acn18.com / पर्यावरण शब्द परि+आवरण से मिलकर बना है। “परि” का आशय चारों ओर तथा “आवरण” का अर्थ परिवेश से है। चूंकि पर्यावरण में वायु जल भूमि पर पौधे जीव जंतु मानव और इनकी गतिविधियों का समावेश होता है। इसलिए पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण का ध्यान रखना हमारा परम दायित्व बनता है। इसी को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने 1972 विश्व पर्यावरण दिवस की शुरुआत की। आज हम विश्व पर्यावरण दिवस पर संपूर्ण जानकारियां लेकर आए हैं इसी के साथ-साथ चूंकि हम सभी कोरोना वायरस की महामारी के चलते लॉकडाउन की पालन कर रहे हैं तो लॉकडाउन में रहते हुए भी हम विश्व पर्यावरण दिवस (Vishwa Paryavaran Diwas) में कैसे भागीदारी कर सकते हैं यह भी इस ब्लॉग में बताया गया है।
ऑफिशियल नाम | संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यावरण दिवस |
तिथि | 5 जून |
पहला विश्व पर्यावरण दिवस दिनांक | 5 जून 1974 |
उद्देश्य | विश्व के सभी लोगों के द्वारा पर्यावरण की सुरक्षा |
अभी तक वर्ष | 47 |
विश्व पर्यावरण दिवस का प्रकार | अंतरराष्ट्रीय |
देश जहां पहली बार विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया | स्टॉकहोम (स्वीडन) |
विश्व पर्यावरण दिवस क्यों मनाया जाता है?
5 जून 1974 को पहला पर्यावरण सम्मेलन मनाया गया जिसमें 119 देशों ने भाग लिया। पहला विश्व पर्यावरण सम्मेलन स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में मनाया गया था। इसी दिन यहां पर दुनिया का पहला पर्यावरण सम्मेलन का आयोजन किया गया था। जिसमें भारत की ओर से तात्कालिन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भाग लिया था। इस सम्मेलन के दौरान ही संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की भी नींव पड़ी थी। जिसके चलते हर साल विश्व पर्यावरण दिवस आयोजन का संकल्प लिया गया। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र द्वारा नागरिकों को पर्यावरण प्रदूषण से अवगत कराने तथा पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाने के लिए 19 नवंबर 1986 पर्यावरण संरक्षण अधिनियम लागू किया गया। 5 जून 1972 से लेकर 5 जून 2024 तक इस दिवस को 51 वर्ष हो गए हैं और उम्मीद है आगे भी यह दिवस ऐसे ही मनाया जाएगा। क्योंकि पर्यावरण में पेड़ पौधे, जीव जंतु आदि मुख्य भूमिका निभाते हैं इसलिए इस दिन नागरिकों के द्वारा पूरे विश्व में पेड़ पौधे लगाए जाते हैं तथा पेड़ पौधों को सुरक्षित रखने का आवाहन किया जाता है। कई बड़े-बड़े एनजीओ भी इसमें भागीदारी लेते हैं। वर्ष 1974 में पहली बार “केवल एक पृथ्वी” (“Only one Earth”) के नारे के साथ विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया था। पर्यावरण प्रदूषण, तापमान में वृद्धि, ग्लोबल वार्मिंग, वनों की कटाई आदि को दूर करने या रोक लगाने के लिए विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।
क्यों ज़रूरी है पर्यावरण दिवस मनाना
