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‘गांडा समाज ने डॉ. राजाराम त्रिपाठी को बताया— “हमारे जीवित देवता”* अधिकार और गरिमा की लड़ाई में समाज के संरक्षक बने त्रिपाठी जी

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‘गांडा समाज ने डॉ. राजाराम त्रिपाठी को बताया— “हमारे जीवित देवता”*
अधिकार और गरिमा की लड़ाई में समाज के संरक्षक बने त्रिपाठी जी**
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• डॉ. राजाराम त्रिपाठी को “विशिष्ट सेवा सम्मान”, अंगवस्त्र और संविधान की प्रति भेंटकर सम्मानित किया गया।
• समाज ने उन्हें “गांडा समाज का जीवित देवता” घोषित किया गया।
• डॉ. त्रिपाठी ने गांडा समाज को “दिल से गोद लेने” की सार्वजनिक घोषणा की।
• विवाह योग्य युवक-युवतियों का परिचय सम्मेलन व प्रतिभावान छात्र-छात्राओं का हुआ सम्मान।
• 5000+ समाजजनों की ऐतिहासिक उपस्थिति।

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कोंडागांव
नवीन अन्दकुरी गांडा समाज भवन, साकेतिवाटापारा में आयोजित जिला स्तरीय युवक-युवती परिचय सम्मेलन, प्रतिभावान छात्र/छात्राओं के सम्मान समारोह एवं भवन लोकार्पण जैसे त्रिविध समारोह में उस समय भावनात्मक शिखर देखा गया जब मंच से समाज के प्रमुख पदाधिकारियों ने डॉ. राजाराम त्रिपाठी को “गांडा समाज का जीवित देवता” घोषित किया और समाज के उत्थान हेतु उनके समर्पण को ऐतिहासिक बताते हुए उन्हें “विशिष्ट सेवा सम्मान” की ट्राफी , अंगवस्त्रम तथा भारत के संविधान की प्रति भेंट कर श्रद्धाभाव से सम्मानित किया।
इस भव्य समारोह में समाज के प्रांतीय अध्यक्ष तथा भव्य आयोजन के कर्णधार अध्यक्ष श्री सुशील दर्रो, प्रांतीय सचिव अनिल कोर्राम, पार्षद ललित देवांगन व परितोष सेन, ब्लॉक अध्यक्ष दुर्गा प्रसाद मांडवी, युवा प्रकोष्ठ अध्यक्ष दया सागर मरकाम, मंडल अध्यक्ष मनोज कोर्राम, जिला अध्यक्ष करण कोर्राम, युवा जिला अध्यक्ष वीरेंद्र बघेल, कर्मचारी प्रकोष्ठ अध्यक्ष धनीराम मरकाम, महिला जिला अध्यक्ष श्रीमती सुभद्रा कोर्राम, नगर पालिका अध्यक्ष नरपति पटेल, उपाध्यक्ष जसकेतु उर्सेंन्डी, वरिष्ठ पत्रकार तथा समाजसेवी धंसराज टंडन, डॉ. शिल्पा देवांगन, राजेन्द्र बघेल, एवं सैकड़ों गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति रही।
मंच से बोलते हुए डॉ. राजाराम त्रिपाठी ने कहा :
“मेरे कई वर्षों की कठिन शोध साधना से यह सिद्ध हो चुका है कि गांडा समाज एक महान, योद्धा, सर्वकला संपन्न, निपुण परंपरागत चिकित्सकों का गौरवशाली जनजातीय समुदाय है, जिसने मानवता पर अमिट ऐतिहासिक उपकार किए हैं। बावजूद इसके यह समाज पीढ़ी दर पीढ़ी अनावश्यक उपेक्षा, पक्षपात और अपमान का शिकार रहा है।”
उन्होंने यह भी कहा :
“जब तक मैं इस समाज को उसका वाजिब हक और गरिमा नहीं दिलवाऊंगा, तब तक चैन से नहीं बैठूंगा।”
जब समाज ने उनसे निवेदन किया कि वे इस समुदाय को “गोद ले लें”, तब डॉ. त्रिपाठी ने भावविभोर होकर कहा :
“मैं भी दिल से यही चाहता हूं, और आज से ऐसा ही करूंगा। यद्यपि मेरी गोद की सीमा सीमित है, लेकिन यह समाज विशाल, जागरूक और गौरवशाली है। ऐसा लगता है हम दोनों एक-दूसरे के लिए ही बने हैं।”
डॉ. त्रिपाठी ने मंचासीन नगर पालिका अध्यक्ष नरपति पटेल की सादगी एवं सहज सरल व्यवहार की सराहना करते हुए उपाध्यक्ष जसकेतु उर्सेंन्डी को अपना प्रिय एवं अनुज तुल्य बताया और कहा कि ;
“भाई जसकेतु समाज में युवाओं में अत्यंत लोकप्रिय हैं तथा बड़े-बुजुर्गों को सदैव यथोचित सम्मान देते आए हैं। यह सदव्यवहार हमेशा बना रहना चाहिए।”
कार्यक्रम का संचालन अत्यंत प्रभावशाली एवं सुसंगठित रूप से दिनेश गंधर्व, वीरेंद्र बघेल, महेश दर्रो, शत्रुघ्न दास मानिकपुरी, शीतल कोर्राम तथा राजेन्द्र बघेल द्वारा किया गया, जिन्होंने पूरे आयोजन को गरिमा और अनुशासन के साथ सफलतापूर्वक सम्पन्न कराया।
इस आयोजन में गांडा समाज के विवाह योग्य युवक-युवतियों के परिचय सम्मेलन का आयोजन किया गया और विभिन्न वर्गों के प्रतिभावान छात्र-छात्राओं का मंच पर सम्मान किया गया। पूरे आयोजन में समाज के 5000 से अधिक सदस्यों की भागीदारी ने इसे ऐतिहासिक स्वरूप दे दिया।
📌 कुल मिलाकर यह कार्यक्रम केवल एक सामाजिक आयोजन नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना, इतिहास की पुनर्पाठ और अधिकारों के लिए दृढ़ संकल्प का एक स्वर्णिम दस्तावेज़ बन गया।

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