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2 स्टूडेंट ने फांसी लगाकर दी जान:खराब रिजल्ट के चलते बिलासपुर में 10वीं के छात्र और दुर्ग में 12वीं की छात्रा ने की खुदकुशी

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Acn18.com/छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में 10वीं के छात्र ने सप्लीमेंट्री आने पर फांसी लगाकर जान दे दिया। सुसाइड करते समय उसके कान में ईयरफोन लगा था। ऐसे में मोबाइल में बात करते समय आत्महत्या करने की आशंका है। इधर दुर्ग में भी 12वीं की छात्रा ने फेल होने पर खुदकुशी कर ली है।

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परिजनों का कहना है कि सप्लीमेंट्री आने पर वह काफी तनाव में था। रात में ही उसके पिता ने उसे समझाया था और दोबारा अच्छे से तैयारी करने की सलाह भी दी थी। पुलिस उसके मोबाइल की जांच कर रही है। मामला सिरगिट्‌टी थाना क्षेत्र का है।

पहले जानिए बिलासपुर छात्र के बारे में…

सिरगिट्टी के महिमा नगर निवासी शंकरलाल कौशिक प्लंबर का काम करता है। उसके दो बेटे हैं, जिनमें तरुण कौशिक (17) छोटा था। वह संतोष सिंह मेमोरियल स्कूल में 10वीं की पढ़ाई कर रहा था। दो दिन पहले ही छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल ने 10 वीं और 12 वीं बोर्ड परीक्षा का परिणाम जारी किया है। तरुण गणित और अंग्रेजी में फेल होने से तनाव में था।

सुबह सो कर उठा फिर दोबारा कमरे में चला गया
शुक्रवार को सुबह काफी देर तक जब वह नीचे नहीं आया, तब उसकी मां उसे नाश्ता करने के लिए बुलाने गई तो। तो देखी कि कमरे में वह फंदे पर लटका हुआ था। जिसके बाद आनन-फानन सभी लोग ऊपर के कमरे में पहुंचे। जब तक उसे नीचे उतारा गया। तब तक उसकी मौत हो गई थी। घटना के बाद परिजनों को पुलिस को सूचना दी।

कान में लगा था इयरफोन
ASI शीतला प्रसाद त्रिपाठी ने बताया कि लड़के का शव फंदे पर लटक रहा था। इस दौरान वह अपने कान में इयरफोन लगाया था। ऐसा माना जा रहा है कि मोबाइल में बात करते समय या तो उसने खुदकुशी की होगी। या फिर मोबाइल चालू करके फांसी लगाया होगा। पुलिस उसके मोबाइल का कॉल डिटेल्स खंगाल रही हैं।

दुर्ग में 12वीं की छात्रा ने की सुसाइड

एमजीएम स्कूल में 12वीं की छात्रा उपासना वर्मा (17 साल) ने परीक्षा पास नहीं कर पाने से दुखी होकर खुदकुशी कर ली है। परिजनों ने दरवाजा तोड़कर छात्रा को फंदे से नीचे उतारकर जिला अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

मोहन नगर थाना प्रभारी विपिन रंगारी ने बताया कि उपासना कॉमर्स लेकर 12वीं कक्षा की परीक्षा दी थी। शुक्रवार को ही सीबीएससी का रिजल्ट आया है। छात्रा तीन विषय में फेल हो गई थी। इससे वो काफी दुखी थी। इससे पहले की घरवाले कुछ समझ पाते उसने घर के मेन डोर को अंदर से बंद किया और दुपट्टे से फंदा बनाकर झूल गई। मां को जैसे ही इसकी जानकारी हुई उन्होंने तुरंत लोगों को बुलाया। काफी खटखटाने के बाद भी जब उपासना ने दरवाजा नहीं खोला तो लोगों ने दरवाजा तोड़ा। अंदर देखा तो वो दुपट्टे से लटकी हुई थी।

मनोरोग विशेषज्ञ बोले- पैरेंट्स दें ध्यान
मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. आशुतोष तिवारी का कहना है कि एग्जाम के बाद जब रिजल्ट खराब आता है, तो बच्चे तनाव में आ जाते हैं। उनके मन में बुरा-बुरा ख्याल आता है। और वे गलत कदम उठा लेते हैं। कई बार पैरेंट्स बच्चों को डांट देते हैं, और दूसरे बच्चों से उनकी तुलना करते हैं। तो भी विद्यार्थी तनाव में आ जाता है। रिजल्ट खराब आने पर बच्चों को कभी डांटना नहीं चाहिए। हताश देखकर पैरेंट्स को उनका विशेष ध्यान रखना चाहिए। और उसे समझाना चाहिए। क्योंकि, एग्जाम देने पर दूसरी बार बेहतर अंक मिल सकता है। लेकिन, बच्चों के गलत कदम उठाने पर उसे वापस नहीं लाया जा सकता।

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