रायपुर।रंगों का त्योहार होली को लेकर लोग तैयारी में जुट गए हैं। होली की खरीदारी को लेकर लोग अभी से काफी उत्साहित हैं। इसको लेकर बाजार में तैयारियां और रौनक बढ़ने लगी हैं। शहरभर में पिचकारी, रंग-गुलाल व अन्य सामान की दुकानें भी सजने लगी हैं। इसका अंदाजा शहर में सजी रंग गुलाल की दुकानों पर हो रही खरीदारी से लगाया जा सकता है।
गौरतलब है कि इस बार लोगों में गुलाल की खरीद को लेकर काफी जागरूकता देखी जा रही है। लोग साधारण और केमिकल युक्त गुलाल की जगह पर हर्बल गुलाल अधिक खरीद रहे हैं। हर्बल गुलाल विक्रेता अमर बंसल ने बताया कि पिछले दो सालों से हर्बल गुलाल की डिमांड बढ़ी है। यह फूल, पत्ती और सब्जियों से बना होता है, जिसके कारण स्वास्थ्य और और स्कीन पर विपरीत प्रभाव नहीं डालता।
केमिकलयुक्त गुलाल के उपयोग से होती है स्वास्थ्य समस्या
केमिलयुक्त गलाल को बनाने में रसायनिक तत्वों का उपयोग किया जाता है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी समस्या सामने आती है। हरे रंग के गुलाल में कापर सल्फेट का उपयोग किया जाता है, जिससे आंखों में एलर्जी या अस्थायी अंधापन आता है। बैगनी रंग के गुलाल में क्रोमियम आयोडाइड का उपयोग किया जाता है, जिससे श्वास संबंधी समस्या या अन्य एलर्जी की संभावना होती है।
इसी प्रकार लाल रंग के गुलाल बनाने में मरक्युरीक सल्फाइट का उपयोग किया जाता है जिससे त्वचा के कैंसर का खतरा रहता है। हर्बल गुलाल के साथ इस बार ज्यादातर महिला संगठन प्राकृतिक रूप से फूलों से होली खेलने पर जोर दे रही है। इसके लिए बड़ी मात्रा में फूलों की खरीदी भी हो रही है।
समूह की महिलाएं तैयार कर रहीं हर्बल गुलाल
गोल बाजार स्थित गुलाल विक्रेता राजेश खंडेलवाल ने बताया कि बाजार में जिन हर्बल गुलाल को बेचा जा रहा है, उसे स्व:सहायता समूह की महिलाएं ही तैयार कर रही हैं। गाजर, पालक, लाल भाजी, हल्दी, कत्था और पलास आदि से हर्बल गुलाल को बनाया जाता है।
हर्बल गुलाल बना रही स्व-सहायता समूह से वंदना चढ़ार ने बताया कि फूल और सब्जियों को पहले सुखाकर बारिक पीस लिया जाता है। इसके बाद उसमें पाउडर को चमकीला रंग देने के लिए एगरुट के बारीक पिसे पाउडर को मिलाया जाता है। गुलाल को सुगंध देने के लिए उसमें चंदन का पाउडर मिलाया जाता है। यह स्वास्थ्य और त्वचा दोनों के लिए लाभदायक होता है।