आज के समय में पर्यावरण असंतुलित हो गया है। बढ़ती आबादी, औद्योगीकरण, प्राकृति संसाधों के अंधाधुंध इस्तेमाल से आज विश्व का तापमान चिंतित स्तर पर बढ़ रहा है, जिससे ग्लेशियर पिघल के समुद्र में पानी बढ़ रहा है जिससे बाढ़ आ रही है। हमे पर्यावरण को बचाने के लिए कोशिश करनी चाहिए। इसके लिए लोगों में पर्यावरण, प्रदुषण, जलवायु परिवर्तन, ग्रीनहाउस के प्रभाव, ग्लोबल वार्मिंग, ब्लैक होल इफ़ेक्ट आदि मुद्दों के बारे में लोगों को जागरूक करने की ज़रूरत है।
विश्व पर्यावरण दिवस थीम्स
हर साल पर्यावरण दिवस को लेकर एक थीम तय की जाती है। 2024 के लिए पर्यावरण दिवस की थीम “हरित भविष्य की यात्रा” है, जो हमारे ग्रह की रक्षा करने और सभी के लिए अधिक टिकाऊ भविष्य सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक सामूहिक प्रयास पर आधारित है। इस विषय को चुनने के पीछे का कारण यह है कि आज के समय में पृथ्वी को बचाने का एकमात्र उपाय वनों को बचाना ही है।
वर्ष | थीम्स |
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2023 | Beat Plastic Pollution |
2022 | Living Sustainably in Harmony with Nature |
2021 | पारिस्थितिकी तंत्र पुनर्निर्माण (Ecosystem Restoration) |
2020 | जैव विविधता (Biodiversity) |
2019 | वायु प्रदूषण (Air Pollution) |
2018 | बीट प्लास्टिक पोल्यूशन |
2017 | कनेक्टिंग पीपुल टू नेचर |
2016 | दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने के लिए दौड़ में शामिल हों |
2015 | एक विश्व, एक पर्यावरण |
2014 | अपनी आवाज उठाओ, ना कि समुद्र स्तर |
2013 | सोचो, खाओ, बचाओ |
2012 | हरित अर्थव्यवस्था: क्यो इसने आपको शामिल किया है? |
2011 | जंगल: प्रकृति आपकी सेवा में |
2010 | बहुत सारी प्रजाति, एक ग्रह, एक भविष्य |
2009 | आपके ग्रह को आपकी जरुरत है- जलवायु परिवर्तन का विरोध करने के लिये एक होना। |
2008 | CO2, आदत को लात मारो- एक निम्न कार्बन अर्थव्यवस्था की ओर। |
2007 | बर्फ का पिघलना- एक गंभीर विषय है? |
2006 | रेगिस्तान और मरुस्थलीकरण |
2005 | हरित शहर |
2004 | चाहते हैं! समुद्र और महासागर |
2003 | जल |
2002 | पृथ्वी को एक मौका दो। |
2001 | जीवन की वर्ल्ड वाइड वेब |
2000 | पर्यावरण शताब्दी |
1999 | हमारी पृथ्वी- हमारा भविष्य |
1998 | पृथ्वी पर जीवन के लिये |
1997 | पृथ्वी पर जीवन के लिये। |
1996 | हमारी पृथ्वी, हमारा आवास, हमारा घर |
1995 | हम लोग: वैश्विक पर्यावरण के लिये एक हो |
1994 | एक पृथ्वी एक परिवार |
1993 | गरीबी और पर्यावरण |
1992 | केवल एक पृथ्वी, ध्यान दें और बाँटें |
1991 | जलवायु परिवर्तन- वैश्विक सहयोग के लिये जरुरत। |
1990 | बच्चे और पर्यावरण। |
1989 | ग्लोबल वार्मिंग |
1988 | जब लोग पर्यावरण को प्रथम स्थान पर रखेंगे, विकास अंत में आयेगा। |
1987 | पर्यावरण और छत : एक छत से ज्यादा। |
1986 | शांति के लिये एक पौधा। |
1985 | युवा : जनसंख्या और पर्यावरण। |
1984 | मरुस्थलीकरण |
1983 | खतरनाक गंदगी को निपटाना और प्रबंधन करना: एसिड की बारिश और ऊर्जा। |
1982 | स्टॉकहोम (पर्यावरण चिंताओं का पुन:स्थापन) के 10 वर्ष बाद |
1981 | जमीन का पानी : मानव खाद्य श्रृंखला में जहरीला रसायन। |
1980 | नये दशक के लिये एक नयी चुनौती: बिना विनाश के विकास। |
1979 | हमारे बच्चों के लिये केवल एक भविष्य |
1978 | बिना विनाश के विकास। |
1977 | ओजोन परत पर्यावरण चिंता; भूमि की हानि और मिट्टी का निम्निकरण। |
1976 | जल: जीवन के लिये एक बड़ा स्रोत। |
