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क्या वोटर ID से आधार लिंक कराना ही होगा, कैसे होगी प्रक्रिया, क्या फायदे-नुकसान; लिंक नहीं कराया तो क्या होगा

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Acn18.com/मतदाता पहचान पत्र को अब आधार कार्ड से लिंक किया जाएगा। मंगलवार को इलेक्शन कमीशन की अलग-अलग मंत्रालयों के साथ हाई लेवल बैठक में इस पर सहमति बनी। विपक्ष का दावा है कि आयोग ने फर्जी वोटर्स के मुद्दे को आखिरकार स्वीकार कर लिया है। राहुल गांधी समेत कई विपक्षी नेता वोटर लिस्ट में अचानक लाखों नाम जुड़ने और डुप्लीकेट वोटर्स का मुद्दा उठाते रहे हैं।

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क्या विपक्ष के दबाव में झुका इलेक्शन कमीशन, आधार से कैसे लिंक होगी वोटर ID, अगर कोई लिंक न करवाना चाहे तो क्या होगा; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में…

सवाल-1: चुनाव आयोग ने मतदाता पहचान पत्र से जुड़ा क्या फैसला लिया है? जवाब: 18 मार्च को दिल्ली में चुनाव आयोग और गृह मंत्रालय, विधि मंत्रालय, आईटी मंत्रालय, UIDAI के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच एक हाई लेवल बैठक हुई। इसमें वोटर ID को आधार से लिंक करने पर सहमति बनी।

ECI के सूत्रों के अनुसार, वोटर ID-आधार को लिंक करने का मकसद आगामी चुनावों से पहले मतदाता सूची से डुप्लीकेट वोटर्स को साफ करना और पारदर्शिता लाना है। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा,

इस प्रक्रिया को शुरू करने के लिए UIDAI और ECI के टेक्निकल एक्सपर्ट्स के बीच तकनीकी परामर्श जल्द ही शुरू होगा।

सवाल-2: क्या राहुल गांधी समेत विपक्ष के दबाव में इलेक्शन कमीशन वोटर ID को लिंक कराने पर राजी हुआ? जवाब: 18 मार्च को कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि, ‘यह फैसला लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की बदौलत लिया गया। चुनाव आयोग ने यह स्वीकार किया कि कांग्रेस के उठाए गए फर्जी वोटर्स के मुद्दे सही हैं। यानी एक वोटर के पास कई वोटर ID कार्ड हैं, जिससे वोट में धांधली होती है। इस समस्या को आधार कार्ड के जरिए खत्म किया जा सकता है।’

राहुल गांधी ने X पर लिखा, ‘कांग्रेस और INDIA ब्लॉक लगातार मतदाता सूचियों के मुद्दे उठाता रहा है। इसमें असामान्य रूप से मतदाताओं को जोड़ना, हटाना और डुप्लीकेट वोटर आईडी शामिल हैं।’

राहुल ने कहा, ‘आधार से डुप्लीकेट वोटर्स नम्बर की समस्या हल हो सकती है, लेकिन सबसे गरीब और सबसे ज्यादा वंचित लोगों की लिंकिंग प्रोसेस में मुश्किलें हो सकती हैं।’

कांग्रेस और INDIA गठबंधन का आरोप है कि लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बीच सिर्फ 5 महीनों में 39 लाख नए वोटर्स जुड़े, जबकि पिछले 5 साल में सिर्फ 32 लाख नए वोटर्स जुड़े थे। महाराष्ट्र में मतदाताओं की संख्या राज्य के कुल वयस्क नागरिकों से भी ज्यादा हो गई है।

राहुल गांधी ने 7 फरवरी को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था,

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इसे कहने का अच्छा तरीका यह है कि चुनाव आयोग का मतदाता सूची पर कंट्रोल नहीं है। इसे कहने का बुरा तरीका यह है कि चुनाव आयोग ने सूची में हेरफेर किया है… अब, यह चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है कि जो हुआ है, वह उसके बारे में सफाई दे।

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इलेक्शन कमीशन पर डुप्लीकेट वोटर्स और मतदाता सूची में अप्रत्याशित नाम जुड़ने और हटाने को लेकर दबाव तो था, लेकिन वोटर ID को आधार से लिंक कराने का फैसला सिर्फ इसी वजह से लिया गया है, ये कहना मुश्किल है, क्योंकि 2015 में भी ऐसी प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इसे रोक दिया गया था।

