acn18.com कोरबा /कोरबा में रेत की चोरी रुकने का नाम नहीं ले रही है। निजाम बदला लेकिन चोरों का मिजाज नहीं बदला है वह अभी भी पहले की तरह ही रेत चोरी कर उसे औने पौने दाम पर बेंच रहे हैं।
कोरबा शहर व ग्रामीण क्षेत्र में आप कहीं भी 1 घंटे तक प्रतीक्षा कर लीजिए आपको ट्रैक्टर या मिनी ट्रक में रेत ले जाते हुए लोग अवश्य दिखाई देंगे। यह रेत कुछ सौ में मिलनी चाहिए लेकिन इसे कई हजार ट्रिप के हिसाब से बेचा जा रहा है। विधानसभा चुनाव में रेत चोरी वर्तमान सत्ता पक्ष और तब के विपक्ष का मुख्य मुद्दा था। सरकार बदल गई कल का विपक्ष आज सत्ताधारी दल बन गया है कुछ परिवर्तन भी दिख रहे हैं लेकिन रेत चोरों और उनके कृत्य पर कहीं भी जरा सा बदलाव देखने को नहीं मिल रहा है। यानी जैसे पहले चोरी होती थी वैसे ही आज भी जारी है। आपको यकीन ना हो रहा हो अथवा आपने कभी भी रेत भरे ट्रैक्टर व मिनी ट्रक को देखने की जहमत ना उठाई हो तो कोरबा शहर के इर्द-गिर्द हसदेव नदी के तट का भ्रमण जरूर कर लीजिए। आज हमारी टीम ने आपके लिए भ्रमण किया। कोरबा के प्रवेश द्वार सीतामढ़ी के समीप कोरबा का सबसे बड़ा रेत घाट है। यहां से सर्वाधिक रेत निकाली जाती है। जब रेत निकालना वैध था तो यहां से प्रतिदिन दर्जनों ट्रैक्टर रेती बाहर निकालकर जरूरतमंदों के निर्धारित स्थान पर पहुंचाई जाती थी लेकिन पिछले लगभग 3 वर्षों से रेत घाट का आवंटन नहीं किया गया यानी वैध तरीके से रेत परिवहन बंद कर दिया गया। इस अवसर का लाभ उठाया रेत माफिया ने। सीतामढ़ी रेट घाट से शायद ही कोई दिन हो जब प्रतिबंध के बाद भी दर्जनों ट्रैक्टर प्रतिदिन रेत ना निकालते हो ।हमने पिछले दिनों यहां की खबर जब प्रमुखता से दिखाई तो खनिज विभाग ने एक बैरियर लगाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर दी। कुछ दिन बाद बैरियर तोड़कर फिर से रेत माफिया ने अपना काम शुरू कर दिया, जो अभी भी जारी है। हमारी टीम जब रेत घाट के अंदर पहुंची तो वहां भगदड़ मच गई। जो जहां पाया वही छिप गया। आपको टीवी स्क्रीन पर यह दृश्य जरूर दिख रहा होगा ।यहां शराब की बोतले चखना देखकर आप भी अंदाजा लगा सकते हैं की रेत चोरों ने अपने कर्मचारियों के लिए मौके पर ही सारी सुविधाएं उपलब्ध करा दी हैं ताकि वह दिन-रात चोरी के इस काम को अंजाम देते रहें
सब भाग गए लेकिन एक ट्रैक्टर नदी के काफी अंदर से रेत भरकर आता हुआ दिखाई दिया। उसे रोकने की कोशिश की गई लेकिन वह भी भागने की जुगत में था। जब बाइक रास्ते के बीच में खड़ी कर दी गई तब वह बड़ी मुश्किल से रुका और बहाना बनाया की उसके ट्रैक्टर में रेत जेसीबी से नहीं भरी गई बल्कि उसने हाथ से भरवाया है यह ट्रैक्टर चालक न्यूज़ टीम से बात तो कर रहा था और साथ ही उसके कान में लगा मोबाइल सारी बात उसके मालिक तक पहुंचा रहा था। और फिर बात करते-करते ट्रैक्टर लेकर वह भी भाग निकला
ये हाल तो सीतामढ़ी रेत घाट का है। ऐसे ही लगभग आधा दर्जन रेत घाट कोरबा शहर के इर्द गिर्द है जहां से खुलेआम रेत की चोरी की जा रही है। लेकिन उन्हें रोकने की जुर्रत कोई नहीं कर पा रहा है। शायद अधिकारियों की इस मजबूरी के पीछे कोई मजबूत ताकत है अथवा चांदी का जूता, जिसके कारण रेत घाट का विधिवत आवंटन नहीं हो पा रहा है। और भवन निर्माताओ की जेब तरासी जा रही है
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