श्रीलंका के बाद अब बांग्लादेश आर्थिक संकट के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। यहां पेट्रोल में दामों में 50 फीसद तक की बढ़ोतरी कर दी गई है। यहां भी श्रीलंका जैसी स्थिति बन गई है। बढ़ती महंगाई के कारण जनता सड़क पर उतर आई है। देश के कई शहरों में प्रदर्शन चल रहे हैं। गुस्साई जनता ने पुलिस वाहन को क्षतिग्रस्त कर दिया है। बांग्लादेश में जो वर्तमान हालात हैं उससे साफ है कि स्थितियां और बिगड़ सकती हैं।
बांग्लादेश के वित्त मंत्री ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से 4.5 अरब डॉलर का कर्ज मांगा है। इतना ही नहीं, आर्थिक तंगी से जूझ रहे बांग्लादेश में दूसरे दूसरों से आयात किए जा रहे तेल की सप्लाई बाधित हुई है। नतीजा, यहां डीजल से चलने वाले पावरप्लांट पर ताला पड़ गया है। देश के केंद्रीय बैंक के खजाने में इस हद तक गिरावट आई है कि कई तरह के सामानों के आयात पर पाबंदी लगा दी गई है।
ऊर्जा और खनिज संसाधन मंत्रालय ने क्या कहा?
बिजली, ऊर्जा और खनिज संसाधन मंत्रालय ने फ्यूल की कीमतों में बढ़ोतरी को लेकर बयान जारी किया है। इसमें कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में ईंधन के दाम में हुई वृद्धि के चलते यह फैसला हुआ है। कम दाम पर ईंधन बेचने की वजह से बांग्लादेश पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन को फरवरी से जुलाई के बीच 8,014.51 टका का नुकसान हुआ है। मंत्रालय की प्रेस रिलीज में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में ईधन की कीमत बढ़ने से कई देश पहले ही यह फैसला ले चुके हैं।
बांग्लादेश में क्यों बढ़े पेट्रोल के दाम
रूस-यूक्रेन युद्ध और कोविड-19 महामारी ने तेलों के दाम बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाया है। इन दोनों घटनाक्रम के चलते तेलों के दाम में बड़ी बढ़ोतरी देखी जा रही है। बांग्लादेश में पेट्रोल के दाम में 51 फीसद तो डीजल में 42 फीसद का इजाफा हुआ है। रूस-यूक्रेन के चलते मांग और सप्लाई का समीकरण खराब हुआ और कोविड महामारी के कारण ओपेक देशों ने तेलों की सप्लाई कम कर दी। इससे पूरी दुनिया में सप्लाई पर असर देखा जा रहा है। इससे दाम में भारी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। बांग्लादेश की इस महंगाई के बाद लोग सड़कों पर उतर गए हैं। अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शन देखा जा रहा है।
देश में आयात बढ़ने से हालात तेजी से बिगड़े
बांग्लादेश की हालत बिगड़ने के लिए सबसे बड़ी वजह है, यहां आयात का बढ़ना और निर्यात का घटना। यहां के केंद्रीय बैंक ने अपनी रिपोर्ट में इसका जिक्र भी किया है। आयात बढ़ने के कारण सीधे तौर पर इसका असर यहां के खजाने पर हुआ। रिपोर्ट के मुताबिक, जुलाई, 2021 से लेकर मई 2022 के बीच 81.5 अरब डॉलर का आयात किया गया है। इसकी तुलना पिछले साल से की जाए तो आयात में 39 फीसद की बढ़त देखी गई है। इसका असर यह हुआ कि बांग्लादेश ने दूसरे देश से सामान मंगाने में ज्यादा पैसा खर्च किया और अपने सामान का निर्यात कम किया। इस तरह उसे घाटा हुआ। पिछले कुछ समय से बांग्लादेश में आयात में बढ़ोतरी और निर्यात में कमी आई।
एक साल में इतना खाली हो गया विदेशी मुद्रा भंडार
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले कुछ समय से विदेशों में काम कर रहे बांग्लादेशियों की आय गिर रही है। यहां विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आने की एक वजह यह भी रही। बढ़ते आयात ने हालात और बिगाड़ने का काम किया। विदेशी मुद्रा भंडार के आंकड़े बताते हैं कि पिछले साल जुलाई तक यह 45 अरब डॉलर था। 20 जुलाई, 2022 को यह घटकर 39 डॉलर ही बचा। वर्तमान में बांग्लादेश के हालात इतने ज्यादा बिगड़ चुके हैं कि यहां इतना विदेशी मुद्रा भंडार है कि केवल 5 महीने तक ही सामान का आयात किया जा सकता है। इस बीच दुनियाभर में सामान की कीमतें बढ़ती हैं तो हालात और बिगड़ेंगे और देश को ऐसी चुनौतियों से निपटना मुश्किल हो जाएगा।
चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बांग्लादेश दौरे के मायने
चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने आज बांग्लादेश दौरे पर अपने समकक्ष एके अब्दुल मोमेन के साथ द्विपक्षीय समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए। कहा तो जा रहा है कि इस यात्रा के दौरान वांग यी ने आपदा प्रबंधन और संस्कृति से जुड़े कुछ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं लेकिन ड्रैगन की छिपे मंसूबे वक्त के साथ सामने आते हैं। संकट से घिरे छोटे विकासशील देशों के प्रति चीन का रवैया और बांग्लादेश में दखल के बहाने सोचने पर मजबूर कर देते हैं वह उसकी भी बर्बादी की स्क्रिप्ट लिख रहा है। चीन ने कुछ परियोजनाओं के बहाने बांग्लादेश में अपना दखल बढ़ाने की कोशिश में है। वहीं, बांग्लादेश चीन से हथियार भी खरीदता है। चीन की नजर बांग्लादेश के अहम माने जाने वाले बंदरगाह चटगांव पर भी है। चीन की सरकारी कंपनियों ने चटगांव का कायाकल्प कर उसे स्मार्ट सिटी में बदलने का प्रस्ताव दिया है, जिसके तहत वहां मेट्रो रेल भी शुरू किए जाने का प्रस्ताव है।