2021 में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में संशोधन के बाद आधार को वोटर ID से जोड़ने की इजाजत मिल गई थी। इसके लिए चुनाव आयोग ने मतदाताओं से आधार कार्ड का डेटा इकट्ठा करना शुरू भी कर दिया। हालांकि आयोग ने अभी तक दोनों डेटाबेस को लिंक नहीं किया।

सवाल-3: वोटर ID को आधार से लिंक करने के लिए आपको क्या करना होगा?

जवाब: वोटर ID को आधार से लिंक करने की प्रोसेस के लिए नए मतदाता को फॉर्म 6 और पुराने मतदाताओं को फॉर्म 6B भरना होगा। इसमें मतदाताओं के पास दो ऑप्शन होते हैं…

  • मतदाता अपना आधार नंबर दे दें।
  • मतदाता कह दें कि मेरे पास आधार कार्ड नहीं है।

अगर किसी के पास आधार नहीं है, तो वे दूसरा डॉक्यूमेंट दे सकते हैं। जैसे PAN, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट या बैंक पासबुक।

सवाल-4: क्या सभी मतदाताओं को अपना आधार लिंक कराना ही होगा? जवाबः इलेक्शन कमीशन ने सितंबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि मतदाताओं को आधार देना जरूरी नहीं है। 66.23 करोड़ वोटर्स ने अपनी मर्जी से आधार नम्बर जमा करवाए हैं। सरकार ने यह भी कहा कि जो लोग अपने आधार कार्ड को मतदाता सूची से नहीं जोड़ते हैं, उनके नाम मतदाता सूची से नहीं काटे जाएंगे।

हालांकि इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक अब अगर कोई वोटर अपना आधार कार्ड नहीं देगा, तो फॉर्म 6 में उसे इसका पुख्ता कारण बताना होगा। यह बदलाव कानून मंत्रालय जल्द ही गजट नोटिफिकेशन के जरिए करेगा। यह बदलाव बिहार विधानसभा चुनाव से पहले होने की उम्मीद है।

सवाल-5: वोटर ID को आधार से लिंक करने पर आपको क्या फायदा मिल सकता है? जवाब: वोटर ID को आधार से लिंक करने पर मतदाताओं को 4 बड़े फायदे होंगे…

  • आसान रजिस्ट्रेशन प्रोसेस: मतदाता अपना वोटर ID आसानी से आधार कार्ड के जरिए रजिस्ट्रेशन या अपडेट कर सकेंगे। बिना कागजी प्रक्रिया के पता बदल जाएगा या नया ID कार्ड बन जाएगा।
  • आसान वेरिफिकेशन प्रोसेस: मतदान केंद्र पर आइडेंटिटी वेरिफिकेशन आसान और तेज हो जाएगा। इससे मतदाताओं को लंबी कतारों में इंतजार नहीं करना पड़ेगा।
  • फर्जी वोटिंग से सुरक्षा: आधार कार्ड लिंकिंग से फर्जी वोटिंग की आशंका कम हो जाएगी। मतदाताओं का वोट सही तरीके से दर्ज होगा।
  • एक जगह मिलेगी डिटेल्स: अगर मतदाता सूची में कोई गलती होती है, जैसे नाम या पता गलत होना, तो आधार लिंक होने पर इसे ठीक करना आसान हो जाएगा। सारी डिटेल्स एक ही जगह इकट्ठी हो जाएंगी।

सवाल-6: अगर आपने वोटर ID को लिंक नहीं कराया तो क्या होगा? जवाब: वोटर ID को आधार से लिंक न कराने पर सीधे तौर पर मतदाता को कोई नुकसान नहीं होगा। वोट देना हर भारतीय नागरिक का मौलिक अधिकार है। सरकार इसे छीन नहीं सकती। पॉलिटिकल एक्सपर्ट विजय त्रिवेदी के मुताबिक,

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किसी भी मतदाता को सीधे तौर पर नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा। आधार नंबर न देने की वजह से किसी का नाम मतदाता सूची में शामिल करने से इनकार नहीं किया जा सकता और न ही हटाया जा सकता।

