिए खेत को भी गिरवी रख दिया है।
दरअसल, ये दोनों बच्चियां ममता बघेल (09) और फेमेश्वरी बघेल (11) जिले के बस्तर ब्लॉक के चोकर गांव की रहने वाली हैं। जन्म के 6 महीने बाद से ही दोनों दुर्लभ चर्म रोग से ग्रसित हो गईं थीं। वैज्ञानिक भाषा में इस बीमारी को ‘एपिडर्मोलिसिस बुलोसा’ कहा जाता है। इस बीमारी की वजह से इनके शरीर में ठीक वैसे ही फफोले पड़ रहे हैं जैसे आग या उबलते पानी से त्वचा के झुलस जाने के बाद होते हैं। कुछ समय बाद ये फफोले फूट जाते हैं। इसके पानी से धीरे-धीरे उस जगह पर जख्म बन जाता है। सिर से लेकर पैर तक इनके शरीर में ऐसे ही कई जख्म बन चुके हैं।
गरीबी की वजह से नहीं करवा पा रहे इलाज
बच्चियों के पिता मानसिंह बघेल ने बताया कि, उनके दो और बच्चे हैं, जिसमें एक पुरूषोत्तम (15) और पल्लवी (01) है। दोनों स्वस्थ्य हैं। इन दोनों को इस तरह की बीमारी के कोई भी संकेत नहीं हैं। मानसिंह ने बताया कि बच्चियों को जगदलपुर के महारानी अस्पताल, डिमरापाल मेडिकल कॉलेज और रायपुर के मेकाहारा अस्पताल में इलाज के लिए लेकर गए थे। लेकिन उनका इलाज नहीं हो पाया। इलाज करवाने पैसे भी बहुत लग रहे हैं। बच्चियां रोज दर्द से कराह रही हैं। अभी तक इन्हें सरकारी सुविधा का लाभ भी नहीं मिला पाया है।
शरीर से चिपक जाते हैं कपड़े
मानसिंह ने बताया कि बच्चियों की स्थिति ऐसी है कि उन्हें कपड़े पहनाने में भी डर लगता है। बच्चियां कपड़ा पहनकर सोती हैं तो फफोले फुटने से कपड़े पूरे शरीर से चिपक जाते हैं। फिर निकालना बहुत मुश्किल हो जाता है। यदि निकालने की कोशिश करते हैं तो चमड़ी भी साथ में निकलती है। बच्चियां दर्द से चीखने लगती हैं।
जानिए क्या है एपिडर्मोलिसिस बुलोसा?
भोपाल के चर्मरोग विशेषज्ञ और पूर्व में मेकॉज में अपनी सेवाएं दे चुके डॉ. विवेक डे की मानें तो एपिडर्मोलिसिस बुलोसा एक अनुवांशिक बीमारी है। ये बीमारी 10 लाख लोगों में से केवल 20 लोगों में पाई जाती है। इस बीमारी से मरीज की त्वचा बेहद संवेदनशील हो जाती है और शरीर पर फफोले पड़ने लगते हैं। त्वचा के साथ ही मुंह और गले के अंदरूनी हिस्सों में भी छाले पड़ने लगते हैं। आमतौर पर इस बीमारी का कारण दोषपूर्ण जीन होता है। इसके लक्षण बचपन से ही दिखने लगते हैं, जबकि कुछ मामलों में लक्षण 20 साल की उम्र के बाद से दिखने लगते हैं।