acn18.com कोरबा / प्रदेश का कोरबा जिला कई रहस्यों से भरा हुआ है। यहां ऐसे ऐसे रहस्य भरे पड़े हैं,जिसा सुलझाना आसान काम नहीं है। ऐसा ही एक रहस्य कायम है कोरबा चांपा मार्ग पर मौजूद डोंगरीभांटा गांव में। चैत्र नवरात्र के दौरान गांव में एक ऐसा स्थान है,जो लोगों के लिए आस्था का एक बड़ा केंद्र है। पत्थर के रुप में मौजूद दूल्हा और दुल्हन की गांव में होने हर शादी से पहले पूजा की जाती है। कहा जाता है,कि एक दशक पहले दिन के वक्त बारात विदा की गई थी,तब दूल्हा दुल्हन समेत सारे बाराती पत्थर बन गए थे,यही वजह है,कि इस गांव में सूर्य ढलने के बाद ही दुल्हन की विदाई की जाती है।
शादी की सीजन शुरु हो गया है,और हर तरफ शहनाई बजनी शुरु हो गई है। चैत्र नवरात्र और विवाह के समय के संगम के बीच हम आपके लिए करतला ब्लॉक के ग्राम डोंगरी भांटा से एक ऐसी खबर लेकर आए है,जिसे देखने बाद आप भी कहेंगे,कि क्या कहीं ऐसा होता है। जी हां,गांव में एक ऐसा स्थान है,जो लोगों के लिए आस्था का बड़ा केंद्र होने के साथ ही रहस्यों से भरा भी हुआ है। नवरात्र के दौरान मां आदिशक्ति की पूजा होती है,लेकिन यहां पत्थर के रुप में मौजूद दूल्हा और दुल्हन को पूजा जाता है। ऐसी मान्यता है,कि एक दशक पूर्व गांव में जब एक बारात आई थी,तब विदाई दिन के वक्त कर दी गई जिसके बाद दूल्हा दुल्हन समेत पूरे बाराती पत्थर के रुप में तब्दील हो गए। ऐसा क्यों और कैसे हुआ यह किसी को नहीं पता और तब से लेकर आज तक गांव में कभी कभी दिन के वक्त दुल्हान की विदाई नहीं की जाती।
अपनी इस अनोखी परंपरा के लिए डोंगरीभांटा गांव पूरे छत्तीसगढ़ में प्रसिद्ध है। कहा जाता है,कि गांव में कोई देवी निवास करती है,जो इसकी रक्षा करती है। यही वजह है,कि लोग भी दिन के वक्त विदाई नहीं करने की पंरपरा का आज भी निर्वहन कर रहे है।
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