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सवाल-7: वोटर ID को आधार से लिंक करने से फर्जी वोटिंग कैसे घटेगी? जवाब: इलेक्शन एनालिस्ट अमिताभ तिवारी कहते हैं, ‘वोटर ID को आधार कार्ड से लिंक करने पर फर्जी वोटिंग में कमी आ सकती है। इस प्रक्रिया के बाद किसी भी व्यक्ति के पास एक से ज्यादा वोटर कार्ड नहीं हो सकता।’

एक उदाहरण से समझें- आप किसी गांव में रहते हैं और आपके पास वहां के पते पर आधार कार्ड और वोटर कार्ड है। यानी आप उस इलाके में वोट डाल सकते हैं। तभी आपको किसी वजह से नए गांव या शहर जाना पड़ता है, तो आप आधार पर भी नया पता अपडेट कराते हैं। जिससे आपका वोटर कार्ड भी नए पते का हो जाता है। लेकिन इसमें कई बार आपके गांव वाले पते का वोटर कार्ड बंद नहीं होता। यानी आपके पास दो वोटर ID हो जाती हैं- एक गांव की और एक शहर की।

अमिताभ तिवारी कहते हैं, ‘नई प्रक्रिया से इस तरह के लूपहोल खत्म हो जाएंगे। आधार कार्ड से लिंक होने पर नए वोटर ID के साथ पुराना ID कार्ड नहीं चलेगा। नया ID कार्ड लेते ही पुराना ऑटोमैटिकली बंद हो जाएगा। इससे फर्जी वोटर्स में कमी आएगी और एक व्यक्ति के पास एक आधार और एक ही वोटर ID रहेगी।’

सवाल-8: क्या 2015 की तरह वोटर ID को आधार से लिंक करने पर फिर रोक लग सकती है?

जवाब: वोटर ID को आधार से लिंक करने का प्रयास चुनाव आयोग पहले भी कर चुका है। 2015 में चुनाव आयोग ने मार्च 2015 से अगस्त 2015 तक राष्ट्रीय मतदाता सूची शुद्धिकरण कार्यक्रम (NERPAP) चलाया था। उस समय चुनाव आयोग ने 30 करोड़ से ज्यादा वोटर ID को आधार से लिंक करने का प्रोसेस पूरा कर लिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जे. चेलमेश्वर, जस्टिस एस. ए. बोबड़े और जस्टिस सी. नागप्पन की बेंच ने फैसला सुनाते हुए प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी।

दरअसल, वोटर ID को आधार से लिंक करने की प्रक्रिया के दौरान आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के करीब 55 लाख लोगों के नाम वोटर डेटाबेस से हट गए थे। आधार की संवैधानिकता को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था और सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को वोटर ID और आधार को लिंक करने से रोक दिया था। इनमें सबसे प्रमुख याचिका 2012 में जस्टिस (रिटायर्ड) के.एस. पुट्टस्वामी ने दायर की थी। कोर्ट ने इस रोक के पीछे 3 तर्क दिए थे…

1. आधार कार्ड के डेटा के साथ जोड़ने से जनता की राइट टू प्राइवेसी का उल्लंघन हो सकता है। इसका गलत इस्तेमाल किया जा सकता है।

2. आधार को वोटर ID से जोड़ने की वजह से वोटर लिस्ट में गड़बड़ी हो सकती है। कुछ लोगों को मतदान से वंचित किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पहलू पर भी विचार किया और सरकार से लिंकिंग की जरूरतों को स्पष्ट करने का आदेश दिया।

3. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आधार को व्यक्ति की मर्जी से इस्तेमाल किया जाना चाहिए, न कि अनिवार्य रूप से। सुप्रीम कोर्ट ने इसे सीमित करते हुए कहा कि आधार का इस्तेमाल सिर्फ सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) और LPG सब्सिडी जैसी कुछ कल्याणकारी योजनाओं तक ही हो सकता है।

26 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने आधार एक्ट को कुछ शर्तों के साथ वैध ठहराया। कोर्ट ने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार माना, लेकिन आधार को कल्याणकारी योजनाओं के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति दी।

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