बीते 2 साल पूरी दुनिया के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण रहे. कोविड महामारी की चपेट में कई लोग आए, जिसके चलते उन्हें अपनी जिंदगी से हाथ धोना पड़ गया. वहीं, बढ़ते प्रदूषण और बदलते पर्यावरण के कारण आए दिन, तरह-तरह की नई बीमारियां लोगों को अपना शिकार बना रही हैं, जिसके कारण वैज्ञानिकों में काफी डर बना हुआ है. इन्हीं खतरनाक बीमारियों में से एक बीमारी है कैंसर. हार साल 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है. आईए आज हम आपको इसके इतिहास कते बारे में बताते हैं.
4 फरवरी को ही क्यों मनाया जाता है कैंसर डे
आपको बता दें क विश्व स्वास्थ्य संगठन की पहल पर वर्ष 1933 में पहला कैंसर दिवस जिनेवा, स्विट्जरलैंड में मनाया गया था. तबसे अब तक हर साल कैंसर दिवस पर नई थीम जारी की जाती है. इसके पीछे उद्देश्य ये है कि आम लोगों को कैंसर के खतरों के बारे में जागरूक और इसके लक्षण से लेकर इसके बचाव के बारे में जानकारी दी जा सके. कैंसर को लेकर कई लोगों में गलतफहमी होती है कि ये छूने से भी फैलता है. जिसके कारण लोग कैंसर के रोगियों से अच्छा व्यवहार नहीं करते हैं. लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है, बल्कि ये धारणा पूरी तरह गलत है.
कैसे हुई कैंसर की खोज
कैंसर शब्द की उत्पत्ति का श्रेय यूनानी चिकित्सक हिप्पोक्रेट्स (460-370 ईसा पूर्व) को दिया जाता है. इन्हें चिकित्सा का जनक भी कहा जाता है. हिप्पोक्रेट्स ने ही गैर-अल्सर बनाने और अल्सर बनाने वाले ट्यूमर के बारे में बताते हुएकार्सिनो और कार्सिनोमा शब्द का इस्तेमाल किया. ग्रीक भाषा में ये शब्द एक केकड़े को संदर्भित करता हैं, जो संभवतः बीमारी पर लागू होता है. 70-80 करोड़ साल पहले डायनासोर जीवाश्मों में कैंसर सेल्स के प्रमाण देखे गए. 2003 में कई शोध के बाद इस बात का पता चला था.
क्या है इस साल की थीम?
हर साल विश्व कैंसर दिवस मनाने के लिए प्रतिवर्ष एक थीम निर्धारित की जाती है. इस बार की थीम क्लोज द केयर गैप (Close The Care Gap) है. इस थीम के साथ यह दिन पूरे विश्व में मनाया जाएगा.