1975 | मानव समझौता |
1974 | ’74’ के प्रदर्शन के दौरान केवल एक पृथ्वी |
1973 | केवल एक पृथ्वी |
विश्व पर्यावरण दिवस के लाभ
विश्व पर्यावरण दिवस के लाभ नीचे दिए गए हैं:
विश्व पर्यावरण दिवस लोगों में जागरूकता उत्पन्न करता है
पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है।
विश्व पर्यावरण दिवस सामूहिक रूप से पर्यावरण के प्रति कुछ करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
इससे पर्यावरण प्रदूषण को भी रोका जा सकता है।
विश्व पर्यावरण दिवस पर्यावरण की काफी सारी चुनौतियों से सामना करना बताता है।
इसका उद्देश्य पर्यावरण की रक्षा करना तथा जीव जंतुओं, पेड़ पौधों, वायु आदि को स्वस्थ और स्वच्छ रखना है।
विश्व पर्यावरण दिवस पर पौधे लगाने पर जोर देता है। जिससे ग्लोबल वार्मिंग तथा तापमान में हो रही बढ़ोतरी में कमी होती है तथा इसी के साथ-साथ पारिस्थितिक तंत्र आदि में भी सुधार होता है।
बढ़ता पर्यावरण प्रदूषण
आज भारत ही नहीं पूरा विश्व पर्यावरण प्रदूषण की समस्या से जूझ रहा है। वर्तमान समय में पानी,हवा, रेत मिट्टी आदि के साथ-साथ पेड़ पौधे, खेती और जीव जंतु आदि सभी पर्यावरण प्रदूषण से प्रभावित हो रहे हैं। कारखाने से निकलने वाले अपशिष्टों, परमाणु संयंत्रों से बढ़ने वाली रेडियोधर्मिता, मल के निकास आदि कई सारे कारणों से लगातार पर्यावरण प्रदूषित होता जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन प्रदूषण रोकने के लिए अनेक उपाय लगातार कर रहा है। औद्योगीकरण और शहरीकरण के कारण हरे भरे खेत, भूमि का जलवायु, वन्य जीव का स्वास्थ्य, भूस्खलन आदि प्रभावित हो रहे हैं। इसी को मद्देनजर रखते हुए बड़े उद्योगों को प्रदूषण रोकने के उपाय अपनाने के लिए कहा जा रहा है सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जा रहे हैं और ज्यादा से ज्यादा वृक्षारोपण कार्यक्रम में ध्यान दिया जा रहा है यह सब प्रयास पर्यावरण को संतुलित और सुरक्षित रखने के लिए नियंत्रण किए जा रहे हैं इसीलिए 5 जून को हर वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया जाता है।
पर्यावरण संरक्षण
भूमि जल एवं वायु आदि तत्व में विकृति आने से पर्यावरण का संतुलन बिगड़ जाता है तब पर्यावरण लगातार प्रदूषित होने लगता है। इसी को कम करने या रोकने की प्रक्रिया को पर्यावरण संरक्षण कहते हैं। धरती पर लगातार जनसंख्या बढ़ने तथा पर्यावरण के प्रति जागरूकता ना होने के कारण पर्यावरण संरक्षण की समस्या लगातार उत्पन्न हो रही है। पर्यावरण संरक्षण का विश्व के सभी नागरिकों तथा प्राकृतिक परिवेश से गहरा संबंध है। पर्यावरण संरक्षण को लेकर सन 1992 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा ब्राजील में विश्व के 174 देशों का पृथ्वी सम्मेलन आयोजित किया गया था। फिर सन 2002 में जोहान्सबर्ग में पृथ्वी सम्मेलन आयोजित किया गया। जिसका उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण था।
पर्यावरण संरक्षण के लिए पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले कारणों पर नियंत्रण रखना आवश्यक है। पर्यावरण संरक्षण किसी एक व्यक्ति या एक देश का काम नहीं है यह पूरे विश्व के लोगों का कर्तव्य बनता है कि वह पर्यावरण को संरक्षित रखें।