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मकर संक्रांति पर क्या करना शुभ, जानिए उपाय और दान-स्नान का महत्व

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Makar Sankranti Puja Shubh Muhurat in Hindi: आज देशभर में मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जा रहा है। हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का विशेष महत्व होता है। वैदिक ज्योतिष में जब सूर्यदेव अपने पुत्र शनिदेव की राशि मकर में प्रवेश करते हैं तब मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है। मकर संक्रांति पर गंगास्नान और दान का विशेष महत्व होता है।

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राजस्थान में मकर संक्रांति

राजस्थान में मकर संक्रांति का पर्व सुहागन महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन सभी सुहागिन महिलाएं अपनी सास को वायना देकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। साथ ही इस दिन महिलाओं द्वारा किसी भी सौभाग्यसूचक वस्तु का चौदह की संख्या में पूजन व संकल्प कर चौदह ब्राह्मणों को दान देने की भी प्रथा है।

गुजरात में कैसे मनाई जाती है मकर संक्रांति

गुजरात में मकर संक्रांति को उत्तरायण पर्व कहा जाता है। उत्तरायण के दिन बहुत बड़ा पर्व मनाया जाता है जो 2 दिनों तक चलता है। यहां बड़े उल्लास से पतंग उड़ा कर त्योहार मनाया जाता है और उंधियू और चिक्की इस दिन विशेष त्योहार व्यंजन हैं।

मकर संक्रांति पर शनिदोष खत्म करने के लिए करें यह उपाय

मकर संक्रांति पर गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन पानी में काला तिल मिलाकर स्नान करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और कुंडली में मौजूद शनिदोष खत्म होता है।

मकर संक्रांति पर गंगा स्नान का महत्व

मकर संक्रांति पर दान और गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है और शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

धनु, मकर, कुंभ और मीन राशि वाले आज इन चीजों का करें दान

धनु- जल में हल्दी, केसर और पीले पुष्प मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें। गुड़ का दान करें।
मकर- पानी में नीला फूल और तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें। इसके अलावा काले तिल और उड़द की दाल की खिचड़ी दान करें।
कुंभ- मकर संक्रांति पर नीला फूल और तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें। इसके अलावा उड़द और तिल का दान करें।
मीन- हल्दी, केसर, पीले फूल के साथ तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें। तिल और गुड़ का दान करें।

मकर संक्रांति पर सिंह, कन्या, तुला और वृश्चिक राशि के लोग इन चीजों का करें दान

सिंह- जल में कुमकुम और लाल पुष्प, तिल डालकर सूर्य को अर्घ्य दें। गुड़ और तिल दान करें।
कन्या- जल में तिल, दूर्वा, पुष्प डालकर सूर्य को अर्घ्य दें। मूंग की दाल की खिचड़ी बनाकर दान करें। गाय को चारा दें।
तुला- सफेद चंदन, दूध, चावल का दान दें। सफेद चंदन मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें।
वृश्चिक- जल में कुमकुम, रक्तपुष्प तथा तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें। गुड़ का दान दें।

Makar Sankranti 2024: मकर संक्रांति पर राशि के अनुसार करें दान

मेष- मकर संक्रांति पर पानी में पीले पुष्प, हल्दी और तिल मिलाकर सूर्य देव को अर्घ्य दें। तिल-गुड़ का दान करें।
वृष- आज मकर संक्रांति के दिन जल में सफेद चंदन, दूध, श्वेत पुष्प, तिल डालकर सूर्य को अर्घ्य दें। खिचड़ी का दान करें।
मिथुन- जल में तिल डालकर सूर्य को अर्घ्य दें। मूंग की दाल की खिचड़ी दान करें।
कर्क- जल में दूध, चावल, तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें। संकटों से मुक्ति मिलेगी। गुड़, तिल दान करें।

मकर संक्रांति पर सूर्यदेव होते हैं उत्तरायण

तीसरी मान्यता
मकर संक्रांति को उत्तरायण पर्व भी कहते हैं। दरअसल मकर संक्रांति पर सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं। सूर्य के उत्तरायण को देवताओं का दिन माना जाता है। सूर्य देव 6 माह उत्तरायण और 6 माह दक्षिणायन रहते हैं। सूर्य के उत्तरायण होने पर और मृत्यु को प्राप्त करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। महाभारत के युद्ध में भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण में अपने प्राण त्यागे थे।

मकर संक्रांति पर्व के पीछे की मान्यताएं…

दूसरी मान्यता
मकर संक्रांति मनाने के पीछे राजा भागीरथ से जुड़ी एक कथा है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार राजा भागीरथ के पुरखों को मोक्ष नहीं प्राप्त था। मोक्ष न प्राप्त होने की वजह से राजा भागीरथ के पूर्वजों की आत्माओं का शांति नहीं मिली थी। ऐसे में अपने पूर्वजों को मोक्ष दिलाने के उद्देश्य से राजा भागीरथ को देवी गंगा को स्वर्ग से धरती पर लाने के लिए कठोर तप करना पड़ा था। राजा भागीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर देवी गंगा मकर संक्रांति पर धरती पर प्रगट हुईं और राजा भागीरथ के पूर्वजों की अस्थियों को गंगाजल से स्पर्श करते हुए उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई। इस कारण से मकर संक्रांति पर गंगा स्नान करने का महत्व होता है।

