Acn18.com/छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में शराब दुकान हटाने की मांग को लेकर महिलाएं सड़क पर उतर गईं। और चक्काजाम कर जमकर हंगामा मचाया। इसके चलते सड़क जाम हो गया और करीब एक घंटे तक यातायात बाधित रहा। 6 माह पहले भी मोहल्ले वालों के साथ मिलकर गांधी के वेशभूषा पहन कर युवक ने भूख हड़ताल कर धरना-प्रदर्शन किया था, तब प्रशासन ने मार्च में शराब दुकान हटाने का भरोसा दिलाया था।
नगर निगम के सरकंडा थाना क्षेत्र के वार्ड क्रमांक 63-65 अरविंद नगर बंधवापारा में शराब दुकान संचालित है, जहां शराब दुकान है, वहीं पर स्कूल है। उसी जगह पर दिन और रात शराबियों के साथ ही असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है। इसके चलते स्कूली बच्चे और उनके पेरेंट्स के साथ ही मोहल्ले के लोग परेशान रहते हैं। मोहल्ले में शराब दुकान की वजह से मारपीट, चाकू बाजी के साथ ही छेड़खानी जैसी घटनाएं होती रहती है। शराब दुकान हटाने के लिए मोहल्ले के लोगों ने कलेक्टर से मांग की थी, कोई कार्रवाई नहीं होने पर धरना-प्रदर्शन किया जा रहा था।
गांधी बने समाजसेवी ने चिता बनाकर शुरू की थी भूख हड़ताल
मोहल्ले के लोगों के इस आंदोलन को शहर में गांधी के रूप में पहचान बनाने वाले सामाजिक कार्यकर्ता संजय आयल सिंघानी ने समर्थन दिया था और भूख हड़ताल कर रहे थे। उन्होंने धरनास्थल पर खुद की चिता बनाई थी और उसमें लेटकर प्रदर्शन कर रहे थे। उनके साथ महिलाएं भी क्रमिक भूख हड़ताल कर रही थीं। संजय आयल सिंघानी ने चेतावनी दी थी कि दो दिसंबर तक शराब दुकान हटाने के संबंध में फैसला नहीं लिया गया तो वह खुद अपनी चिता को आग लगाएगा और आत्मदाह कर लेगा। उसकी इस चेतावनी के बाद अफसर हरकत में आ गए थे। आबकारी विभाग के अधिकारियों ने छह माह पहले मार्च तक शराब दुकान हटाने का आश्वासन दिया था।
प्रशासन व आबकारी विभाग के खिलाफ भड़का आक्रोश, किया चक्काजाम
जिला प्रशासन और आबकारी विभाग के अफसरों ने छह माह पहले मोहल्ले के लोगों को शराब दुकान हटाने का भरोसा दिलाया था। लेकिन, आंदोलन खत्म होते ही प्रशासन ने कोई सुध नहीं ली, जिसके बाद से लोगों में प्रशासन के खिलाफ आक्रोश भड़क रहा था। गुरुवार की सुबह मोहल्ले की महिलाएं नूतन चौक में एकत्रित हुईं और भीड़ ने चक्काजाम शुरू कर दिया। इस दौरान वाहनों की आवाजाही बंद कर महिलाएं सड़क पर बैठ गई और प्रशासन के खिलाफ जमकर हल्ला बोलते हुए नारेबाजी की। महिलाएं इस बार शराब दुकान हटाने की जिद पर अड़ी रहीं। करीब एक घंटे तक प्रदर्शन के दौरान पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों ने उन्हें समझाइश देने की कोशिश की। लेकिन, महिलाएं दुकान हटाने के बाद ही आंदोलन खत्म करने पर अड़ी रहीं। आखिरकार, प्रशासन की तरफ तहसीलदार ने एक माह के भीतर दुकान हटाने का लिखित आश्वासन दिया, तब जाकर महिलाएं शांत हुई और चक्काजाम समाप्त किया।