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कोयला की धुंध में गुम हो रहा जन स्वास्थ्य का मुद्दा भयावह होता जा रहा वायु प्रदूषण कोयलांचल में

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Acn18. Com.कोरबा जिले के दीपिका क्षेत्र में बढ़ते वायु प्रदूषण की समस्या बेहद गंभीर होती जा रही है। कोयला खदानों, कोल साइडिंग और कोल वाशरी के संचालन से उत्पन्न कोल डस्ट और कोयला के गुबार ने पर्यावरण और स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। इस मामले में राहत का कोई विकल्प अब तक नहीं मिल सका है। एक बार फिर प्रभावित लोगों ने छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल से शिकायत की है और उचित कार्रवाई करने की मांग की है।

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कोरबा जिले में वायु प्रदूषण की समस्या हर तरफ लोगों के लिए सर दर्द बनी हुई है। हर तरफ कोयला खदान की उपस्थिति और इसी अनुपात में समस्याएं लोगों की जिंदगी को मुश्किल में डालती नजर आ रही है। स्थानीय नागरिकों द्वारा कई बार इस समस्या को उठाया गया है, लेकिन अब तक केवल कागजी कार्रवाई ही देखने को मिली है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और पर्यावरण संरक्षण मंडल ने उद्योग प्रबंधन को प्रदूषण नियंत्रण के लिए निर्देश दिए हैं, लेकिन ज़मीनी स्तर पर कोई ठोस बदलाव नहीं दिख रहा। ना तो अधिकारी ध्यान दे रहे हैं और नहीं जग प्रतिनिधि इसलिए लोगों को वायु प्रदूषण और इसकी चुनौतियां से संबंधित लड़ाई अब खुद लड़नी पड़ रही है। प्रभावित एक महिला ने इस बारे में पर्यावरण कार्यालय पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई और उचित कार्रवाई करने की मांग की।

कोरबा जिले में 40 वर्ग किलोमीटर के दायरे में कोयला खदानें चल रही हैं, जो कई राज्यों को कोयला आपूर्ति करती हैं। राष्ट्रीय महत्व की इन खदानों से देशभर के उद्योगों को ऊर्जा मिलती है, लेकिन स्थानीय निवासियों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। स्वास्थ्य समस्याओं, श्वसन रोगों और पर्यावरणीय गिरावट को लेकर लोग लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाने की ज़रूरत है।

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