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एकसाथ कॉलेज जाते, साथ उठी 4 दोस्तों की अर्थी:कानपुर में गंगा घाट पर 5 का अंतिम संस्कार; हर तरफ सिर्फ चीखें ही सुनाई दीं

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कानपुर में भीषण सड़क हादसे में रविवार को इंजीनियरिंग कॉलेज के 4 छात्रों समेत 5 लोगों की मौत हो गई। हादसा दिल्ली-लखनऊ हाईवे पर भौती में हुआ। आज मंगलवार सुबह सभी का अंतिम संस्कार एक साथ गंगा किनारे ड्योढ़ी घाट पर किया गया। पांचों की अर्थी जब एक साथ उठी तो सभी का दिल दहल गया। सिर्फ चीखें ही सुनाई दीं। हर कोई यह कहता दिखाई दिया कि ऐसा किसी के साथ न हो…ऐसा दिन न देखना पड़े।

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हादसे में जान गंवाने वाले कार ड्राइवर विजय के घर रोती-बिलखती महिलाएं।

बेटे का शव उठते ही पिता हुए बेहोश

प्रतीक का शव जैसे ही उठाया गया तो यह नजारा देख पिता राजेश सिंह बेहोश होकर वहीं गिर पड़े। इसके बाद किसी तरह से रिश्तेदारों ने उन्हें संभाला और फिर उन्हें लेकर आगे बढ़े। बेटे की अर्थी के पीछे चलना पिता राजेश के लिए एक-एक कदम भारी था। किसी तरह से लोग उन्हें सांत्वना दे रहे थे।

अंतिम संस्कार के लिए प्रतीक का शव ले जाते परिजन और रिश्तेदार।

गरिमा की मां को संभालती रही उनकी छोटी बेटी

गरिमा का शव जैसे ही घर से उठाया गया तो वैसे-वैसे उसकी मां रीता त्रिपाठी भी पीछे-पीछे दौड़ने लगी। उन्हें देख वहां मौजूद परिवार की अन्य महिलाओं ने तुरंत ही उनको संभाला। इसके बाद परिवार की छोटी बेटी महिमा ने अपनी मां को सहारा दिया और उन्हें गले लगा कर चिपका लिया।

जैसे ही गरिमा का शव गाड़ी में रखकर जाने लगा तो मां की चीख निकल पड़ी और अचानक से वह बेहोश हो गई। यह देख महिलाओं का भी दिल दहल गया। तुरंत ही उनको पानी की छीटें मारी गई और पानी पिलाया गया। इसके बाद सभी लोग मां को लेकर वापस घर की तरफ आ गए।

गरिमा की मां को महिलाओं ने किसी तरह संभाला।

सतीश की मां थी बदहवाश

सतीश की मां संतोष कुमारी और पिता रमेश चंद्र बेटे के शव के पास ही बैठे रहे। कभी बेटे को देख कर चीख-चीखकर रोने लगते थे तो कभी गुमशुम से बैठ जाते थे। घंटों बैठे-बैठे बेटे के शव को निहारते रहते थे, जैसे ही बेटे को ले जाने की तैयारी शुरू हुई तो पिता बदहवास होकर सीना पीट-पीटकर रोने लगे।

आयुषी के शव से लिपट गई मां

आयुषी का शव जैसे ही उठा तो मां समता बेटी के शव से लिपट गई। पिता नरेश पटेल दूर बैठकर बेटी के शव को निहार रहे थे। अपनी किस्मत को कोश रहे थे, जैसे ही बेटी का शव उठा तो रामनरेश के मुंह से निकल पड़ा ‘ये कैसा दिन आ गया आज…’ इसके बाद सभी लोग नरेश को सहारा देने लगे

पति के शव से लिपटी रही सुमन

ड्राइवर विजय साहू के शव को ले जाने के लिए जैसे ही तैयारी शुरू हुई तो पत्नी सुमन अपने पति के शव से लिपट गई। वहीं, दोनों बेटे हिमांशु और शशांक को परिवार के अन्य लोग उन्हें सहारा दे रहे थे। वहीं, जब पिता का शव उठा तो पत्नी और दोनों बेटे चीख-चीखकर रोने लगे। ये नजारा देख सभी के आंखों में आंसू छलक पड़े।

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