मकर संक्रांति पर्व के पीछे कई मान्यताएं…

पहली मान्यता
सालभर में कुल 12 संक्रांति होती है। जब सूर्यदेव गुरु की राशि धनु से निकलकर अपने पुत्र शनिदेव की राशि मकर में प्रवेश करते हैं तब मकर संक्रांति मनाई जाती है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य शनिदेव की पिता हैं, लेकिन शनिदेव अपने पिता सूर्य देव से शत्रुता का भाव रखते हैं। जब मकर संक्रांति पर सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने और एक महीने तक उनके घर में निवास करते हैं तो पिता-पुत्र के बीच मतभेद दूर हो जाते हैं। इस कारण से मकर संक्राति मनाई जाती है।

मकर संक्रांति पर क्या करना शुभ

  • मकर संक्रांति पर गंगा स्नान करना चाहिए।
  • मकर संक्रांति के दिन सूर्यदेव को जल जरूर अर्पित करें।
  • मकर संक्रांति के दिन तिल और गुड़ से बनी चीजों को दान और इसका सेवन करें।
  • इस दिन खिचड़ी जरूर खानी चाहिए।
  • मकर संक्रांति पर भगवान सूर्यदेव के साथ वेद-पुराण का पाठ करना शुभ।
  • गायों को चारा खिलाएं।

मकर संक्रांति के साथ आज उत्तरायण पर्व भी

आज यानी 15 जनवरी को पूरे देशभर में मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जा रहा है। मकर संक्रांति पर सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं जोकि शनिदेव की राशि है। सूर्य के मकर राशि में आने से दक्षिणायन खत्म होता है और उत्तरायण आरंभ हो जाता है, इसलिए इसे उत्तराणय पर्व भी कहते हैं। सूर्य 6 महीने दक्षिणायन और 6 महीने उत्तरायण रहते हैं। शास्त्रों में सूर्य के उत्तरायण को देवताओं का दिन और दक्षिणायन को देवताओं की रात माना जाता है। उत्तरायण से रातें छोटी होने लगती है और दिन बड़े होने लगते हैं। सूर्य के उत्तरायण होने पर सभी तरह के मांगलिक काम फिर से शुरू हो जाते हैं।

मकर संक्रांति पर सूर्यदेव की आराधना का विशेष महत्व होता है। इस दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं और सभी तरह के शुभ कार्य दोबारा से आरंभ हो जाते हैं। मकर संक्रांति पर स्नान करने और दान का विशेष महत्व होता है। मकर संक्रांति के दिन सुबह जल्दी उठकर अपने घर के पास स्थित किसी पवित्र नदी में स्नान करें। वहीं अगर पवित्र नदी में स्नान करना संभव न होता तो घर में नहाने के पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे और काला तिल डालकर स्नान कर लें। स्नान के बाद तांबे के लोटे में जल, अक्षत, गंगाजल की कुछ बूंदे, सिंदूर और लाल फूल डालकर भगवान सूर्यदेव को अर्घ्य दें। भगवान सूर्यदेव को जल अर्पित करते समय ऊं सूर्याय नम: मंत्र का जाप करें। फिर इसके बाद सूर्य चालीसा और आदित्य ह्रदय स्त्रोत का पाठ करें।

Makar Sankranti 2024 Ganga Snan Significance: मकर संक्रांति पर गंगा स्नान का महत्व

मकर संक्रांति पर गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है। इस दिन सभी पवित्र नदियों और तीर्थस्थल पर भारी भीड़ होती है। मकर संक्रांति पर गंगा स्नान करने के बाद सूर्यदेव को जल अर्पित किया जाता है फिर गरीबों को दान करने की परंपरा होती है। अगर किसी कारण आप मकर संक्रांति पर गंगा स्नान नहीं कर पाते हैं तो इस दिन सुबह स्नान करते समय पानी में काला तिल और गंगाजल की कुछ बूंदे जरूर डालें।

मकर संक्रांति पर दान का महत्व

मकर संक्रांति दान का विशेष महत्व बताया गया है। मकर संक्रांति पर सूर्य देव अपने पुत्र शनिदेव के घर आते हैं। ज्योतिष मान्यता के अनुसार भी संक्रांति के दिन किया गया दान सौ गुना होकर वापस मिलता है साथ ही इससे ग्रहदशा भी सुधरती है। संक्रांति के दिन काले तिल, गुड़, कंबल, घी और खिचड़ी का दान जरूर करना चाहिए, इससे आपके जीवन में खुशहाली आती है।

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